Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

किसान ने बनाई बिजली और डीज़ल के बिना चलने वाली टरबाइन

'मंगल टरबाइन’ करे सिंचाई की हर जरूरत पूरी, जिसे लगाने में 50 हज़ार से 5 लाख तक की लागत आती है। लिम्का बुक अॉफ रिकॉर्ड्स में हुआ नाम दर्ज।

किसान ने बनाई बिजली और डीज़ल के बिना चलने वाली टरबाइन

Tuesday November 17, 2015 , 4 min Read

क्या आप मानेंगे कि देश की करीब 24 फीसदी कृषि योग्य जमीन बंजर है। जहां सिंचाई की व्यवस्था हो जाए तो देश खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है। कुछ ऐसी ही सोच को सामने रखते हुए उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में रहने वाले किसान मंगल सिंह ने ऐसी टरबाइन को विकसित किया जो नदी या नाले से पानी को लिफ्ट कर दूर कहीं भेजने में कारगर साबित होती है। खास बात ये है कि इस टरबाइन को चलाने के लिए ना बिजली की और ना डीजल की जरूरत होती है। इस तरह किसान को खेती के लिए पानी मिल जाता है तो दूसरी ओर पर्यावरण की रक्षा भी होती है।

image


ऐसे बनी ‘मंगल टरबाइन’

मंगल सिंह का कहना है "मेरी पढ़ाई सिर्फ हायर सेकेंडरी तक हुई है क्योंकि इससे आगे पढ़ाई करने के लिए मुझे 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। लिहाजा पढ़ाई छोड़ अपने चारों भाइयों के साथ खेती के काम में जुट गया।" वो बताते हैं कि एक दिन सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाली वाली 15 हॉर्स पॉवर की मोटर खराब हो गई जो दोबारा नहीं चल सकी। इसके बाद उन्होने नई मोटर के लोन के लिए बैंकों के कई चक्कर लगाए लेकिन उनको सफलता हाथ नहीं लगी। तब इन्होने थक हारकर फैसला लिया कि वो खुद ही ऐसा कुछ करेंगे जो दूसरों के लिए भी मिसाल बन जाए। बस फिर क्या था बचपन के दिनों में रहट के आसपास ये काफी खेल खेलते थे उसी को ध्यान में रखते हुए इनको ख्याल आया कि क्यों ना ऐसी कोई चीज तैयार की जाए जिससे सिंचाई हो सके। इतना ही नहीं उस दौरान इन्होने टरबाइन के बारे में भी थोड़ा बहुत सुना था जिसमें पानी के जरिये बिजली बनती है। उसी को ध्यान में रखते हुए इन्होने एक वॉटर व्हील बनाया और पानी खींचने वाले पंप को चलाने में कामयाबी हासिल की।

image


इस तरह काम करती है ‘मंगल टरबाइन’

‘मंगल टरबाइन’ बहते हुए पानी की धारा से चलती है। जरूरत के मुताबिक छोटे या बड़े व्हील को गियर बॉक्स से जोड़ दिया जाता है। इसके बाद ये इंजन मोटर की तरह तेज स्पीड में चक्कर बनाता है। इस तरह ये बिना इंजन, बिना मोटर, बिना डीजल, बिना बिजली के पाइपों के जरिये पानी कहीं भी ले जाया जा सकता है और पीने के लिये भी पानी पम्प कर सकते हैं। वहीं किसान गियर बॉक्स की शाफ्ट के दूसरे सिरे पर पुल्ली लगाकर कुट्टी मशीन, आटा चक्की, गन्ना पिराई या कोई दूसरा काम कर सकते हैं या जनरेटर जोड़ कर बिजली बना सकते हैं।

‘मंगल टरबाइन की उपलब्धियां’

अपनी इस उपलब्धि के बाद उन्होने सबसे पहले इसका प्रदर्शन ललितपुर के जिलाधिकारी के सामने किया और इसके बाद सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, भोपाल में अपनी बनाई मशीन का प्रदर्शन किया ताकि वैज्ञानिक उनकी इस मशीन से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकें। इतना ही नहीं उनका दावा है कि उन्होने अपने गांव के पास की करीब सौ हेक्टेयर बंजर जमीन जहां पर कभी बकरियां चरती थीं उसको अपनी इस तकनीक के जरिये सिंचाई कर हर भरा बना दिया। मंगल सिंह का दावा है कि उन्होने अप्रैल, 2013 में उत्तराखंड के घंस्याली इलाके से 5 किलोमीटर दूर एक गांव में इस उपकरण का इस्तेमाल किया। जिसका फायदा लोग पीने के पानी के उठा रहे हैं। उनका कहना है कि जहां पहले लोगों को पानी लेने के लिए 120 मीटर नीचे आना पड़ता था वहीं अब उनको पानी पहाड़ पर ही मिल रहा है।

image


इस उपकरण की खास बात ये है कि बहुत कम पानी में भी काम करता है लेकिन उसके लिये जरूरी है कि ये पानी लगातार चलते रहना चाहिए। इतना ही नहीं इस उपकरण को स्थानीय स्तर पर तैयार किया जा सकता है इसके लिए किसी बड़े साजो समान की जरूरत नहीं पड़ती। मंगल सिंह का कहना है कि उनकी बनाई ‘मंगल टरबाइन’ की लागत 50 हजार रुपये से शुरू होकर 5 लाख रुपये तक पड़ती है और ये निर्भर करता है मशीन के डिजाइन पर। उनकी इस उपलब्धि पर साल 2013 में उनका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ भी दर्ज हो चुका हैं। मंगल सिंह का दावा है कि ‘मंगल टरबाइन’ आज ना सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि उत्तराखंड और मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में इस्तेमाल हो रही है। जिसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।