महाराष्ट्र के पुलिस दंपति ने बिना दहेज लिए की शादी और सेविंग के सारे पैसे कर दिए दान
इस विवाहित जोड़े ने अपनी सेविंग्स के तौर पर बचाए 1 लाख रुपये समाज की भलाई के लिए दान कर दिए, जिनमें से 1 लाख रुपयों में से 50,000 रुपये 'नाम फाउंडेशन' को दिए जो किसानों और शहीद हुए सैनिकों के परिवार के लिए काम करता है, वहीं बाकी 50,000 रुपये गांव के हाई स्कूल को दान कर दिए।
हम जानते हैं कि यह दहेज प्रथा कितनी बड़ी कुरीति है, लेकिन दुख तब होता है जब कभी 'खुशी' के नाम पर तो कभी 'मजबूरियों' का हवाला देकर पढ़े-लिखे लोग भी इसे स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन कोल्हापुर के मनोज और सरिता ने बिना दहेज और किसी दिखावे के शादी करने के बजाय सादगी से शादी करके उन तमाम पढ़े-लिखे लोगों को संदेश दिया है जिनके मन में दहेज की हसरतें पल रही होती हैं।
मनोज और सरिता शादी के पहले एक दूसरे को अच्छे से जानते भी नहीं थे। मतलब दोनों की लव मैरिज नहीं हुई, लेकिन एक दूसरे से थोड़ा सा रूबरू होने के बाद दोनों ने पूरी सादगी से शादी करने की इच्छा जताई और एक ऐसी शादी कर ली, जो दुनिया के सामने मिसाल बनकर उभरी है।
समाज में लोगों कि दिन ब दिन बढ़ रही हैसियत के साथ ही शादी-विवाह में भारी भरकम खर्चों का भी चलन खूब बढ़ गया है। शादी में फिजूलखर्ची और ज्यादा से ज्यादा दहेज देना एक फैशन बन गया है। हम जानते हैं कि यह दहेज प्रथा कितनी बड़ी कुरीति है, लेकिन दुख तब होता है जब कभी 'खुशी' के नाम पर तो कभी 'मजबूरियों' का हवाला देकर पढ़े-लिखे लोग भी इसे स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन कोल्हापुर महाराष्ट्र पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर मनोज पाटिल और सरिता लयकर ने इसी साल 28 अप्रैल को एकदम सादे समारोह में जाकर शादी कर ली। इस शादी की खास बात ये है, कि इस नव दंपति ने अपनी शादी के लिए जो पैसे बचाए थे उसे चैरिटी में दान कर दिया। मनोज और सरिता ने दहेज और दिखावे की शादी करने की बजाय सादगी से शादी करके उन तमाम पढ़े-लिखे लोगों को संदेश दिया है जिनके मन में दहेज की हसरतें पल रही होती हैं।
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मनोज पाटिल और सरिता लयकर दोनों महाराष्ट्र पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर हैं। हालांकि दोनों की पोस्टिंग अलग-अलग जगह पर है। दोनों ने इसी साल 28 अप्रैल को कोल्हापुर जिले में एक तीर्थस्थल पर नारसोबाची वादी में जाकर एकदम सादे समारोह में जाकर शादी कर ली। खास बात यह है कि इन्होंने अपनी शादी के लिए जो पैसे बचाए थे उसे चैरिटी में दान कर दिया। एक सामान्य परिवार की तरह मनोज और सरिता के परिवार वाले भी बाकी लोगों की तरह परंपरागत तरीके से शादी करना चाहते थे। लेकिन सरिता और मनोज दोनों की सोच फिजूलखर्ची को रोकने की थी।
दिलचस्प बात ये है कि मनोज और सरिता शादी के पहले एक दूसरे को अच्छे से जानते भी नहीं थे। मतलब दोनों की लव मैरिज नहीं हुई बल्कि दोनों के परिवार पहले आपस में मिले फिर सरिता और मनोज की मुलाकात हुई। एक दूसरे से थोड़ा सा रूबरू होने के बाद दोनों ने पूरी सादगी से शादी करने की इच्छा जताई। सरिता ने कहा, 'मेरे घर आने के दो दिन बाद ही मनोज ने मुझसे मिलने को कहा। मुझे भी उनसे मिलनी की बड़ी इच्छा हो रही थी और इसलिए मैं राजी भी हो गई। उसके बाद मनोज ने बताया कि उन्होंने अपने आसपास शादी में शराब और पैसे की खूब बर्बादी देखी है इसलिए वह बिना किसी तामझाम के शादी करना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने यह फैसला मुझपर छोड़ दिया कि शादी कैसे होगी। मैंने अपने घरवालों को यह आइडिया बताया और वे राजी भी हो गए।'
