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उत्पीड़न का शिकार हुई 21 साल की नुपूर ने बनाया बैंगलोर का 'खास' मैप, एक क्लिक से मिलेगी संवेदनशील इलाकों की जानकारी

उत्पीड़न का शिकार हुई 21 साल की नुपूर ने बनाया बैंगलोर का 'खास' मैप, एक क्लिक से मिलेगी संवेदनशील इलाकों की जानकारी

Monday December 09, 2019 , 4 min Read

"नुपूर बैंगलोर के सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी की छात्रा हैं। उन्होंने बैंगलोर शहर का एक 'अनोखा' मैप बनाया है। अनोखा इसलिए क्योंकि इस मैप में उन जगहों को खासतौर पर इंगित किया है जहां रेप, छेड़छाड़ और हैरेसमेंट की घटनाएं अधिक होती हैं।"

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नुपुर


पिछले हफ्ते भर में देश के कई राज्यों से दर्जनों रेप की खबरें आई हैं। देश में महिलाओं के लिए सेफ्टी और सिक्यॉरिटी एक अंतिसंवेदनशील स्थिति में पहुंच चुकी है। सरकार ने इसके लिए कई तरह के कानून बना रखे हैं लेकिन उनका सही से पालन ना होने के कारण कहीं ना कहीं रेप और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। सरकार के अलावा कई युवा भी हैं जो अपने स्तर पर तकनीक और इंटरनेट की मदद से ऐसी घटनाओं को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। बैंगलोर की रहने वाली 21 साल की नुपूर पाटनी भी ऐसे ही युवाओं में शामिल हैं।


नुपूर बैंगलोर के सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी की छात्रा हैं। उन्होंने बैंगलोर शहर का एक 'अनोखा' मैप बनाया है। अनोखा इसलिए क्योंकि इस मैप में उन जगहों को खासतौर पर इंगित किया है जहां रेप, छेड़छाड़ और हैरेसमेंट की घटनाएं अधिक होती हैं। यानी ऐसे इलाके जो सेक्शुअली हैरेसमेंट के लिहाज से अतिसंवेदनशील हैं। इस नक्शे में उन जगहों को पॉइंट आउट किया गया है जहां यौन उत्पीड़न की घटनाएं अधिक होती हैं।


इस मैप का नाम 'इट्स नॉट माई फॉल्ट' है। नुपुर यह दावा करती हैं कि इस मैप से शहर की महिलाओं के बीच हैरेसमेंट की अधिकता वाले इलाकों के बारे में जागरूकता पैदा हो सकेगी। यानी महिलाएं जान सकेंगी कि शहर में छेड़छाड़ और उत्पीड़न के लिहाज सबसे खतरनाक इलाके कौनसे हैं। साथ ही इसके जरिए आसपास की महिलाओं और पुलिस के बीच एक नेटवर्क तैयार किया जा सकता है।


दी लॉजिकल इंडियन से बात करते हुए नुपुर कहती हैं,

'मैप को बनाना मेरे एग्जाम का ही एक पार्ट है। मैं यह चेक कर रही हूं कि क्या महिलाएं छेड़छाड़, जबरदस्ती, यौन उत्पीड़न जैसे हैरेसमेंट को रिपोर्ट करती हैं या नहीं? यह मेरा एकेडैमिक प्रोजेक्ट है। मेरा प्रोजेक्ट मोबाइल के कैमरे में एक अलग से फीचर जोड़ने के बारे में है जो घटना के बाद महिला के लिए मददगार साबित हो सके। मैप के जरिए पीड़िता शहर में हैरेसमेंट की अधिकता वाले क्षेत्रों को रिपोर्ट कर सकती हैं। इससे जिन महिलाओं का अभी ऐसी घटनाओं से सामना नहीं हुआ है, उन्हें खतरे और पुलिस के बारे में अलर्ट कर सकती हैं।'



नुपुर कहती हैं कि उन्होंने इसी साल अगस्त महीने में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया था और अभी भी इस पर काम कर रही हैं। जब उन्होंने अपने प्रोजेक्ट को बैंगलोर में विमेन्स राइट्स कॉन्फ्रेंस में सबके सामने रखा तो अधिकारियों ने इसकी खूब तारीफ की थी। नुपुर आगे कहती हैं, 'इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के पीछे मेरा निजी अनुभव है। एक दिन एक अनजान शख्स ने मैजेस्टिक मेट्रो स्टेशन पर मेरा पीछा किया। इसने मुझे काफी डरा दिया। वह एक पब्लिक स्पेस था और मैं अपने दोस्तों के साथ थी। फिर भी मैं हैरेसमेंट का शिकार बनी। सबसे बुरा तो यह था कि मैं इसे रिपोर्ट भी नहीं कर सकती थी।'


ऐसे हैरेसमेंट के मामलों में आमतौर पर महिलाएं बाहर नहीं आतीं और ना ही रिपोर्ट करती हैं। इसके कारण ये मामले रफा-दफा हो जाते हैं और ऐसा करने वाले बेखौफ घूमते रहते हैं।


 इस पहल के बारे में बताते हुए बैंगलोर शहर पुलिस अधिकारियों ने सुनिश्चित किया कि वे इस गहन अध्ययन में नुपुर की मदद करेंगे और इसके लिए अच्छा ऐक्शन लेंगे। इस मैप को बनाने के लिए नुपुर सबसे पहले बैंगलोर के कुब्बन पार्क और सभी मेट्रो स्टेशन गई। वहां सार्वजनिक जगहों पर शहर का मैप चिपका दिया। ताकि महिलाएं स्टिकी नोट के जरिए मैप पर उन स्थानों को मार्क करें जो हैरेसमेंट के लिहाज से खतरनाक हैं। इससे नुपुर को यह जानने में मदद मिली कि शहर की किस जगह पर कितने हैरेसमेंट केस हुए हैं।


नुपुर कहती हैं कि हालांकि सेक्शुअल हैरेसमेंट और छेड़छाड़ को लेकर कठोर कानून है लेकिन ऐसे मामलों में अधिकारियों का रवैया एकदम उदासीन होता है। एक बार परीक्षा पूरी हो जाएं, इस एक्सटेंशन को गूगल कैमरे के जरिए हर स्मार्टफोन पर चालू किया जाएगा।