विधायक की फटकार पर रोने वाली IPS ने कहा, 'मेरे आँसुओं को मेरी कमजोरी न समझना'
ये अपने देश की विडंबना ही है, कि अच्छी पढ़ाई-लिखाई कर कठोर परिश्रम से परीक्षा पास कर IAS/IPS बनने वाले अधिकारियों को राजनीति और नेताओं की घुड़की से दो-चार होना पड़ता है। कई नेताओं को तो अधिकारीओं से बात करने का सलीका भी नहीं पता होता। आईये डालते हैं, हाल ही में घटी कुछ इसी तरह की घटना पर एक नज़र..
7 मई को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक विधायक ने महिला IPS को अपनी लिमिट में रहने की चेतावनी दे डाली। महिला IPS का कसूर सिर्फ इतना था, कि वो रोड से जाम हटवाने के बारे में विधायक को समझाने जा रही थीं।
तपती दोपहरी में पूरी ईमानदारी से अपना काम कर रही IPS से जब विधायक ने गलत व्यवहार किया, तो वे खुद को संभाल नहीं सकीं। उनके सीनियर ने उनका बचाव किया और उनकी आंखों में आंसू आ गये।
दरअसल गोरखपुर की महिलाएं शराब की दुकान हटवाने के लिए बीच सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं, जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम हो रहा था और बेतहाशा गर्मी में राहगीरों को मुश्किल का सामना पड़ रहा था। गोरखपुर में CO की जिम्मेदारी संभाल रहीं ट्रेनी IPS चारू निगम को जब इसके बारे में पता चला, तो वे जाम हटवाने पहुंच गईं। उन्होंने महिलाओं को समझाया और जाम हटवाने को कहा। इसी बीच उनके साथ धक्कामुक्की होने लगी और पुलिस को हल्के बल का प्रयोग करना पड़ा और IPS चारू निगम को भी हल्की चोटें आईं। कुछ देर बाद उस जगह पर बीजेपी विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल पहुंचे और फिर से रोड जाम करवा दिया। दोबारा जाम की खबर मिलते ही CO पुलिस के साथ वहां पहुंच गईं।
चारू निगम जैसे ही विधायक को समझाने के लिए आगे बढ़ीं, तो विधायक आवेश में आ गए। उन्होंने IPS की ओर उंगली दिखाते हुए धमकी भरे लहजे में कहा, 'चुप रहिए आपसे बात मैं नहीं कर रहा हूं।' इसके बाद विधायक ने अपनी मर्यादा खो दी और आप से सीधे तुम पर आ गए। उन्होंने कहा, 'मुझे नियम न बताओ तुम। बर्दाश्त के बाहर मत जाओ तुम।' जब IPS ने कहा, कि आप बताइए क्या गलत कर रही हूं मैं? तो वे कहने लगे, मैं इनसे बात ही नहीं करूंगा। तपती दोपहरी में पूरी ईमानदारी से अपना काम कर रही IPS से जब विधायक द्वारा गलत व्यवहार हुआ, तो वे खुद को संभाल नहीं सकीं। उनके सीनियर ने उनका बचाव किया और उनकी आंखों में आंसू आ गये।
हालांकि IPS ने अगले दिन अपनी फेसबुक वॉल पर कहा, कि उनके आंसू को उनकी कमजोरी न समझा जाए। उन्होंने कहा कि सीनियर अधिकारी ने उनके मामले के बारे में न पूछकर उनकी चोट के बारे में पूछ लिया जिससे वे भावुक हो गईं। चारू को उम्मीद नहीं थी, कि अधिकारी उनसे इतनी विनम्रता से पेश आएंगे। उन्होंने कहा कि वो पॉजिटिविटी में यकीन रखती हैं और सपोर्ट के लिए मीडिया को थैंक्स भी कहती हैं। IPS ने अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट में लिखा,
"मेरे आँसुओं को मेरी कमज़ोरी न समझना,
कठोरता से नहीं कोमलता से अश्क झलक गये।
महिला अधिकारी हूँ तुम्हारा गुरूर न देख पायेगा,
सच्चाई में है ज़ोर इतना अपना रंग दिखलाएगा।"
आसान नहीं रही है चारू निगम की IPS बनने की कहानी
चारू निगम मूल रूप से आगरा की रहने वाली हैं। उनके पिता सरकारी इंजीनियर थे। जब वह छोटी थीं, तभी उनके पिता का ट्रांसफर दिल्ली DDA में हो गया। उसके बाद उनकी पढ़ाई-लिखाई यहीं हुई। चारू के पिता पढ़ाई की अहमियत समझते थे इसलिए उन्होंने बेटे और बेटी में कोई भेद नहीं किया। चारू शुरू से ही पढ़ने में काफी तेज थीं, इसलिए उन्हें IIT रुड़की में दाखिला मिल गया। IIT से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने सिविल की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन इसी बीच उनके ऊपर से पिता का साया हट गया।
पिता को खोने के बाद चारू निगम डिप्रेशन में चली गईं। लेकिन उन्होंने खोये हुए हौसले को फिर से समेटा और दोबारा तैयारी में लग गईं। उनकी मेहनत का ही परिणाम था, कि 2013 में उन्होंने सिविल का एग्जाम पास कर लिया और उन्हें IPS का पद मिला।
हैदराबाद से ट्रेनिंग खत्म करने के बाद चारू को झांसी में ASP (सहायक पुलिस अधीक्षक) की जिम्मेदारी मिली। ये बहुत खतरनाक इलाका है, जो कि शराब और खनन के धंधे के लिए कुख्यात है। लेकिन चारू इतनी बहादुर IPS हैं, कि सिर्फ चार महीने में ही उन्होंने माफियाओं को लाइन पर ला दिया।
30 साल की IPS चारू निगम बुंदेलखंड के माफियों के बीच खौफ बन गई थीं। IPS चारू झांसी में गांवों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनती थीं। वहां के लोग बताते हैं, कि एक बार रोड एक्सिडेंट में एक बच्चा घायल हो गया था। उसकी हालत काफी गंभीर थी। एंबुलेंस के पहुंचने में देरी हो रही थी। इसी बीच IPS चारू ने एंबुलेंस का इंतजार न करते हुए खुद ही अपनी गाड़ी से उसे अस्पताल पहुंचाया और उसका इलाज कराया। ऐसी मेहनतकश महिला IPS से जब कोई नेता अभद्रता करता है तो इस सिस्टम पर तरस आना लाजिमी है।