जेटली ने खारिज किया नोटबंदी के आलोचकों को
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आलोचकों को खारिज करते हुए कहा, कि नोटबंदी का प्रतिकूल प्रभाव नहीं।
नोटबंदी के आलोचकों को खारिज करते वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि बड़े मूल्य के पुराने नोटों को बंद करने प्रभाव उतना प्रतिकूल नहीं है जैसा कहा जा रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि कर संग्रह, रबी की बुवाई समेत विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में तीव्र वृद्धि हुई है। पुराने 500 और 1,000 रूपये के नोटों को बैंकों में जमा करने की 50 दिन की समयसीमा समाप्त होने से पहले उन्होंने कहा कि नये नोटों को चलन में डालने के काम में बहुत प्रगति हो चुकी है। महत्वपूर्ण बात यह है, कि नोटबंदी को लेकर कहीं कोई उपद्रव नहीं हुआ।
वित्त मंत्री ने बातचीत में जीडीपी वृद्धि पर असर या राजस्व संग्रह में वृद्धि के कारण उनके 2017-18 के बजट में कर प्रस्तावों पर संभावित प्रभाव के बारे में कुछ भी अनुमान जताने से मना कर दिया।
नकद निकासी पर लगी सीमा हटाने के विषय में अरूण जेटली ने कहा, कि ‘इस बारे में निर्णय केंद्रीय बैंक विभिन्न पक्षों से परामर्श करके करेगा।’
नोटबंदी से अर्थव्यवस्था तथा जीडीपी वृद्धि पर पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को लेकर आलोचकों की आशंका के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस बारे में चीजें साफ है कि एक तिमाही या कुछ थोड़े समय के लिये इसका कुछ विपरीत प्रभाव पड़ेगा। लेकिन इसका इतना प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा जैसा कि कहा जा रहा था। लेकिन दीर्घकाल में आपको अर्थव्यवस्था के लिये योजना बनानी होगी। प्रणाली में जो बदलाव आ रहे हैं, इसका निश्चित तौर पर मतलब है कि बैंकों के पास और धन होगा, राजस्व बढ़ेगा और संभवत: जीडीपी का आकार बड़ा और साफ होगा।’ यह पूछे जाने पर कि राजस्व संग्रह में वृद्धि से आने वाले बजट में कराधान पर कोई प्रभाव पड़ेगा, पर उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आपको उसके लिये इंतजार करना होगा।' जब उनसे यह पूछा गया कि क्या सरकार नये नोटों को चलन में लाने की प्रक्रिया में मुद्रा की मात्रा कम करने के बारे में निर्णय करेगी,पर उन्होंने कहा, ‘इस बारे में रिजर्व बैंक को फैसला करना है और वे निश्चित तौर बाजार की जरूरतों से निर्देशित होंगे। लेकिन जहां तक सरकार का संबंध है निश्चित तौर पर कागजी मुद्रा कम होनी चाहिए और व्यापार का बड़ा हिस्सा वैकल्पिक डिजिटल और चैक के जरिये होना चाहिए। डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने वालों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसा लगता है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं।’
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि आठ नवंबर को 500 और 1,000 रूपये मूल्य के 15.4 लाख करोड़ रूपये चलन में थे और उसका बड़ा हिस्सा बैंकों के पास आ चुका है तथा रिजर्व बैंक के पास नकदी की किसी भी जरूरत को पूरा करने के लिये बड़ी मात्रा में मुद्रा उपलब्ध है। पहले ही इस ऐतिहासिक कदम का बड़ा लाभ देखा जा रहा है। काफी मुद्रा बैंकों में आयी है। इससे जहां आर्थिक गतिविधियों को मदद देने की बैंकों की क्षमता बढ़ी है, वहीं प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
19 दिसंबर तक आयकर संग्रह में 14.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई और रिफंड को हटाने के बाद भी संग्रह में शुद्ध वृद्धि 13.6 प्रतिशत रही। अप्रत्यक्ष कर संग्रह एक अप्रैल से 30 नवंबर के बीच 26.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उत्पाद शुल्क में 43.5 प्रतिशत, सेवा कर 25.7 प्रतिशत तथा सीमा शुल्क में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रत्यक्ष कर संग्रह एक अप्रैल से 19 नवंबर के बीच बढ़कर 5.57 लाख करोड़ रूपये पहुंच गया जो पिछले साल इसी अवधि में 4.87 लाख करोड़ रूपये था। यह बजट अनुमान का 65 प्रतिशत है।
अग्रिम कर भुगतान तीसरी तिमाही तक 14 प्रतिशत बढ़ा जो 2015-16 की इसी अवधि में 7.3 प्रतिशत बढ़ा था। टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 11.43 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। वहीं स्व-आकलन कर में 21.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले साल इसी दौरान इसमें 6.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आयकर संग्रह 19 दिसंबर तक बढ़कर 2.20 लाख करोड़ रूपये हो गया जो पिछले साल की इसी अवधि में 1.82 लाख करोड़ रपये था।
अरूण जेटली ने कहा, ‘आठ नवंबर को प्रधानमंत्री ने लोगों को नये नोट को चलन में लाने के दौरान होने वाली परेशानी के बावजूद देश से उनका समर्थन करने को कहा था। हम देश की जनता के आभारी हैं जिन्होंने बड़े व्यापक रूप से इसका समर्थन किया। आठ नवंबर को जितनी मुद्रा चलन में थी, उसका बड़ा हिस्सा आ चुका है और बाजार की जरूरत के हिसाब से बैंक नोट को चलन में लाया जाता रहेगा। बैंक तथा डाकघरों के जरिये अधिक-से-अधिक 500 रूपये के नोट जारी किये जा रहे हैं और इसीलिए हम बड़ी मात्रा में मुद्रा दे सकते हैं जिससे बैंक तथा एटीएम आपूर्ति और बढ़ा पाएंगे।’
वित्त मंत्री ने नोटबंदी के लाभ बताते हुए कहा, कि बैंकों के पास काफी मुद्रा आयी है और उसका कराधान तथा राजस्व संग्रह पर असर अभी से देखा जा रहा है। इससे बैंक की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी। कृषि उन क्षेत्रों में शामिल है जहां माना जा रहा था कि नोटबंदी का प्रभाव हुआ है लेकिन रबी फसल की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 6.3 प्रतिशत अधिक है। अब रबी फसल की बुवाई पिछले साल से अधिक है, जीवन बीमा कारोबार 213 प्रतिशत बढ़ा, अंतरराष्ट्रीय पर्यटन बढ़ा है, हवाई यात्री यातायात बढ़ा है, पेट्रोलियम खपत बढ़ी है, म्यूचुअल फंड में निवेश 11 प्रतिशत बढ़ा।’
और अंत में उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से कुछ क्षेत्र हैं जहां प्रतिकूल प्रभाव पड़ेंगे लेकिन आलोचकों ने जो अनुमान जताया था, उनको राजस्व संग्रह को लेकर युक्तिसंगत होना चाहिए। आकलन गलत हो सकता है लेकिन राजस्व सही है। कई संकेत मिल रहे हैं कि निश्चित रूप से आने वाले सप्ताह तथा महीनों में स्थिति पिछले छह सप्ताह के मुकाबले बेहतर होगी।'