कहीं आने जाने में नो फिकर, ‘360 कैब’ पहुंचाएगा मंजिल तक
July 08, 2015, Updated on : Thu Sep 05 2019 07:20:58 GMT+0000

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कई बार इंसान अपनी परेशानियों का हल ढूंढते ढूंढते दूसरों की भी परेशानियों को दूर कर देता है। कुछ ऐसा ही किया लोकेश बेवारा ने। जिन्होने शुरू की 360 कैब। इस काम को शुरू करने से पहले उनको टैक्सी ढूंढने के लिए कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। जब वो कोई टैक्सी बुक कराते तो ना तो उनको टैक्सी बुकिंग के बारे में सही जानकारी मिलती थी और ना ही ड्राइवर की सही स्थिति का पता होता था। इसके अलावा किराये में पारदर्शिता का काफी अभाव था साथ ही साथ सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा था। उन्होने अपने दोस्तों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की तब उनको पता चला कि ऐसी ही दिक्कतें उनके दूसरे दोस्तों को भी उठानी पड़ती है। इसी बात से प्रेरणा लेकर लोकेश ने कैब एजेंसी शुरू करने के बारे में सोचा। लोकेश इस बात से हैरान थे कि समस्या की मूल जड़ टैक्सी बुकिंग को लेकर है। इसे लेकर ग्राहकों में काफी असंतोष रहता है और इस काम को तकनीक से दूर किया जा सकता है। लोकेश जान गए थे कि सही समाधान वर्तमान और भविष्य की दिक्कतों को दूर करने के साथ किफायती कीमत पर 360 कैब एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

असंगठित टैक्सी एजेंसियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था खासतौर से अगर उनके बेडे में 50 से 100 कारें हो तो। इन मुश्किलों में कुशलतापूर्वक बुकिंग संभाल पाने में ये लोग असमर्थ थे क्योंकि इनके पास अपनी कारों की सही उपलब्धता या किस जगह पर वो हैं इसका पता नहीं चल पाता था ताकि वो बुकिंग करते वक्त ग्राहक को सही जानकारी दे सकें। वक्त पर ग्राहकों को कार भेजने में ये लोग असमर्थ रहते थे। ये लोग अपना कारोबार तो बढ़ाना चाहते थे लेकिन उस तक पहुंच नहीं पाते थे। 360 कैब ने ऐसी सब मुश्किलों को बड़े ही शानदार तरीके से दूर किया उन्होने सबसे पहले एक सॉफ्टवेयर की मदद ली। जिसमें इन सब परेशानियों का हल मौजूद था। ये शुद्ध रूप से भारतीयों की जरूरतों को ध्यान में रख कर तैयार किया गया उत्पाद था।
360 कैब उन चुनिंदा टैक्सी एजेंसियों में से एक है जिसमें सबसे पहले बाजार में इस तरह दस्तक दी थी। जिसने इस बाजार को समझा और तकनीक के साथ उसको जोड़ काफी दिक्कतों को दूर किया। फिलहाल ये भारत को ध्यान में रखकर तैयार किया गया एक उत्पाद है लेकिन भविष्य में इसमें कई और फीचर जोड़े जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में लोकेश और उनकी टीम को उम्मीद है कि इससे मौलिक परिवर्तन आएगा। 360 कैब फिलहाल बेंगलौर और हैदराबाद में ग्राहकों को अपनी सेवाएं दे रही है उम्मीद की जा रही है कि अगले साल तक 3 और शहरों को इस सेवा के साथ जोड़ दिया जाएगा। कंपनी की सेल्स का काम इसके सह संस्थापकों ने ही संभाल रखा है लेकिन मार्केटिंग के लिए ये लोग नई टीम का गठन कर रहे हैं। इस सेवा का इस्तेमाल लोग एक दूसरे से मिल रही जानकारी के आधार पर कर रहे हैं क्योंकि इन लोगों का कहना है कि इनका लक्ष्य हर ग्राहक को संतोष प्रदान करना है।

'360 कैब'' की टीम
360 कैब सदस्यता आधारित मॉडल पर काम कर रहे हैं। जहां पर ये हर कैब से हर महिने प्रीमियम चार्ज करते हैं। लोकेश के मुताबिक वो चाहते थे कि कोई ऐसा सॉफ्टवेयर उत्पाद बनाये जो लोगों की जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित हो। अंततः ऐसे चीजों का उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लोकेश को विश्वास है कि अगर आप किसी चीज को करना चाहते हैं तो उसमें आप अपना सब कुछ झोंक दें, उस चीज पर अपना ध्यान लगाये रखें और सबसे बड़ी बात कि हिम्मत ना हारें। उद्यमी होने के नाते उनका कहना है कि जिंदगी में उतार चढ़ाव आते रहते हैं और सबसे अच्छी बात ये है कि हमें हर चीज में मजे लेने चाहिए। कोई भी असफलता से सीख ले सकता है और उस कमी को दूर कर सफल उद्यमी बन सकता है।
लोकेश के मुताबिक उनकी टीम काफी अच्छी है। इस टीम में दो सह-संस्थापक और तीन सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। लोकेश के अलावा टीम में सह-संस्थापक के तौर पर वीराप्रसाद भी है। जिनके पास टेलिकॉम और एम्बेडेड डोमेन के क्षेत्र में 10 सालों का अनुभव है। जबकि लोकेश डेवलपिंग इंटरप्राइजेस एप्लिकेशन में छह साल का अनुभव है। जबकि टीम के बाकि सदस्य अत्यंत उत्साही, बेहद ऊर्जावान है जो तय वक्त पर मुश्किल से मुश्किल काम को पूरा करने का माद्दा रखते हैं। इनकी टीम एकजुट होकर काम करती है यही कारण है कि इस क्षेत्र में इनका अलग मुकाम है। लोकेश ने आईआईटीबी से स्टैनफोर्ड और मास्टर्स में पढ़ाई की है। उनको नई बातों को जानना, मानव व्यवहार, उद्योगों से जुड़े मामलों और चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं को सीखना अच्छा लगता है। 360 कैब की योजना कैब एजेंसियों को वक्त और आय के मामले में और ज्यादा बेहतर बनाना है। इसके अलावा अपने काम में ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता, विश्वास और सुरक्षा पर ध्यान देना है। लोकेश को उद्यमी के गुण अपने पिता से हासिल हुए हैं। जिन्होने तीस साल की उम्र में कानून की पढ़ाई ना सिर्फ पूरी की बल्कि जिला जज तक की कुर्सी तक पहुंचे। यही वजह है कि लोकेश के पिता उनके लिए किसी रोल मॉडल से कम नहीं हैं।
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