समाज की सोच बदलने के लिए एक लड़की ने खोली चाय की दुकान ‘थ्री एडिक्शन’
कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, हमारा नजरिया ही उसे छोटा या बड़ा बनाता है। तभी तो राजस्थान में झीलों के शहर उदयपुर में रहने वाली प्रिया सचदेव जो कॉमर्स से ग्रेजुएशन करने के बाद इवेंट कंपनी के लिए काम कर रही थी वो आज चाय की एक ठेली लगाती हैं। हालांकि इस काम को शुरू करने से पहले उनको अपने ही घर में विरोध का सामना करना पड़ा और जैसे-तैसे घरवाले इस बात के लिया तैयार हुए तो समाज ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया, यहां तक की उनको धमकियां तक मिलने लगीं। आलोचनाओं और धमकियों से बेपरवाह प्रिया अपने फैसले से पीछे नहीं हटीं और आज उनकी ‘थ्री एडिक्शन’ नाम की चाय की ये ठेली यहां आने वाले सैलानियों को भी अपनी ओर खींच लाती है।
प्रिया सचदेव ने योर स्टोरी को बताया
“कॉलेज में पढ़ाई के दौरान या इवेंट कंपनी में काम के दौरान जब कभी मैं दोस्तों के साथ बाहर कहीं घूमने जाती थी और हमको चाय पीने का मन करता था तो चाय की दुकान में लड़कों की भीड़ होती थी, इस वजह से लड़कियां एक दूसरे को चाय का ऑर्डर देने को कहती थीं। जिसके बाद कोई लड़की चाय का ऑर्डर करती तो वहां मौजूद लोग उस लड़की को बहुत ही अजीब नजर से देखते थे और ऐसा लगता था कि जैसे लड़कियां किसी से सिगरेट मांग रही हों।”
प्रिया ये देखकर सोचने को मजबूर हुईं कि हमारा समाज चाहे जितनी भी समानता की बात करे, लेकिन वो आज भी लड़के और लड़कियों में भेद करता है। इसी परेशानी को देखकर उन्होने लड़कियों के लिए चाय का ठेला लगाने का सोचा।
प्रिया ने अपने इस चाय के ठेले को नाम दिया ‘थ्री एडिक्सन’। जिसका मतलब चाय, मैगी और वाई-फाई। वो कहती है
“चाय एक तरह का एडिक्सन ही है जब कभी भी हम थक जाते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले चाय का ही नाम आता है। हमें जब कभी भी भूख लगती हैं और तुरंत खाना चाहिए होता है तो हमारे दिमाग में मैगी ही आती है। साथ ही सोशल नेटवर्किंग के जमाने में वाई- फाई किसे नहीं चाहिए।”
खास बात ये है कि प्रिया वाई-फाई की सुविधा अपने कस्टमर को बिल्कुल मुफ्त देती हैं। प्रिया का काम आज भले ही समाज के लिए मिसाल बन रहा हो लेकिन इसकी शुरूआत इतनी आसान नहीं थीं।
प्रिया के पिता कारोबारी हैं और वो बेकरी चलाते थे और उनकी मां ब्यूटी पार्लर चलातीं थीं। इसलिए जब उन्होने अपने इस आइडिया के बारे में अपने घर में बात की तो घर वालों ने खासतौर पर उनकी मां इसके लिए तैयार नहीं हुईं। तब उन्होने अपनी मां को विश्वास दिलाया कि वो उनको इस काम के लिये थोड़ा वक्त दे और अगर वो इसमें असफल रहीं तो वो इस काम को छोड़ देंगी। इसके बाद उन्होने एक कॉलोनी के पास चाय का ठेला लगाया। ये ठेला उन्होने उस जगह पर लगाया जहां पर काफी सारे कॉलेज और हॉस्टल थे।
