आपकी सेहत और खाने का रखे भरपूर ख्याल, 'GAIA'
कई वर्षों तक सौंदर्य उत्पादों के क्षेत्र में काम करने के बाद डाॅली कुमार ने वर्ष 2009 में दिल्ली में रखी नींवस्वस्थ और सेहतमंद जीवन के लिये प्राकृतिक सामग्री से तैयार होने वाले खाद्य पदार्थों का करती हैं निर्माण कलरबार काॅस्मेटिक्स के साथ सीओओ के पद पर नौकरी छोड़कर किया अपना उद्यम शुरूदेशभर में 20 हजार से भी अधिक स्टोर्स पर उपलब्ध है जीएआईए के तैयार किये हुए उत्पाद
एक मध्यवय की महिला से एक यात्रा के दौरान मुलाकात के दौरान सौंदर्य उत्पादों पर पानी की तरह पैसा बहाने क बावजूद स्वयं के बारे में अच्छा महसूस करने में असमर्थता ने डाॅली कुमार एक बहुत ही महत्वपूर्ण सबक सिखाया कि असली सौंदर्य कहीं भीतर से आता है और वह भी उस स्थिति में जब आप एक स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम हो रहे हों। डाॅली कुमार कहती हैं,
अगर आप स्पस्थ नहीं हैं तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने सौंदर्य उत्पादों का निर्माण या प्रयोग करते हैं। इसीलिये मैं सिर्फ सौंदर्य से परे कुछ करना चाहती थीं।
और सिर्फ इन्हीं वजहों के चलते डाॅली ने सौंदर्य उत्पादों के क्षेत्र पिछले कई वर्षों से काम कर रही थीं को छोड़कर उद्यमशीलता का रास्ता अपनाने के लिये प्रेरित किया। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए उन्होंने भारत के शीर्ष स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती से संबंधित खाद्य उत्पादों में से एक GAIA (जीएआईए) की स्थापना की।
ग्रीक भाषा में जीएआईए का मतलब प्रथ्वी की देवी होता है और अपने नाम के अनुरूप डाॅली की कंपनी के समस्त उत्पादों को तैयार करने में सिर्फ प्राकृतिक सामग्री का ही प्रयोग होता है। डाॅली कहती हैं, ‘‘पृथ्वी में पुर्नजनन की शक्ति होती है और मानव शरीर में भी उसी प्रकार पुर्नजन्म की शक्ति होती है। हमारे समस्त उत्पाद लोगों को स्वयं को युवा महसूस करने में मदद करने का इरादा लेकर तैयार किये गए हैं।’’
वर्ष 2009 में देश की राजधानी दिल्ली में एक बेहद मामूली शुरुआत से पार पाते हुए मात्र छः वर्षों के छोटे से समय में डाॅली और उनकी टीम जीएआईए को की उपस्थिति संपूर्ण भारत में महसूस करवाने में कामयाब रही हैं। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वे इस काम को ऐसे माहौल में सफलतापूर्वक करने में कामयाब रही हैं जब बाजार में केलोग्स और नैस्ले जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने इसी तरह के अन्य उत्पादों को लेकर बाजार में इनके मुकाबले कहीं बड़े आॅपरेशंस, संसाधनों और टीमों के साथ जोर-शोर से काम कर रही हैं।
डाॅली का लगातार चढ़ता करियर ग्राफ
डाॅली अपने उत्पादों की इस सफलता का श्रेय अपने करियर के दौरान मिले मूल्यों के अलावा कुछ नया करने के सतत जज्बे, गुणवत्ता, काम के प्रति जुनून और लोगों के प्रति सहानुभूति को देती हैं। उनकी नजरों में जीएआईए उनके स्वयं के व्यक्तित्व और सिद्धांतों का एक विस्तार है और उनके इस ब्रांड की सफलता की कहानी बहुत कुछ उनकी अपनी कहानी को प्रतिबिंबित करती हैं जैसे वे एक मैंनेजमेंट प्रशिक्षु से इसकी संस्थापक बनने में सफल रहीं।
वर्ष 1972 में दिल्ली में जन्मीं डाॅली ने नागपुर यूनिवर्सिटी से बैचलर आॅफ टैक्नोलाॅजी इन काॅस्मेटिंक इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की। उन्होंने एक प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में अपने करियर का आगाज किया और जल्द ही उन्हें कलरबार काॅस्मेटिक्स के साथ सहायक प्रबंधक के रूप में काम करने का मौका मिला जिसके बाद उन्होंने पलटकर पीछे नहीं देखा और सफलता के शिखर की ओर बढ़ती गईं। नए जमाने के सौदर्य प्रसाधन ब्रांड को तैयार करने में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसने उनकी भीतर छिपी उद्यमशीलता की भावना और धैर्य को बाहर लाने में मदद की।
