चार दोस्तों ने शुरू की थी कंपनी, आज कर रहे हैं करोड़ों का कारोबार
बिजनेस में दो बार की असफल कोशिशों, लाखों रुपए गंवा बैठने के बाद, तीसरे दौर में गुरुग्राम के चार दोस्तों की कंपनी 'मिल्क बास्केट' ने बाजार का विश्वास जीत लिया है। कंपनी अब एक अरब डॉलर के लक्ष्य की ओर है। दो दिन पहले ही कंपनी ने 72.73 करोड़ रुपए और जुटा लेने का ऐलान कर अपने कम्पटीटर्स को चौंका दिया है।
बिजनेस के कठिन इम्तिहान में बार-बार फेल होने के बावजूद कोई, इतनी बड़ी कामयाबी हासिल कर ले कि बाकी बिजनेसमैन उसकी नकल करने लगें, बाजार में उसके अंदाज में सक्सेस होने के सपने देखने लगें और उन सब के देखते-देखते वह एक दिन उनसे और बड़ी कोई बाजी मार ले जाए, एक झटके में 72 करोड़ से ज्यादा रुपए जुटा ले, फिर तो मान लेना चाहिए कि असली चैम्पियन तो वही है, बाकी उसके पीछे-पीछे। और वह सफल कंपनी है गुरुग्राम (हरियाणा) की 'मिल्क बॉस्केट', जिसे कभी चार दोस्तों ने मिलकर शुरू की थी।
वर्ष 2015 में चार व्यवसायी साथियों अनंत गोयल (कंपनी के वर्तमान सीईओ), आशीष गोयल, अनुराग जैन और यतीश तालवडिया ने 'मिल्कबास्केट' की नींव डाली थी। इससे पहले कठिन हालात में उनके दो वेंचर फेल हो चुके थे, जिनमें उनके लाखों रुपए डूब गए थे, लेकिन उससे हार मान लेने की बजाय उन्होंने अपनी असफलताओं के नए सबक लिए, बिजनेस के नए-नए पाठ पढ़े, नफा-नुकसान के हिसाब-किताब लगाए, कंज्यूमर्स के फीडबैक लिए। अब कंपनी प्रबंधन वर्ष 2021 तक एक अरब डॉलर के वार्षिक आवर्ती राजस्व प्राप्त करने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। मिलबॉक्सेट ने अब तक मेफील्ड एडवाइजर्स, बेनेक्स, कलारी कैपिटल, यूनिलीवर वेंचर्स, लेनोवो कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स आदि से लगभग 180 करोड़ रुपए जुटाए हैं।
इन चारो दोस्तों अनंत, आशीष, अनुराग, यतीश ने सबसे पहले वर्ष 2012 में ऑन-डिमांड सर्विस देने के लिए एक पेंट कंपनी की शुरुआत की और छह लाख रुपए लगाकर तीन महीने के भीतर लगभग चालीस-बयालीस घरों और फर्मों को ऑन-डिमांड पेंट भी कराया लेकिन कंपनी बैठ गई। उनका सर्विस मॉडल फेल हो गया। उससे सबक मिला कि बाजार के हाव-भाव ठीक से पढ़ लेने के बाद ही किसी बिजनेस में हाथ डालना चाहिए। आज के दौर में अपने प्रॉडक्ट या काम की बेहतर ब्रान्डिंग के बिना सक्सेस मिलना असंभव है।
उसके बाद चारों दोस्तों ने पुराने खराब अनुभवों और नए सबक के साथ, प्रॉपर्टी प्रबंधन और किराये पर उपलब्ध कराने का दूसरा बिजनेस शुरू किया। इसमें तो एक ही साल में 25 लाख रुपए डूब गए। फेल्योर की वजह थी, बिना ठीक से जाने-बूझे ऐसा काम शुरू कर देना, जिसकी किसी को जरूरत ही न हो। दो बार असफल होने के बाद चारो दोस्तों ने अपने पहले के कामों के चयन को लेकर आपस में काफी माथापच्चियां कीं, कुछ ही वर्षों में इतने रूपए गंवा बैठने का काफी अफसोस किया, फिर भी सफर जारी रखते हुए वर्ष 2015 में तीसरी कोशिश में उन्होंने 'मिल्क बास्केट' कंपनी से अपनी सफलता की इबारत लिख डाली।
अब तो कई कंपनियां 'मिल्क बास्केट' को फॉलो करने लगी हैं। अब उनके निवेशक आंख मूंदकर उनके किराना डिलिवरी स्टार्टअप 'मिस्क बॉस्केट' पर भरोसा करने लगे हैं। उसी भरोसे के कारण दो दिन पहले उन्हें इतनी बड़ी कामयाबी मिली है। उनकी कंपनी ने यूनिलीवर वेंचर्स की अगुवाई में मेफील्ड इंडिया, कलारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स आदि की इंडियन यूनिटों से लगभग 72.73 करोड़ रुपए जुटा लिए हैं। मिल्कबास्केट के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। मिल्कबास्केट का साढ़े आठ हजार से अधिक स्टॉक कीपिंग इकाइयों की वृहद श्रृंखला से गैर-दुग्ध उत्पादों से 70 प्रतिशत से अधिक राजस्व आता है। इसके साथ ही कंपनी ने पिछले छह-सात महीनों के भीतर देश के चार शहरों में अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। अब तो देश की इस पहली माइक्रो डिलिवरी प्ले टफॉर्म कंपनी की पचास हजार से अधिक परिवारों तक रोजाना की सीधी पहुंच है।
कंपनी को उम्मीद है कि वह वर्ष 2022 तक रोजाना करीब 10 लाख लोगों को अपनी सर्विस देने लगेगी। कंपनी का ध्यान निवेश के साथ ही अपनी टीम मजबूत और बड़ी करने पर भी है। उसने अपनी टीम में दो हजार और कर्मचारी जोड़ लिए हैं, जिनमें डेढ़ हजार फुल टाइम और पांच सौ पार्टटाइम काम पर हैं। कंपनी पार्ट टाइम कर्मचारियों के तौर पर स्टूडेंट्स और माइक्रोआन्त्रापेन्योीर्स की मौका दे रही है। ये कर्मचारी गुरुग्राम में रोजाना मॉर्निंग डिलीवरी कर रहे हैं। कंपनी ने पिछले साल ही करीब 30 लाख डॉलर की फंडिंग जमा कर ली थी। उससे पहले उसने चाइनीज और देसी वेंचर कैपिटल फर्म्स। से 10 लाख डॉलर की फंडिंग पहले चरण में ही जुटा ली थी।