जितना खूबसूरत नाम, उतनी खूबसूरत सीरत और सूरत
जूही चावला। खिलखिलाहट का मानवीकरण कर दिया जाए तो वो जूही बन जाएगी। वो जब हंसती हैं तो लगता है मानो पत्ती पर जमी ओस उछलकर आ गिरी हो, मानो किसी पहाड़ी रास्ते पर बकरियों का झुंड अचानक से चल पड़ा हो, मानो बांसुरी के संग मृदंग की संगत जम गई हो, मानो सूनसान गली में रातरानी महक गई हो।
90 के दशक की शीर्ष अभिनेत्री जूही ने 1984 में मिस इंडिया का मुकुट जीता था।वो हमेशा अपने फैशन, शैली और खूबसूरत अदाओं से लाखों के दिलों पर राज करती हैं। जूही बहुत सरल और सुंदर लगती हैं और उनकी लाख डॉलर की मुस्कान आज भी सबकी पसंदीदा है। हर निर्देशक और निर्माता उनके साथ काम करना चाहते थे।
जूही चावला उन अभिनेत्रीयों में से एक है, जो अभिनय शैली और हास्य भावना के मामले में अपने समय से आगे थीं। मुस्कुराते हुए जूही ने हमें दो पूरे दशकों तक मनोरंजन किया। जूही को हमेशा एक सहज और जीवंत अभिनेत्री के रूप में जाना जाता है। उसकी लाख वाट मुस्कान कठोर दिलों को भी पिघल सकती है।
जूही चावला। खिलखिलाहट का मानवीकरण कर दिया जाए तो वो जूही बन जाएगी। वो जब हंसती हैं तो लगता है मानो पत्ती पर जमी ओस उछलकर आ गिरी हो, मानो किसी पहाड़ी रास्ते पर बकरियों का झुंड अचानक से चल पड़ा हो, मानो बांसुरी के संग मृदंग की संगत जम गई हो, मानो सूनसान गली में रातरानी महक गई हो। 90 के दशक की शीर्ष अभिनेत्री जूही ने 1984 में मिस इंडिया का मुकुट जीता था। वो हमेशा अपने फैशन, शैली और खूबसूरत अदाओं से लाखों के दिलों पर राज करती हैं। जूही बहुत सरल और सुंदर लगती हैं और उनकी लाख डॉलर की मुस्कान आज भी सबकी पसंदीदा है। 90 के दशक में हर निर्देशक और निर्माता उनके साथ काम करना चाहते थे।
ब्यूटी विद ब्रेन, जूही-
जूही चावला उन अभिनेत्रीयों में से एक है, जो अभिनय शैली और हास्य भावना के मामले में अपने समय से आगे थीं। मुस्कुराते हुए जूही ने हमें दो पूरे दशकों तक मनोरंजन किया। जूही को हमेशा एक सहज और जीवंत अभिनेत्री के रूप में जाना जाता है। उसकी लाख वाट मुस्कान कठोर दिलों को भी पिघल सकती है। उनके अभिनय, सुंदर चेहरे, गर्मजोशी व्यक्तित्व और सहज आकर्षण की बात ही अलग थी। हेमा मालिनी और श्रीदेवी के साथ उनके शानदार कॉमिक टाइमिंग की तुलना की गई।
उन्होंने फिल्मों की एक विस्तृत शैली में प्रदर्शन किया है और इतने विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं को चित्रित किया है। जूही को फिल्म डर में हर किसी के साथ दंग रह गए। यस बॉस और इश्क में जुही ने अपनी कॉमिक टाइमिंग को सहजता के साथ प्रदर्शित किया। जूही ने करियर के दूसरे पड़ाव में कई अहम फिल्में कीं, जैसे कि माय भाई निखिल (2005), बस एक पल (2006), आई एम (2011) और गुलाब गैंग (2014)। 1986 में आई सल्तनत का पहली फ़िल्म था, लेकिन 1988 में आई कयामत से कयामत तक को उनकी असली शुरुआत माना जाता है। इस फिल्म से बॉलीवुड को दो बड़े सितारे मिले, जूही चावला और आमिर खान। इस फिल्म के गानों ने प्रेमियों के दिल में घर कर लिया था। 'गजब का ये दिन ... ',' मेरे मेरे हमसपफ़र ... और 'अकेले हैं ... ' जैसे गीतों ने कई प्रेम कहानियां बुनीं।
'कि राजा को रानी मिली थी कहां'
आमिर और जूही की रील लाइफ केमिस्ट्री सबकी चहेती बन गई थी। दोनों ने लगभग एक ही समय में अपना कैरियर शुरू कर दिया है और उसके बाद कई हिट फिल्में एक साथ दीं। उन्होंने 'अंदाज अपना अपना', 'हम हैं राही प्यार के', 'कयामत से कयामत तक' जैसी फिल्में आमिर खान के साथ बड़ी हिट दीं। 1992 को जूही के लिए एक विशेष वर्ष था क्योंकि राजू बन गया जेंटलमैन में शाहरुख के साथ उनकी जबर्दस्त जोड़ी बन गई। निर्देशक अजीज मिर्जा ने अभिनेताओं शाहरुख और जूही चावला में एक विशेष मित्रता विकसित की, जो बाद में व्यापार साझेदारी में भी विस्तारित हुई।
जूही ने इसी साल ऋषि कपूर के साथ सफल फिल्म बोल राधा बोल में अभिनय किया। जूही ने आमिर खान के साथ एक और फिल्म की, हम हैं राही प्यार के। यहां पर उनके उत्साही प्रदर्शन के लिए पहला फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। आज वो और उनके पति जय, इंडियन प्रीमियर लीग टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के सह-मालिक हैं, जो शाहरुख खान के साथ हैं। जूही कई तरह के विज्ञापनों में भी नजर आती हैं। वो आज भी उतनी ही हंसमुख और प्यारी हैं, जितना कि अपनी बाली उमर में हुआ करती थीं।
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