Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

कैसे एक चाय बनाने वाला शख्स बन गया चार्टर्ड अकाउंटेंट? महाराष्ट्र सरकार ने बनाया ‘अर्न एंड लर्न’ स्कीम का ब्रांड एंबेस्डर

कैसे एक चाय बनाने वाला शख्स बन गया चार्टर्ड अकाउंटेंट? महाराष्ट्र सरकार ने बनाया ‘अर्न एंड लर्न’ स्कीम का ब्रांड एंबेस्डर

Sunday November 13, 2016 , 6 min Read


बैंकिंग और फायनेंस में पुणे के साहु कॉलेज से बीए पास किया....

बीए में मराठी चुनने पर कई लोगों ने सीए ना कर पाने की बात की...

सरकार ने ‘अर्न एंड लर्न’ स्कीम का ब्रांड एंबेस्डर नियुक्त किया...


जो लोग असफलता के बाद ज़िंदगी में संसाधनों का रोना रोते हैं वो दरअसल संसाधनों पर नहीं अनजाने में अपनी कमियों पर रोते हैं, वो अपनी गलतियां छुपाते हैं, उनकी मेहनत में कहीं कोई ऐसी चीज रह जाती है जिसकी वजह से वो परिणाम तक नहीं पहुंच पाते हैं। अभी जिस कहानी से हम आपको रू-ब-रू करा रहे हैं उसको पढ़ने के बाद यक़ीन हो जाएगा कि हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, लगन के साथ सही दिशा में मेहनत करते रहें, मंजिल मिलेगी-तय है। 

ये कहानी 28 साल के सोमनाथ गिराम की है। उस सोमनाथ गिराम की, जिसको लोग कुछ दिन पहले तक चाय बेचने वाले के तौर पर जानते थे। उस सोमनाथ की, जिसकी दुकान पर लोग चाय पीने जाते थे और अपनी पसंद की चाय बनवाते पैसे देते और चलते बनते। उस सोमनाथ की, जिससे कभी कोई ये नहीं पूछता कि वो जीवन में क्या करेगा। लेकिन चंद दिनों के भीतर ही ऐसा क्या हुआ कि उनकी पहचान बदल गई..? जी हां, अब उनकी चाय बेचने वाली ये पहचान बदल गई है। अब फिर से सुनिए उनका परिचय। नाम-सोमनाथ गिराम, पुणे के सदाशिव पेठ में चाय बेचते हैं लेकिन चाय बेचते-बेचते उन्होंने ऐसा कुछ कर दिखाया कि आज उनसे मिलने वालों की यहां लंबी कतार लगी है लेकिन लोगों का ये तांता चाय पीने के लिए नहीं, उन्हें बधाई देने के लिए है। सोमनाथ गिराम अब चाय वाले से चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गए हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट सोमनाथ गिराम। कल तक लोगों को चाय पिलाने वाले, साधारण सा दिखने वाले इस चाय वाले ने बेहद कठिन माने जाने वाली सीए की परीक्षा पास कर ली है। सोमनाथ को फाइनल परीक्षा में 55 फीसदी अंक हासिल हुए। 

image


कहते हैं खुशियां आने लगती हैं तो न सिर्फ घर के दरवाज़े से आती हैं बल्कि उसे जहां से जैसे मौका मिलता है घर में दाखिल हो जाती हैं। सोमनाथ गिराम के लिए दोहरी खुशियां एक साथ आई। इधर सीए का रिजल्ट और उधर राज्य सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र सरकार की ‘अर्न एंड लर्न’ स्कीम का ब्रांड एंबेस्डर नियुक्त करने की घोषणा कर दी। अब सोमनाथ गिराम न सिर्फ महाराष्ट्र के बल्कि पूरे देश के वैसे छात्रों के लिए आदर्श बन गए हैं जो संसाधन की कमी की वजहों से पढ़ाई नहीं कर पाते, लेकिन पढ़ाई को छोड़ना भी नहीं चाहते। राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने योर स्टोरी को बताया, ये काफी सुखद खबर है कि एक चाय बेचने वाले ने सीए जैसी कठिन परीक्षा पास की है, हमने उनका सत्कार किया है। शिक्षा मंत्री तावड़े ने चुटकी लेते हुए कहा कि आजकल देश में चाय बेचने वालों के लिए अच्छे दिन चल रहे हैं, नरेंद्र भाई पीएम की कुर्सी तक पहुंचे तो सोमनाथ ने सीए जैसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की है। तावड़े ने कहा, 

सीए की परीक्षा पास करने पर राज्य सरकार ने ये फैसला किया है कि हम सोमनाथ को ‘लर्न एंड अर्न’ स्कीम का ब्रांड अम्बेस्डर बनाएंगे ताकि ऐसे अन्य छात्रों को इससे प्रेरणा मिले।

महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के एक छोटे से गांव सांगवी के रहने वाले सोमनाथ में बचपन से ही पढ़-लिख कर कुछ बनने की चाहत थी। लेकिन गरीबी की वजह से उनकी पढ़ाई नहीं हो पाई। घर की गरीबी दूर करने के लिए सोमनाथ को कमाई के लिए अपने गांव से बाहर जाना पड़ा। कहते हैं गरीबी की भूख बहुत खतरनाक होती है। ऐसे में लम्बे समय तक खाना न मिले तो सामने वाला कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। जब सोमनाथ को कुछ समझ नहीं आया तो उन्होंने पुणे के सदाशिव पेठ इलाके में एक छोटी सी चाय की दुकान खोल दी। इससे जैस-तैसे सोमनाथ और उनके घर वालों का गुजारा चलने लगा, लेकिन सोमनाथ के अंदर पढ़ने की जो ललक थी वो विषम परिस्थितियों के बावजूद भी जिंदा थी। चाय की दुकान से थोड़े पैसे आने लगे तो पढ़ाई की उनकी उत्कट इच्छा और बलबती होने लगी। सोमनाथ ने एक लक्ष्य साधा। सीए करने का फैसला किया और इसके लिए कठिन परिश्रम करना शुरु किया। दिन के वक्त पढ़ने का टाइम नहीं मिलने पर वो रात-रात जाग कर परीक्षा के लिए तैयारी करते और नोट्स बनाते।

इस कहानी को भी पढ़ें:

दिल्ली में ऐसा बैंक जहां रुपये-पैसे नहीं, रोटियां होती हैं जमा, कोई भी खा सकता है खाना
image


योर स्टोरी से बात करते हुए सोमनाथ गिराम ने बताया, 

मुझे ये विश्वास था कि सीए की परीक्षा जरुर पास करुंगा। हालांकि सब बोलते थे कि ये बहुत मुश्किल है तुम नहीं कर पाओगे। कई लोगों ने तो यहां तक कहा कि चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के लिए अच्छी अंग्रेजी की जरुरत होगी। क्योंकि मुझे मराठी के अलावा अच्छी हिन्दी भी नहीं आती थी। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। कोशिश करता रहा। पहले मैंने बैंकिग एंड फायनेंस में मराठी माध्यम से ही बीए पास किया। और आज मेरा सपना पूरा हुआ।
image


एक गरीब परिवार में जन्में सोमनाथ के पिता, बलिराम गिराम एक साधारण किसान हैं। महाराष्ट्र में किसानों की खराब हालत से वाकिफ सोमनाथ ने बहुत पहले ही ये सोच लिया था कि अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कुछ बड़ा करना होगा। और यहीं से शुरु हुआ सीए बनने के सपने का सफर। 2006 में सोमनाथ अपने गांव सांगवी से पुणे चले गए जहां उन्होंने साहु कॉलेज से बीए की परीक्षा पास की। बीए पास करने के बाद सीए करने के लिए जरुरी आर्टिकलशिप में लग गए। इस बीच उन्हें पैसे की दिक्कत होने लगी। सोमनाथ ने योर स्टोरी को बताया, 

एक ऐसा वक्त भी आया जब मुझे लगा कि मैं अब सीए नहीं कर पाऊंगा। पैसे को लेकर काफी तंगी चल रही थी, घर वालों के लिए भी मुश्किल थी लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। और चाय की दुकान शुरु किया। चाय की दुकान ने पुणे में रहने के लिए खर्चे की चिंता दूर कर दी और मेरा सीए बनने का सपना पूरा हो गया। 

राज्य सरकार द्वारा ब्रांड एंबैस्डर नियुक्त किए जाने पर योर स्टोरी से अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सोमनाथ ने कहा, 

‘मैं बहुत खुश हूं कि राज्य सरकार ने मुझे ‘‘कमाओ और शिक्षा ग्रहण करो’’ (अर्न एंड लर्न) योजना का ब्रांड एंबैस्डर नियुक्त किया है।’’

अपनी सफलता का श्रेय घर वालों को देते हुए सोमनाथ कहते हैं कि उनकी सफलता के पीछे घर वालों का काफी योगदान है, उनलोगों ने हमेशा मेरे उपर भरोसा रखा। आज सोमनाथ के आंखों में उनके सपने पूरे होने के बाद की निश्चिंतता देखी जा सकती है। काफी लंबे सफर के बाद सोमनाथ ने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं आगे सोमनाथ का इरादा गरीब बच्चों को शिक्षा में मदद करने का है।

सोमनाथ के इस जज्बे को योर स्टोरी का सलाम, जीवन में और बेहतर करने के लिए सोमनाथ को हमारी शुभकानाएं।


ऐसी ही और प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ने के लिए हमारे Facebook पेज को लाइक करें

अब पढ़िए ये संबंधित कहानियाँ:

1. दादा जी की मौत के बाद 6 साल की बच्ची ने चलाई मुहिम, 11 साल की उम्र में हज़ारों की सिगरेट छुड़वाकर दी नई 'दिशा'

2. भूख मुक्त भारत बनाने की कोशिश है “भूख मिटाओ” कैम्पेन, अब तक जुड़ चुके हैं 1800 बच्चे

3. सूरज की तपिस से जमी रहेगी आइसक्रीम और ठंडा रहेगा पानी