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जनता के लिए समर्पित इस आईपीएस अधिकारी की कहानी बिल्कुल फ़िल्मों जैसी

साहूकारों द्वारा रहवासियों के शोषण की प्रथाओं को जड़ से खत्म करने वाला IPS अधिकारी

जनता के लिए समर्पित इस आईपीएस अधिकारी की कहानी बिल्कुल फ़िल्मों जैसी

Monday April 09, 2018 , 5 min Read

असरा गर्ग हैं वो अदर्श आईपीएस अधिकारी, जिन्होंने अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर तमिलनाडु के तिरुनेलवेली और आस-पास के इलाकों में फैली साहूकारों की शोषण करने वाली प्रथाओं का किया जड़ से खात्मा।

आईपीएस असरा गर्ग (फोटो साभार- द हिंदू)

आईपीएस असरा गर्ग (फोटो साभार- द हिंदू)


असरा गर्ग की मुहिम रंग लाई और आज के दौर में इलाके में इस तरह की कोई भी दमनकारी गतिविधि नहीं हो रही है। गर्ग अपनी टीम को उसके सहयोग के लिए पूरा धन्यवाद देते हैं। 

यूपीएससी की परीक्षा पास करके अधिकारी बनने का ख़्वाब, हमारे देश में एक रिवाज़ है। अधितकर लोग अधिकारियों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से रोमांचित होकर, सिस्टम से जुड़ना चाहते हैं और कई बार तो अधिकारी बनने के बाद सिस्टम में ख़ामी की दुहाई देकर, अपने कर्तव्यों के निर्वाहन में कमी को छुपाते हैं। लेकिन कुछ शख़्सियतें ऐसी होती हैं, जो सच्ची निष्ठा के साथ इस सम्मानित सर्विस से जुड़ती हैं और अपने दम पर समाज और हालात की सूरत बदलने का माद्दा रखती हैं।

आज हम आपके सामने ऐसे ही एक आदर्श अधिकारी की कहानी रखने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करके, तमिलनाडु के तिरुनेलवेली और आस-पास के इलाकों में फैली साहूकारों की शोषण की प्रथाओं को जड़ से ख़त्म कर, रहवासियों को एक लंबे बुरे दौर से निजात दिलाई। यह आदर्श आईपीएस अधिकारी हैं, असरा गर्ग। असरा गर्ग अपने वर्किंग ऑवर्स से परे जाकर लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उनकी मदद करते हैं। वह केस की तह में जाते हैं और न्याय दिलाने में जी जान लगा देते हैं। वह किसी राजनीतिक दबाव में नहीं आते हैं और बस अपना काम करते हैं।

लगभग एक दशक पहले तक, तमिलनाडु के तिरुनेलवेली के आस-पास के ग्रामीण इलाकों में यह स्थिति थी कि साहूकार, ब्याज़ पर पैसा देने के नाम पर ग़रीबों का शोषण करते थे। उधार के नाम पर बेहद ऊंची दरों पर ब्याज़ वसूल किया जाता था। दरअसल, रहवासियों के पास संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं था और इस वजह से वह लोन के लिए कुछ भी गिरवी रखने में सक्षम नहीं थे। यही वजह थी कि स्थानीय बैंक भी इन लोगों को लोन देने से गुरेज़ करते थे और इन लोगों के पास अनौपचारिक तौर पर ऊंची ब्याज़ दरों पर साहूकारों से उधार लेने के अलावा कोई चारा नहीं होता था। इस बात का ही नाजायज़ फ़ायदा साहूकार उठाते थे।

अंग्रेज़ी वेबसाइट क्विंट से मिली जानकारी के मुताबिक़, एक शख़्स ने एक दबंग साहूकार से 1.5 लाख रुपए उधार लिए। शर्त थी कि हर पंद्रह दिनों में उधार लेने वाले शख़्स को, मूलधन पर 15 प्रतिशत का ब्याज़ चुकाना होगा। नाम गोपनीय रखने की शर्त पर राज़ी होते हुए कथित शख़्स ने क्विंट को बताया कि हर दो हफ़्तों में ब्याज़ चुकाने की शर्त के बारे में उसे उधार लेने के दौरान नहीं बताया गया था।

उसने कहा कि बाद में यह जानकारी मिलने के बाद भी उसके पास कोई चारा नहीं था क्योंकि उधार देने वाला शख़्स काफ़ी शक्तिशाली था। उसने बुरे अनुभव बयान करते हुए बताया कि साहूकार के आदमी या यूं कहें कि गुंडे, उसके परिवार पर चौबीस घंटे नज़र रखते थे। इतना ही नहीं, घर के बाहर चिल्लाते रहते थे और गंदी-गंदी गालियां भी देते थे। शख़्स ने कहा कि ख़ुद को और परिवार को सुरक्षित रखने का कोई विकल्प ही नहीं जान पड़ता था।

2008 का वक़्त था, जब आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग ने इस प्रचलन को ख़त्म करने और लोगों की स्थिति सुधारने का फ़ैसला लिया। उन्होंने तय किया कि इन साहूकारों की दबंगई ख़त्म करके ही दम लेंगे। असरा ने पुलिस स्टेशन में बैठकर लोगों के शिकायत दर्ज कराने और फिर उसपर कार्रवाई का इंतज़ार करने के बजाय ख़ुद लोगों के पास जाकर उनकी हिम्मत बढ़ाना ज़रूरी समझा। लोगों के अंदर साहूकारों का डर था और ज़रूरी था कि कोई उनके आत्मविश्वास को मज़बूत करे और उन्हें न्याय के साथ-साथ सुरक्षा देने का भी वादा करे।

असरा ने यही किया भी। उन्होंने पीड़ितों से व्यक्तिगत तौर पर बात की और शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा। ऐसे कड़े अधिकारी और उसके सख़्त रवैये के बारे में जानकर इलाके के साहूकार सचेत हो गए। असरा गर्ग की मुहिम रंग लाई और आज के दौर में इलाके में इस तरह की कोई भी दमनकारी गतिविधि नहीं हो रही है। गर्ग अपनी टीम को उसके सहयोग के लिए पूरा धन्यवाद देते हैं। आपको बता दें कि असरा गर्ग ने न सिर्फ़ गैर-क़ानूनी तरीक़ों से वसूली की इस प्रथा को ख़त्म किया बल्कि तिरुनेलवेली, मदुरै और आस-पास के इलाकों में हत्या की गतिविधियों पर भी लगाम लगाई। उन्होंने कई पेशेवर हत्यारों को पकड़ा और लोगों को न्याय दिलाया।

लोगों की सेवा में सदैव तत्पर रहने की अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए असरा गर्ग ने हर पुलिस स्टेशन के बोर्ड पर अपना नंबर लिखवाया। जानकारी के मुताबिक़, असरा गर्ग पंजाब के पटियाला के रहने वाले हैं और वह इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। यह आक्रामक आईपीएस अधिकारी 2004 बैच का है। गर्ग की पहली नियुक्ति वेल्लोर ज़िले के तिरुपत्तुर में हुई थी और फ़िलहाल वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के साथ काम कर रहे हैं।

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