Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

केरल के इस व्यक्ति ने बिना पेड़ काटे बेकार की चीजों से बनाया शानदार घर

केरल के इस व्यक्ति ने बिना पेड़ काटे बेकार की चीजों से बनाया शानदार घर

Monday January 01, 2018 , 4 min Read

केरल के रहने वाले बीजू अब्राहम ने गांव के वृद्ध लोगों के लिए हरे-भरे खेतों के बीच ऐसा सुंदर घर बनाया है जिसमें किसी भी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। यह घर 12,000 स्क्वॉयर फीट एरिया में बनाया गया है। इसे बनाते वक्त बीजू ने पर्यावरण की रक्षा का पूरा ध्यान रखा और एक भी पेड़ काटने की नौबत नहीं आई।यह घर सीनियर सिटिजन्स के लिए समर्पित है। बीजू के दिमाग में ऐसा घर बनाने का आइडिया तब आया था जब वे दिल्ली में इमैन्युअल हॉस्पिटल एसोसिएशन में एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम कर रहे थे...

अपने घर पर बीजू अब्राहम

अपने घर पर बीजू अब्राहम


बीजू ने इसके लिए करीब चार साल पहले से ही पुराने घरों को खरीदना शुरू कर दिया था। उन्होंने लगभग 14 पुराने घर खरीदे, जिसमें चर्च, स्कूल, घर, रेलवे के शेड और कम्यूनिटी हॉल शामिल थे। ये इमारतें 60 से लेकर 300 साल तक पुरानी थीं। 

केरल के रहने वाले बीजू अब्राहम ने गांव के वृद्ध लोगों के लिए हरे-भरे खेतों के बीच ऐसा सुंदर घर बनाया है जिसमें किसी भी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। यह घर 12,000 स्क्वॉयर फीट एरिया में बनाया गया है। इसे बनाते वक्त बीजू ने पर्यावरण की रक्षा का पूरा ध्यान रखा और एक भी पेड़ काटने की नौबत नहीं आई। यह घर सीनियर सिटिजन लोगों के लिए समर्पित है। बीजू के दिमाग में ऐसा घर बनाने का आइडिया तब आया था जब वे दिल्ली में इमैन्युअल हॉस्पिटल एसोसिएशन में एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम कर रहे थे। खास बात यह है कि इस इमारत को पुराने घरों के तोड़ने से निकली हुई सामग्री से बनाया गया है।

बीजू ने इसके लिए करीब चार साल पहले से ही पुराने घरों को खरीदना शुरू कर दिया था। उन्होंने लगभग 14 पुराने घर खरीदे, जिसमें चर्च, स्कूल, घर, रेलवे के शेड और कम्यूनिटी हॉल शामिल थे। ये इमारतें 60 से लेकर 300 साल तक पुरानी थीं। इसके बाद उन्होंने वृद्ध लोगों के लिए स्पेशल घर बनाने का काम शुरू किया। वे इसे ऊरू कहकर बुलाते हैं, जिसका मतलब होता है पुराना घर। इसे लैटेराइट पत्थर, चूना और बालू से बनाया गया है। इसमें लकड़ी की बीम डाली गई है। खिड़कियां और उनके फ्रेम भी लकड़ी से ही बनाए गए हैं।

घर के अंदर का नजारा

घर के अंदर का नजारा


इसे बनाने की शुरुआत 2014 में हुई थी। बीजू के करीबी दोस्त और आर्किटेक्चर लॉरी बेकर ने इसे डिजइन किया। इस घर में 14 कमरे हैं जिसमें एक अच्छा खासा डिजाइन किया हुआ किचन, डाइनिंग हॉल और रीडिंग रूम भी है। इसमें एंटरटेनमेंट हॉल, विजिटर पार्लर, वॉक वे भी बनाया गया है। कुलमिलाकर इसे पूरी तरह से वृद्ध लोगों के हिसाब से बनाया गया है ताकि उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत न हो। ऊरू के चार किलोमीटर के दायरे में रहने वाले 42 घरों को लोगों ने यहां रहने के लिए बीजू से संपर्क किया है। आसपास के लोग कभी भी फुरसत के पल बिताने के लिए यहां आ सकते हैं। यहां उन्हें अच्छे खाने की भी सुविधा मुहैया कराई जाती है।

image


बीजू ने बताया, 'मुझे कई परिवारों ने फोन करके बताया कि वे शहर की भागदौड़ वाली जिंदगी से ऊब चुके हैं और कुछ वक्त बिताने के लिए वे ऊरू में आकर रहना चाहते हैं।' यहां पर कई परिवार अपने घर के बुजुर्ग सदस्यों को लेकर आते हैं और समय बिताकर जाते हैं। एक तरह से बीजू केरल में पर्यटन को बढ़ावा भी दे रहे हैं और साथ ही में परिवारों के बीच प्यार को भी बढ़ा रहे हैं। घर के निर्माण के बारे में बात करते हुए बीजू ने कहा, 'भारत में घर बनाने के लिए सीमेंट का इस्तेमाल पहली बार 1886 में हुआ था। उसके पहले भारत में पारंपरिक तौर तरीके से इमारतें बनाई जाती थीं और उनमें प्राकृतिक संसाधनों का ही इस्तेमाल होता था। मैंने इस घर को बनाने में भी उसी तरीके को अपनाया।'

image


बीजू ने घर की दीवारों से लेकर छत को बनाने के लिए अपने हिसाब से डिजाइनिंग की। पुराने घरों को तोड़कर जो भी सामग्री मिली उसे अपने जरूरत के अनुसार ढालकर बीजू ने घर का निर्माण किया। उन्होंने बताया कि इस तरह से उनके काफी पैसे बचे और उन पैसों को मजदूरों को दे दिया गया। कुछ मजदूर असम से भी बुलाए गए थे, जिन्होंने लकड़ी का इस्तेमाल करके घर को एक नया रूप दिया। बीजू उम्मीद जताते हुए कहते हैं कि आने वाले समय में लोग उनके घर से प्रेरणा लेंगे और पर्यावरण की रक्षा करते हुए ऐसे ही घर बनवाएंगे। वे मानते हैं कि गांव के लोग प्रकृति की रक्षा करने में सबसे आगे रखते हैं और ऐसा करना काफी जरूरी भी है।

यह भी पढ़ें: व्हीलचेयर पर भारत भ्रमण करने वाले अरविंद हर किसी के लिए हैं मिसाल