कलरबार में सीओओ के पद पर पहुंचने के कुछ समय बाद ही डाॅली ने जीएआईए की स्थापना करने के इरादे से इस संस्थान को अलविदा कह दिया। इसके बाद से उन्होंने न सिर्फ अपना स्वयं का स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती से संबंधित उत्पादों का एक खुदरा ब्रांड स्थापित किया है बल्कि उन्होंने अपने पैत्रक संस्था के लिये उत्पादों का निर्माण करने वाली एक अन्य कंपनी ‘काॅस्मिक न्यूट्राकोस’ की भी स्थापना की है जिसमें ववे निदेशक का पद संभाल रही हैं। फिलहाल ‘काॅस्मिक न्यूट्राकोस’ भोजन को तैयार करने और उसे पैक करने के अलावा स्वास्थ्य सप्लीमेंट्स और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों का निर्माण करने के साथ-साथ देश के कई नामी ब्रांडों के लिये निजी लेबलिंग का काम करते हैं।
‘‘मेरा करियर कभी योजनाबद्ध तरीके से आगे नहीं बढ़ा। मैं ऐसे ही बड़ी हुई हूँ और बहुत जल्द ही मैं सौंदर्य के क्षेत्र में एक जैसा काम करके ऊब गई थी। और मुझे जल्द ही इस बात का अहसास हुआ कि लोगों को स्वास्थ्य का वादा करने वाला कोई निश्चित ब्रांड बाजार में मौजूद नहीं था। उस समय बाजार में बहुत भारी अंतर था और मैंने सुरक्षात्मक स्वास्थ्य देखभाल पर सप्लीमेंट्स और सब्सीट्यूट्स, दो कार्यक्षेत्रों पर काम करना प्रारंभ कर दिया।’’
डाॅली इस बात पर अफसोस जताती हैं कि भारत के लोग दिल का दौरा पड़ने पर कोई भी रकम खर्च करने को तैयार रहते हैं लेकिन सुरक्षात्मक स्वास्थ्य खाद्य पदार्थों पर किसी का ध्यान नहीं जाता।
रास्ते की चुनौतियां
अपने परिवार में पहली पीढ़ी की उद्यमी डाॅली कुमार व्यापार में अपने प्रारंभिक दिनों को याद करती हैं। उन्हें सही प्रतिभा को आकर्षित करना सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण लगा जो लोगों को उनके सपने बेचने में समर्थ हों। डाॅली कहती हैं, ‘‘मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि मैं भगवान की कृपापात्र रही हूँं।’’ इसके अलावा वे बताती हैं कि जब उन्हें अपने काम के लिये ठीक लोग मिले तो वे उनके साथ ही टिककर रह गए और आज भी उनके साथ ही काम कर रहे हैं।
वर्ष 2009-2010 में बाजार में उतरने के दो वर्षों के भीतर ही जीएआईए ने ब्रांड के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफलता पाई है। वर्तमान में इनके उत्पाद भारतवर्ष के 20 हजार से भी अधिक स्टोरों में बिक्री के लिये उपलब्ध हैं।
डाॅली कहती हैं, ‘‘खुदरा व्यापार फिर भी काफी कठिन काम है।’’ प्रारंभिक दिनों में वे और उनके साथी खुदरा स्टोर्स में अपने उत्पादों और उनके बारे में बन रही अवधारणा को जानने के लिये जाते। डाॅली बताती हैं, ‘‘उपभोक्ता कहते ‘ये तो लगता है आया और गया (जीएआईए) जैसा कोई उत्पाद है और इसका नाम भी कुछ वैसा ही है’। और जब विक्रेता इन्हें कहते ‘नया है पर चल रहा है और लोग इसे लेकर जा रहे हैं’ तो हमें प्रोत्साहन मिलता। धीरे-धीरे विक्रेताओं ने हमारा माल रखना प्रारंभ कर दिया और उपभोक्ताओं ने खरीदना।’’
विस्तार की योजनाएं
जीएआईए अब अपने उत्पादों की एक विशेष ‘हल्की’ श्रृंखला बाजार में उतारने की तैयारी में है जो मुख्यतः मधुमेह के मरीजों के लिये होगी। इसके अलावा वे खेल के शौकीनों के लिये एक श्रृखला तैयार करने का इरादा रखते हैं।
डाॅली जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के मामले में खुद को ही अपना रोल माॅडल मानती हैं। डाॅली कहती हैं, ‘‘जुनून, अनुशासन और कड़ी मेहनत, सये तीनों ही शीर्ष पर पहुंचने की सबसे बड़ी कडि़यां हैं।’’ वे कहती हैं कि वे काम और अपने जीवन में बीच बेहतरीन सुतंलन बनाए रखने के साथ ही शांतिपूर्ण जीवन बिता रही हैं। वे अपनी माँ और सास के अलावा उन लोगों से भी प्रेरणा लेती हैं जो उनके साथ काम करते हुए अपने परिवारों का पालन-पोषण कर रहे हैं।
उनके पति एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे ओहदे पर कार्यरत हैं और उनका बेटा हाल-फिलहाल में अपनी 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद एक बिजनेस स्कूल में पढ़ने के लिये विदेश गया है।
काम के अलावा डाॅली को संगीत सुनना बेहद पसंद है और व्यायाम और योग उनके लिये दूसरे सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत हैं। डाॅली कहती हैं, ‘‘इन सबसे ऊपर मैं विभिन्न स्थानों की यात्रा करने के अलावा नए-नए लोगों से मिलने और उनकीी संस्कृतियों को जानने में आनंद की अनुभूति करती हूँ।’’
लोग अबतक यह सोचते थे कि वे सिर्फ उपदेश देती हैं उन्हें उनकी इस सफलता से संकेत लेना चाहिये। वे एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर अपने ब्रांड के दर्शन ‘फील यंगर, लिव लाँगर’ को जीने का प्रयास कर रही हैं।