निवेश उद्योग और रोजगार, यूपी इन्वेस्टर्स समिट इनकी बुनियाद: अनूप चंद्र पाण्डेय
यूपी इन्वेस्टर्स समिट के शिल्पकार और अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त डॉ. अनूप चंद्र पाण्डेय से बातचीत...
मुल्क का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश इन दिनों दुनिया भर के उद्यमियों की मेहमाननवाजी में मसरूफ है। उसी क्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रान्त में निवेश आमंत्रित करने की अपेक्षा से अनेक समृद्ध प्रदेशों में सफल रोड शो भी किये थे । लेकिन क्या रोड शो करने मात्र से निवेश अनुकूल परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं, या नीतियों के स्तर पर भी कोई कार्य हुआ है। महाराष्ट्र, केरल और गुजरात के होते हुए निवेशक उ.प्र. में निवेश करने की दिशा में क्यों विचार करेगा? लाल फीताशाही में उलझी प्रशासनिक व्यवस्था में कोई निवेशक क्यों स्वयं को उलझाना चाहेगा? 'यूपी है बेदम क्योंकि जुर्म नहीं हो रहे कम को चरितार्थ करती कानून-व्यवस्था क्या सुरक्षा के वादे को पूरा कर पायेगी? आदि-आदि जैसे ज्वलंत सवालों के उत्तर जानने के लिए प्रस्तुत है यूपी इन्वेस्टर्स समिट के शिल्पकार और अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त डॉ. अनूप चंद्र पाण्डेय से खास बातचीत के प्रमुख अंश...
"निवेश के साथ-साथ यूपी इन्वेस्टर समिट में प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक हब के रूप में नयी पहचान मिलेगी। आईटी कम्पनियों के साथ इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियों ने भी प्रदेश में निवेश करने की इच्छा जाहिर की है।"
सवाल: यूपी इन्वेस्टर्स मीट आयोजित करने का उद्देश्य क्या हैं?
अनूप: इन्वेस्टर्स समिट का उद्देश्य अधिक से अधिक निवेश को रिझाना ताकि रोजगार को बढ़ावा मिले और एक हेल्दी बिजनेस एनवायरनमेंट का आयोजन हो सके। अब देखिये ना, उ.प्र देश का सबसे बड़ा प्रदेश है,जोकि मानव संसाधन से समृद्ध तथा खनिज/लवणों से सम्पन्न है। कमी है तो बस उद्योग की, रोजगार की। विरोधाभास देखिये कि यह स्थिति तब है जबकि पूरे प्रान्त में उद्योग की अपरिमति सम्भावनाएं हैं। बुनियादी बात है- निवेश बढ़ेगा तो उद्योग लगेंगे। उद्योगों से जहां एक ओर सरकार के राजस्व में इजाफा होगा वहीं बड़ी मात्रा में रोजगार बढ़ेगा। रोजगार से समृद्धि आयेगी। निवेशक को यह बताने के लिए आप हमारे प्रदेश में क्यों निवेश करें, आपको क्या-क्या सहूलितें हमारे प्रदेश में मिलने जा रही हैं, निवेशकों की और क्या अपेक्षाएं हैं, आदि जैसे अनेक विचारों को साझा करने का मंच है यूपी इन्वेस्टर्स मीट। उत्तर प्रदेश सरकार सभी निवेशकों का स्वागत करती है। प्रदेश में रोजगार बढ़े इसके लिए इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। देश और दुनिया भर से आयी बड़ी कम्पनियों से अलग-अलग क्षेत्र में निवेश की उम्मीद है।
सवाल: निवेश को बढ़ावा देने हेतु क्या सरकार द्वारा नीतिगत स्तर पर निवेश अनुकूल नीतियां भी तैयार की गई हैं? यदि हां, तो वह कौन-कौन सी हैं?
