100 दिन में 9,964 किलोमीटर दौड़ने वाले समीर सिंह
वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की चाहत में वह दुनिया की सबसे लंबी रेस दौड़ रहे थे। उन्होंने 100 दिनों में 10,000 किलोमीटर का सफर करने का लक्ष्य बनाया था। यानी हर दिन 100 किलोमीटर।
100 दिन में 10,000 किलोमीटर दौड़ने का था लक्ष्य, 36 किलोमीटर से चूक गए समीर सिंह
समीर का यह अनोखा रनिंग चैलेंज 29 अप्रैल को शुरू हुआ था। उस दिन से अब तक ये हर दिन मुंबई की सड़कों पर 13 से 14 घंटे भाग रहे थे। खराब तबीयत और चोट की वजह से वह यह रिकॉर्ड नहीं बना सके, लेकिन उन्होंने अपने जज्बे से देश-दुनिया के तमाम लोगों को हैरत में डाल दिया। 42 वर्षीय समीर रविवार को 100 वें दिन तक दौड़ते रहे।
सपने कौन नहीं देखता, लेकिन उन्हें पूरे करने का साहस कुछ लोगों में ही होता है। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के समीर सिंह ने भी कुछ ऐसा ही सपना देखा था। समीर एक अल्ट्रा मैराथन धावक हैं। वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की चाहत में वह दुनिया की सबसे लंबी रेस दौड़ रहे थे। उन्होंने 100 दिनों में 10,000 किलोमीटर का सफर करने का लक्ष्य बनाया था। यानी हर दिन 100 किलोमीटर। समीर का यह अनोखा रनिंग चैलेंज 29 अप्रैल को शुरू हुआ था। उस दिन से अब तक ये हर दिन मुंबई की सड़कों पर 13 से 14 घंटे भाग रहे थे। यानी धरती की गोलाई का एक चौथाई हिस्सा।
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लेकिन समीर अपने चैलेंज से 36 किलोमीटर पीछे रह गए। खराब तबीयत और चोट की वजह से वह यह रिकॉर्ड नहीं बना सके, लेकिन उन्होंने अपने जज्बे से देश-दुनिया के तमाम लोगों को हैरत में डाल दिया। 42 वर्षीय समीर रविवार को 100 वें दिन तक दौड़ते रहे। हालांकि एक दिन चोट लगने के कारण समीर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था उस दिन वह केवल 60 किलोमीटर ही दौड़ पाए थे। इसी वजह से आखिरी उनका गणित गड़बड़ हो गया और आखिर दिन यानी 6 अगस्त को उन्हें 150 किलोमीटर की दौड़ लगानी थी।
समीर सिंह इस दिन सिर्फ 114 किलोमीटर ही दौड़ सके और अपने तय किए रिकॉर्ड से 36 किलोमीटर पीछे रह गए। हालांकि उन्हें इस बात का कोई अफसोस या पछतावा नहीं है। वह कहते हैं कि अब यह 100x100 का चैलेंज दुनिया के किसी एथलीट के लिए ओपन है और कोई भी इसे स्वीकार कर सकता है।
समीर ने कहा कि वह किसी भी एथलीट द्वारा ऐसे चैलेंज को हर तरह से सपोर्ट करेंगे। समीर सिंह का कहना है कि मानव शरीर एक अनोखी मशीन है जिसे आप जैसे चाहें ढाल सकते हैं। समीर ने जितनी रेस लगाई है उसमें कश्मीर से कन्याकुमारी (2856 किमी) तीन बार जाया जा सकता है।
समीर सिंह 2016 नवंबर में मथुरा के वृंदावन चले गए थे और वहां अपने अध्यात्मिक गुरू की देखरेख में दौड़ने की प्रैक्टिस कर रहे थे। वह हर रोज 75 किलोमीटर की दौड़ लगाते थे।
उन्होंने कहा, 'मैं बचपन में ही जब अपने गांव में लड़कों को परेशान करके भाग जाता था तो मुझे कोई पकड़ नहीं पाता था। तब से ही मुझे लगने लगा कि मेरा जन्म दौड़ने के लिए ही हुआ है।' समीर 2004 में मुंबई मैराथन में पहली बार दौड़े थे। हालांकि उस उन्हें यह तक नहीं मालूम था कि मैराथन का मतलब क्या होता है। उसके बाद उन्हें अमेरिकी एथलीट ट्रांसेंडेस के बारे में मालूम चला जो 52 दिनों में 3100 मील, यानी 4988.9 किमी दौड़ते हैं। समीर ने इसके बाद तय किया कि उन्हें इसका दोगुना दौड़ना है।
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समीर सिंह 2016 नवंबर में मथुरा के वृंदावन चले गए थे और वहां अपने अध्यात्मिक गुरू की देखरेख में दौड़ने की प्रैक्टिस कर रहे थे। वह हर रोज सुबह 10 किमी दौड़कर शहर के राउंड लगाते फिर राधाकुंड तक 21 किमी, वहां से गोवर्धन का 24 किमी का राउंड और फिर 21 किमी की वापसी यानी हर रोज वह 75 किमी दौड़ते थे। इसके बाद जब समीर को लगा कि वह इस लक्ष्य को पूरा कर लेंगे तो उन्होंने मुंबई जाने का फैसला कर लिया और इसी साल 29 अप्रैल को अपना यह सफर भी शुरू कर दिया।
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