घरवालों की मंजूरी के बाद प्रिया ने जैसे ही अपना काम शुरू किया ही था तो आसपास के दूसरे लोग उनकी आलोचना करने लगे। आसपास की औरतें प्रिया से कहती थी कि वो कोई दूसरा काम क्यों नहीं करती उनके इस काम से दूसरी लड़कियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन प्रिया ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। वहीं दूसरी ओर प्रिया के ठेले के आसपास दूसरे दुकानदारों ने भी उनका विरोध करना शुरू कर दिया क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि प्रिया इस तरह का काम करे। इसके लिए उन लोगों ने प्रिया को परेशान करना शुरू कर दिया। प्रिया ने अपने इस काम की मदद के लिए एक युवक को रखा था, लेकिन आसपास के दुकानदारों ने उसे डरा धमका कर भगा दिया। इसके बाद प्रिया ने खुद ही दुकान संभालना शुरू कर दिया। एक ओर आसपास के दुकानदार प्रिया का विरोध कर रहे थे तो दूसरी ओर प्रिया भी हार मानने वालों में से नहीं थीं। तभी तो प्रिया के खिलाफ सारे हथकंडे अपनाने के बाद दुकानदारों ने प्रिया के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी और उन पर आरोप लगाया कि प्रिया अपनी चाय के ठेले की आड़ में ग्राहकों को हुक्का पीलाती हैं और सिगरेट बेचती हैं, लेकिन जब पुलिस वहां पर आई और देखा कि ऐसा कुछ नहीं चल रहा है तो पुलिस भी उनके इस काम को देखकर प्रभावित हुई। इस घटना के बाद पुलिस कभी भी दोबारा उनके पास नहीं आई। प्रिया का कहना है कि उस वक्त स्थानीय लोगों ने उनका साथ दिया और पुलिस को इस बात के लिए समझाने में कामयाब हुए कि वो कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रही हैं।
प्रिया का मुताबिक उनका ये ठेला सड़क किनारे लगता था जिसे नगर निगम वाले कभी भी हटा सकते थे। इसलिए उन्होने एक पक्की दुकान किराये पर ली। ये दुकान उदयपुर के सुभाष नगर इलाके में है। उनके इस ठेले में ज्यादातर लड़कियों का जमघट लगा रहता है, हालांकि यहां पर लड़के भी चाय पीने आते हैं। प्रिया किसी को मना नहीं करती। ‘थ्री एडिक्शन’ नाम के चाय की ये ठेली को उन्होने नो-स्मोकिंग जोन बनाया हुआ है, ताकि वहां मौजूद दूसरी लड़कियों को किसी तरह की असुविधा ना हो। बावजूद अगर कोई कस्टमर यहां पर स्मोक करता है तो वो पूरी विनम्रता से उसे मना कर देती हैं।
‘थ्री एडिक्शन’ में कोई चाय और कॉफी के अलावा मैगी, सैंडविड. बिस्कुट, चिप्स आदि के भी मजे ले सकता है। इसके अलावा उन्होने यहां पर कई तरह की किताबें और इंडोर गेम भी रखे हुए हैं जिससे कि लड़कियां यहां पर अपने को असहज महसूस ना करें। प्रिया बड़ी खुशी से बताती है कि कॉलेज जाने वाली लड़कियां उनको चाय वाली दीदी या मैगी वाली दीदी कह कर बुलाती हैं। ‘थ्री एडिक्शन’ सुबह 10 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है और इस काम को वो अकेले ही कर रही हैं। अब उनकी योजना है कि वो शहर के दूसरे हिस्सों में भी इसी तरह के ठेले लगायें ताकि चाय पीने की शौकिन लड़कियों को ज्यादा आजादी मिल सके।
ऐसी ही और प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ने के लिए हमारे Facebook पेज को लाइक करें
अब पढ़िए ये संबंधित कहानियाँ:
विदेश की नौकरी छोड़ खोला स्कूल, पढ़ाई के साथ लड़कियों को दिए जाते हैं 10 रुपये रोज़
पत्नी के छोड़ने के बाद भी नहीं छोड़ा गरीबों को आसरा देना, आज 300 लाचार लोगों के हैं सहारा
दिल्ली में सम-विषम योजना और पर्यावरण के लिए वरदान साबित हो सकते हैं 8वीं के छात्र 'अक्षत'