अनूप: सत्ता संभालने के साथ ही योगी सरकार का फोकस प्रदेश में निवेश जुटाने और औद्योगीकरण को बढ़ावा देने पर रहा है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर में निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार ने जहां कई नीतियां बनाई हैं, वहीं कुछ गैर परम्परागत क्षेत्रों के लिए नीतियां तैयार करने की कवायद जारी है। नीतियां जो बनीं हैं वे हैं औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017, नागरिक उड्डयन प्रोत्साहन नीति- 2017, उ.प्र. इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2017, उ.प्र. आईटी एवं स्टार्ट अप नीति- 2017, उ.प्र. सौर ऊर्जा नीति-2017, उ.प्र. एमएसएमई तथा निर्यात प्रोत्साहन नीति- 2017, उ.प्र. हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग नीति- 2017, आदि-आदि।
सवाल: क्या कुछ नीतियां कतार में भी हैं?
अनूप: बेहतर करने की कोशिश कभी नहीं खत्म होती। उसी क्रम में कुछ यह नीतियां हैं पाइपलाइन में जैसे उ.प्र. वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स नीति-2018, उ.प्र. एयरोस्पेस एवं रक्षा विनिर्माण नीति-2018, उ.प्र. फार्मास्यूटिकल उद्योग नीति-2018, उ.प्र. इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण नीति-2018, आदि कुछ नीतियां हैं जो आने वाले समय में पूर्ण स्वरूप में आपके सामने होंगी।
सवाल: निवेशकों को चाहिए समेकित समाधान। मतलब सिंगल विंडो सेल्यूशन। लेकिन यहां तो लालफीताशाही हावी है। एक-एक फाइल पर वर्षों तक बाबू बैठे रहते हैं। इससे उद्यमियों को कैसे मुक्त दिलाएंगे?
अनूप: प्रदेश में व्यापार आसान हो, इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम के जरिये ही भुगतान, क्लीयरेंस, एनओसी और नक्शा पास करने की व्यवस्था की गई है। माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में प्रदेश में कारोबार को सहज बनाने के लिए 372 बिन्दुओं के एजेंडे पर काम किया गया है। इसके तहत कॉमर्शियल कोर्ट भी शुरू कर दिए गए हैं। सिंगल विंडो सिस्टम का संचालन, मूल्यांकन, अनुश्रवण मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा किया जाएगा।
सवाल: एक जिला, एक उत्पाद की नीति क्या है? इसे कैसे बढ़ावा दिया जाएगा। कौन लोग निवेश करे हैं इस क्षेत्र में ?
अनूप: उत्तर प्रदेश में लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने और स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 'एक जिला एक उत्पाद योजना का शुभारम्भ किया गया है। इस योजना के द्वारा स्थानीय कौशल का विकास तो होगा ही, इसी के साथ वस्तुओं का निर्यात भी अधिक मात्रा में सम्भव होगा, और यह भी अनुमान लगाया गया है कि इससे देश की जीडीपी में भी बढ़त होगी। इस योजना में हर जिले के लिए उत्पाद का चयन वहां की परम्परा और उपलब्धता के आधार पर किया गया है, जैसे आगरा चमड़ा उत्पाद के लिए, फिरोजाबाद कांच की चूडिय़ों के लिए, इलाहाबाद अमरूद फ्रूट प्रोसेसिंग के लिए, प्रतापगढ़ आंवला फ्रूट प्रोसेसिंग के लिए, मऊ पावरलूम के लिए, बरेली जारी वर्क के लिए, हाथरस हींग के लिए, चित्रकूट लकड़ी के खिलौने के लिए, मुरादाबाद मैटल क्राफ्ट के लिए प्रसिद्ध है। इसी के अनुसार वहां के उद्योगों का विस्तार किया जाएगा।
सवाल: निवेश के लिए पहली आवश्यकता भूमि है। निवेशकों को भूमि उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में सरकार की क्या योजना है?