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मनोज ने सरिता को ये भी बता दिया कि वे दहेज सिस्टम के सख्त खिलाफ हैं। सरिता को ये बात और पसंद आ गई। हालांकि आमतौर पर मराठा समुदाय में बिना भारी भरकम दहेज और बिना शाही अंदाज के शादी संपन्न ही नहीं होती। मनोज ने बताया, 'मेरी तीन बड़ी बहनें हैं और मैंने अपने पैरेंट्स को उनकी शादी के लिए पैसे इकट्ठे करते हुए देखा है। इसलिए मैंने सोचा कि मैं अपनी शादी में एक पैसे का दहेज नहीं लूंगा और सादगी से शादी निपटाऊंगा।'
इस खूबसूरत जोड़े की शादी में बधाई देने के लिए उनके दोस्त और कुछ रिश्तेदार भी मौजूद थे। सभी मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर एक पौधा दिया गया और कहा गया कि इसे कहीं भी लगा दें। नवविवाहित जोड़े ने अपनी सेविंग्स के तौर पर बचाए 1 लाख रुपये भी समाज की भलाई के लिए दान कर दिए। उन्होंने इन 1 लाख रुपयों में से 50,000 रुपये 'नाम फाउंडेशन' को दिए जो किसानों और शहीद हुए सैनिकों के परिवार के लिए काम करता है, वहीं बाकी 50,000 रुपये गांव के हाई स्कूल को दान कर दिए। जिस गांव में पाटिल पले-बढ़े हैं। कुछ पैसे गांव के मंदिर को भी दान दिए और कोल्हापुर के पाटने गांव में पब्लिक लाइब्रेरी के लिए भी 5,000 रुपये दान कर दिए।
अभी भी दोनों के पास लगभग 50,000 रुपये की सेविंग्स बची हुई है। उन्होंने अपने सीनियर अधिकारियों से इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए पूछा है। मनोज ने कहा कि आने वाले समय में वह जरूरत पड़ने पर चैरिटी करते रहेंगे। सरिता ने कहा कि मनोज जैसा साथी मिलने पर उन्हें बेहद खुशी और गर्व महसूस हो रहा है। मनोज के सीनियर अधिकारी भी उनकी जमकर तारीफ करते हैं। जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (लॉ ऐंड ऑर्डर) देवेन भारती ने कहा, 'मुझे यह सुनकर बहुत खुशी हो रही है कि हमारे नौजवान साथी ने सदियों से चली आ रही बुरी प्रथा को तमाचा जड़ते समाज में एक नजीर पेश की। हमें उम्मीद है कि उनके इस सराहनीय काम से बाकी लोग भी प्रभावित होंगे और बिना दहेज के शादी संपन्न कराएंगे। इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए हम एक अच्छी दुनिया बना सकेंगे।'
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दहेज जैसी कुरीति का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि हम अभी भी लड़कियों को लड़कों के बराबर नहीं समझते हैं। लड़के पक्ष के लोग समझते हैं कि शादी करके हम लड़की वालों पर कोई अहसान कर रहे हैं। इस सोच को खत्म करने के लिए हम सभी को आगे आना होगा और खुद से एक नई शुरुआत करनी होगा। तब जाकर कोई बड़ा सामाजिक बदलाव आ सकेगा। नहीं तो दहेज न मिलने के कारण बहुओं को प्रताड़ित करने और उन्हें मार देने की खबरें आती रहेंगी।
आज दहेज और धूम धड़ाके वाली शादी बड़े और अमीर लोगों के लिए भले ही कोई छोटी बात हो लेकिन एक आम आदमी के लिए बेटी की शादी के लिए दहेज और पैसों का इंतजाम करना सबसे बड़ी समस्या होती है। मनोज और सरिता जैसे लोग ऐसी कुरीतियों को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ये तभी खत्म हो सकेगी जब हर कोई इनकी ही तरह सोचने भी लगे।