भारत में 22 करोड़ 43 लाख लोग अल्पपोषित, वयस्कों में बढ़ रही मोटापे की संख्या: UN रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों द्वारा बुधवार को जारी की गई ‘विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति 2022’ रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर में भूख से प्रभावित लोगों की संख्या 2021 में बढ़कर 82.8 करोड़ हो गई.
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में पिछले 15 वर्ष के दौरान अल्पपोषित लोगों की संख्या में कमी आई है और यह संख्या घटकर 2019-2021 के बीच 22 करोड़ 43 लाख रह गई है.
रिपोर्ट में कहा गया कि देश दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में मोटापे से परेशान वयस्कों और अनीमिया (खून की कमी) की शिकार महिलाओं की संख्या बढ़ रही है.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी), यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा बुधवार को जारी की गई ‘विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति 2022’ रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर में भूख से प्रभावित लोगों की संख्या 2021 में बढ़कर 82.8 करोड़ हो गई.
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 2004-06 के दौरान अल्पपोषित लोगों की संख्या 24.78 करोड़ थी जो घटकर 2019-2021 के दौरान 22 करोड़ 43 लाख रह गई.
रिपोर्ट में कहा गया कि पांच साल से कम उम्र के जिन बच्चों का विकास रुक गया है उनकी संख्या 2012 में पांच करोड़ 23 लाख थी जो 2020 में घटकर तीन करोड़ 61 लाख रह गई.
इसी प्रकार मोटापे से पीड़ित पांच साल से कम आयु के बच्चों की संख्या 2012 में तीस लाख थी जो घटकर 2020 में 22 लाख रह गई. देश में मोटापे से पीड़ित लोगों की संख्या 2012 में दो करोड़ 52 लाख थी जो 2016 में बढ़कर तीन करोड़ 43 लाख हो गई.
रिपोर्ट में कहा गया कि अनीमिया से पीड़ित 15 से 49 वर्ष की महिलाओं की संख्या 2012 में 17 करोड़ 15 लाख थी जो 2019 में बढ़कर 18 करोड़ 73 लाख हो गई.
भारत में 2004-06 के बीच कुल जनसंख्या का अल्पपोषित हिस्सा 21.6 प्रतिशत था जो घटकर 2019-21 में 16.3 प्रतिशत रह गया. रिपोर्ट में कहा गया कि 2012 में देश की वयस्क जनसंख्या में से 3.1 प्रतिशत लोग मोटापे से पीड़ित थे और यह आंकड़ा 2016 में बढ़कर 3.9 प्रतिशत हो गया.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ लोगों की संख्या 2020 में 97 करोड़ 33 लाख या लगभग 70.5 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो 2019 में 94 करोड़ 86 लाख (69.4 प्रतिशत) से ऊपर थे.
2017 में, भारत में लगभग एक अरब लोग स्वस्थ आहार लेने में असमर्थ थे और 2018 में यह संख्या घटकर 96 करोड़ 66 लाख हो गई.
वहीं, साल 2021 में लगभग 92 करोड़ 40 लाख लोगों (वैश्विक जनसंख्या का 11.7 प्रतिशत) को गंभीर स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा. इसमें पिछले दो वर्षों में 20 करोड़ 70 लाख की वृद्धि हुई है.
वहीं, 2020 के 3 फीसदी की तुलना में 2021 में महिलाओं और पुरुषों में खाद्य असुरक्षा में अंतर 4 फीसदी पहुंच गया. साल 2021 में 27.6 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में दुनिया में 31.9 प्रतिशत महिलाएं मध्यम या गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही थीं.