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मंदिर में दूध की बर्बादी रोकने के लिए युवाओं का उपाय, अनाथों का भरा पेट

मंदिर में चढ़ाये जाने वाले दूध की बर्बादी को इस तरह रोका युवाओं ने...

मंदिर में दूध की बर्बादी रोकने के लिए युवाओं का उपाय, अनाथों का भरा पेट

Tuesday February 20, 2018 , 4 min Read

करण का मानना है कि जहां देश में लाखों लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पाती वहां मंदिर में दूध चढ़ाना संसाधन की बर्बादी और गरीबी का मजाक उड़ाना है। उन्होंने इसके लिए अपने दोस्तों और क्लासमेट्स के साथ बातचीत की और इस नतीजे पर पहुंचे कि किसी तरह मंदिर में चढ़ने वाले दूध की बर्बादी को रोका जाए।

मंदिर में लगा दूध बचाने का स्टैंड

मंदिर में लगा दूध बचाने का स्टैंड


इस पूरे दूध को सत्यकाम मानव सेवा समीति को दे दिया गया। यह संगठन अनाथ और एचआईवी पॉजिटिव बच्चों की भलाई के लिए काम करता है। शिवरात्रि के बाद भी यह सिस्टम मंदिर समिति को सौंप दिया गया। ताकि बाद में भी इसका उपयोग किया जा सके।

मेरठ में रहने वाले 24 वर्षीय करण गोयल के परिवार वाले जब भी उन्हें शिव मंदिर में पूजा करने के लिए ले जाते थे तो वे सीधे मना कर देते थे। करण का मानना है कि जहां देश में लाखों लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पाती वहां मंदिर में दूध चढ़ाना संसाधन की बर्बादी और गरीबी का मजाक उड़ाना है। उन्होंने इसके लिए अपने दोस्तों और क्लासमेट्स के साथ बातचीत की और इस नतीजे पर पहुंचे कि किसी तरह मंदिर में चढ़ने वाले दूध की बर्बादी को रोका जाए। करण ने एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जिसकी मदद से बिना किसी की धार्मिक भावना आहत किए मंदिर में चढ़ाए दूध को गरीबों के लिए इस्तेमाल में लाया जा सके।

सिस्टम तो तैयार हो गया, लेकिन अब बारी थी मंदिर के पुजारी को इस बात के लिए मनाने की। इस बार शिवरात्रि के मौके पर ग्रुप के सभी युवाओं ने मेरठ के बीलेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी से बात की और मंदिर परिसर के अलावा सभी श्रद्धालुओं को भी इस बात से अवगत कराया। शिवरात्रि के मौके पर लगभग 100 लीटर दूध बचाया गया और उसे गरीबों और अनाथ बच्चों में बांटा गया। करण ने कहा, 'निशांत सिंहल, अनमोल शर्मा, अंकित चौधरी, चर्चित कंसल और मैं 2012 में मेरठ पब्लिक से 12वीं पास हुए थे। बाद में पढ़ाई के सिलसिले में सब अलग-अलग शहरों में चले गए। लेकिन कई मौकों पर हमारी मुलाकात होती रही। इन्हीं मुलाकातों में हमने इस बात का जिक्र किया था।'

करण ने कहा, 'श्रद्धालु पहले सीधे शिव लिंग पर दूध चढ़ाते थे। हमने शिव लिंग के ऊपर एक कलश रख दिया। उस कलश में दो सुराख किए गए। कलश की क्षमता 7 लीटर है। सिस्टम कुछ ऐसा तैयार किया गया जिससे शिवलिंग के ऊपर से जाने के बाद दूध एक अलग बर्तन में इकट्ठा होता रहे। यह पूरा सिस्टम स्टील के स्टैंड पर फिट किया गया था।' उन्होंने बताया कि इस सिस्टम को तैयार करने में सिर्फ 2,500 रुपये का खर्च आया। करण ने फेसबुक पर 'भारत भुखमरी के खिलाफ' (India Against Hunger) के नाम से एक पेज भी बनाया है। पेज पर इस सिस्टम के वीडियो अपलोड किए गए हैं।

करण के दोस्त और ग्रुप के सदस्य निशांत सिंघल का कहना है कि देश के सभी मंदिरों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे अन्न की बर्बादी रोकी जा सके। निशांत अभी मेरठ के ही एक कॉलेज से बीसीए कर रहे हैं। शुरुआती चरण में मॉडल की टेस्टिंग करने के बाद युवाओं ने पराग मिल्क फूड्स से संपर्क किया और दूध की गुणवत्ता की जांच कराई। अनमोल शर्मा ने कहा, 'हमें बताया गया था कि दूध तभी सुरक्षित रह सकता है जब उसे स्टील के बर्तन में स्टोर किया जाए। हमने श्रद्धालुओं से पहले ही कहा था कि वे शिवलिंग पर चढ़ाने वाले दूध में कुछ मिलाकर न लाएं। पम्फलेट्स बांटकर हमने लोगों में इस बात की जागरूकता फैलाई थी।' अनमोल भी मेरठ से ही ग्रैजुएशन कर रहे हैं।

शिवरात्रि के एक दिन पहले इस सिस्टम को साकेत शिव मंदिर में चेक किया गया था। ग्रुप के सभी सदस्यों को उम्मीद थी कि शिवरात्रि के दिन लगभग 50 लीटर दूध तो इकट्ठा ही हो जाएगा। लेकिन उन्हें आश्चर्य हुआ जब उनकी उम्मीद से भी बढ़कर 100 लीटर दूध इकट्ठा हो गया। इस पूरे दूध को सत्यकाम मानव सेवा समीति को दे दिया गया। यह संगठन अनाथ और एचआईवी पॉजिटिव बच्चों की भलाई के लिए काम करता है। शिवरात्रि के बाद भी यह सिस्टम मंदिर समिति को सौंप दिया गया। ताकि बाद में भी इसका उपयोग किया जा सके। ग्रुप के अंकित चौधरी ने कहा कि दूध को गरीब बच्चों के लिए इस्तेमाल किया गया।

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