अनूप: जी हां, यह सच है कि भूमि, निवेश की प्राथमिक आवश्यकता है। सरकार इस आवश्यकता के विषय में गम्भीर है। इस समय करीब 7,500 एकड़ जमीन उपलब्ध है। लैण्डबैंक के लिए सप्लीमेंट्री फंड बनाने से जुड़े प्रस्ताव भी विचाराधीन हैं। यही नहीं लैण्डबैंक बढ़ाने के लिए सरकार कई अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही है। इसमें सरकारी जमीन बाजार दर पर उद्योगों को देने का प्रस्ताव भी है। इसके अलावा राजस्व विभाग को प्राइवेट इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना के लिए जरूरी छूट देने और एग्रो प्रोसेसिंग व सोलर मेगा पार्क के लिए जमीन लीज पर देने के प्रावधान पर भी विचार हो रहा है।
सवाल: अनुभव बताता है कि देश के सभी विकसित क्षेत्र आईटी हब हैं। चाहे वह बेंगलुरु हो या याकि मुम्बई। तो क्या प्रस्तावित यूपी इन्वेस्टर्स समिट में आईटी कम्पनियों और इलेक्ट्रॉनिक मैनुफैक्चरिंग कम्पनियों की आने की उम्मीद है?
अनूप: देखिये, निवेश के साथ-साथ यूपी इन्वेस्टर समिट में प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक हब के रूप में नयी पहचान मिलेगी। आईटी कम्पनियों के साथ इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियों ने भी प्रदेश में निवेश करने की इच्छा जाहिर की है। प्रदेश में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक के लिए बनी नयी पॉलिसी भी देश-विदेश से निवेशकों को लुभा रही है। इसमें सैमसंग एलजी वीवो ओप्पो आदि जैसी बड़ी कम्पनियां भी शामिल हैं। इन्वेस्टर समिट में आईटी और इलेट्रॉनिक सेक्टर में 26 हजार करोड़ का निवेश होने की उम्मीद है। सैमसंग ने यूपी में समिट के बाद नयी फैसिलिटी उत्तर प्रदेश में लगाने का निर्णय लिया है। हर महीने 12 लाख मोबाइल फोन कम्पनी द्वारा बनाए जाएंगे। इसके अलावा एलईडी मैन्युफैक्चरिंग के भी कई प्लांट लगने की उम्मीद है। इससे जहां प्रदेश को राजस्व को फायदा पहुंचेगा तो युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। इंडस्ट्रियल समिट में नामी कम्पनी सैमसंग, टीसीएस, लावा आदि के आला अधिकारी भी मौजूद होंगे। इनके साथ केन्द्र सरकार के आईटी मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद भी मौजूद होंगे। वैसे तो अधिकतम निवेश नोएडा, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के आसपास होने की उम्मीद है। लेकिन कम्पनियों ने लखनऊ में निर्मित आईटी सिटी और अन्य शहरों में भी दिलचस्पी दिखाई है।
सवाल: उ.प्र. के सामथ्र्यवान निवेश क्षेत्र के रूप में किन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है?
अनूप: सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश निवेश के लिए तैयार है। पूर्वांचल, बुंदेलखण्ड, मध्यांचल, पश्चिमी यूपी व गाजियाबाद, नोएडा आदि को उनकी विशेषताओं और सम्भावनाओं के आधार पर अलग-अलग क्षेत्र में बांट कर निवेशकों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। निवेशकों को पूरे सूबे में निवेश अनुकूल सम्भावनाएं नजर आ रही हैं।
सवाल: उ.प्र. कृषि प्रधान प्रदेश है। क्या आप इन्वेस्टर समिट में कृषि और उसके सहयोगी उद्यान और पशुपालन क्षेत्रों में भी निवेश की कोई सम्भावना देख रहे हैं। देख रहे हैं तो किन कारणों से?
अनूप: इन्वेस्टर्स समिट में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए अनन्त सम्भावनाएं हैं। कृषि विभाग और उसके सहयोगी उद्यान और पशुपालन विभाग मिल कर इन सम्भावनाओं को और बढ़ा रहे हैं। हमारे पास फल और सब्जियों का सरप्लस स्टॉक है। सब्जी के उत्पादन में यूपी देश में नम्बर एक पर है, दूध के उत्पादन में भी यूपी शीर्ष पर बना हुआ है। यूपी में फूड प्रोसेसिंग में पूंजी निवेश की बहुत सम्भावना है खासतौर पर गेहूं,चावल, दलहन व तिलहन पर आधारित उद्योगों के लिए। पिछले साल आलू का 151 लाख मीट्रिक टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। इस साल उससे भी ज्यादा यानी 160 लाख मीट्रिक टन आलू होने की सम्भावना है। इसके अलावा आने वाले दिनों में इसे और बढ़ाने की योजना है। इसलिए देश-विदेश के निवेशकों के लिए अच्छा मौका है कि वे यूपी में अपनी यूनिट लगाएं।
सवाल: वस्त्रोद्योग में अपार सम्भावनाएं हैं किन्तु देश के सबसे बड़े प्रदेश में यह उद्योग दम तोड़ रहा है। क्या इसे पुनर्जीवित करने के लिए, इसे निवेशोन्मुखी बनाने के लिए सरकार ने विशेष सुविधाएं मुहैया कराई हैं?
अनूप: सरकार ने हथकरघा, वस्त्रोद्योग, रेशम तथा गारमेंट के क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य बनाया है। उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने इसके लिए उ.प्र. हैण्डलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एण्ड गारमेंटिंग पॉलिसी-2017 को मंजूरी दी है। इस पॉलिसी में पूर्वांचल, मध्यांचल तथा बुंदेलखण्ड के लिए विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे वस्त्रोद्योग सेक्टर में रोजगार में वृद्धि होगी। टेक्सटाइल क्षेत्र के श्रमिकों की आय बढ़ेगी। प्रदेश में निवेश आकर्षित होगा। नये-नये वस्त्र उद्योग लगेंगे। पॉलिसी में हथकरघा, वस्त्रोद्योग, रेशम की सभी उप शाखाएं जैसे रेशम चाकी, कोया उत्पादन, रीलिंग, स्पिनिंग, वीङ्क्षवग, निटिंग, डाईंग, प्रोसेसिंग के साथ ही गारमेंट जूट, औद्योगिक टेक्सटाइल, फर्नीचर लाइनिंग, बुलेटप्रूफ जैकेट, पैराशूट, लेदर गारमेंट, जूट तथा तकनीकी वस्त्रों को प्रोत्साहन दिया जाना शामिल है।
पॉलिसी में रीनिंग यूनिटों को बढ़ावा देने के लिए विशेष व्यवस्था है। लेदर गारमेंट के उत्पादन के क्षेत्र में कानपुर, उन्नाव तथा आगरा में रोजगार सृजन की अपार सम्भावना है। वस्त्रोद्योग के लिए भी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। जैसे सरकारी संस्थाओं द्वारा भूमि आवंटन पर सब्सिडी, निजी टेक्सटाइल औद्योगिक पार्कों को प्रोत्साहन, प्लग एंड प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा, वस्त्रोद्योग इकाइयों के लिए भूमि की खरीद पर स्टैम्प ड्यूटी में छूट, इकाई को जीएसटी में छूट, विद्युत दरों में छूट, मंडी शुल्क में छूट, ईपीएफ प्रतिपूर्ति, मेगा एवं सुपर मेगा वस्त्र उद्योग इकाइयों को विशेष सुविधा, हथकरघा बुनकरों के उत्पाद के विपणन में सहायता, मालभाड़े में प्रतिपूर्ति आदि सुविधाएं दी जाएंगी। उ.प्र. औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 में प्रावधान किए गए ईड ऑफ डूईंग बिजनेस के सभी प्रावधान इस वस्त्र नीति में लागू माने जाएंगे। समयबद्ध मापदण्डों के अनुरूप स्वीकृतियां और सुविधाएं उद्यमियों को मिलेंगी।
यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की राह का ब्लू प्रिंट