छेड़छाड़ के खिलाफ हरियाणा की स्कूली लड़कियां भूख हड़ताल पर
जला देने वाली इस गरमी में आमरण अनशन पर बैठीं इन लड़कियों में तीन की हालत खराब हो गई है, जिन्हें ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
ऐसा शायद पहली बार हो रहा है, कि हरियाणा के गांव की लड़कियां इतनी बड़ी संख्या में अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरी हैं। ये बहुत बहादुरी की बात है, कि वे अपनी शिक्षा, अपने सम्मान और अपने अधिकारों के लिए मुखर हो रही हैं, लेकिन इन सब पर प्रशासन की असंवेदनशीलता एक बार फिर निराश कर रही है।
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गांव में स्कूल न होने की वजह से इन लड़कियों को 3 किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल जाना पड़ता है, जहां रास्ते में आते-जाते अक्सर ही उन्हें छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है। लड़कियों ने गांव के सरपंच से भी शिकायत की थी, जिन्होंने इस मामले को आगे भी बढ़ाया पर कोई हल नहीं निकला।
हरियाणा के स्कूल में पढ़ने वाली 80 लड़कियों ने 'हम अपना हक लेकर रहेंगी, चाहे मौत ही क्यों न आ जाए...' और 'जब तक हमारा हक नहीं मिलता, भूख हड़ताल जारी रहेगी...' का नारा बुलंद कर रखा है। रेवाड़ी के गोठड़ा टप्पा डहेना गांव की स्कूली छात्राएं 10 मई से भूख हड़ताल पर चली गई हैं। लड़कियों की मांग है, कि उनके गांव के सरकारी स्कूल को 10वीं कक्षा से बढ़ाकर 12वीं तक कर दिया जाये। इस जला देने वाली गरमी में आमरण अनशन पर बैठीं इन लड़कियों में तीन की हालत खराब हो गई है, जिन्हें ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। गांव के सरपंच सुरेश चौहान का कहना है, कि 'कुछ लड़के रोज़ाना बाइक पर हेलमेट पहनकर आते हैं और इन लड़कियों से बदतमीज़ी करते हैं। हेलमेट होने की वजह से उनकी पहचान भी नहीं हो पाती।'
एक हिन्दी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, गांव में स्कूल न होने के चलते इन लड़कियों को 3 किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल जाना पड़ता है, जहां रास्ते में आते-जाते अक्सर ही उन्हें छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है। लड़कियों ने गांव के सरपंच से भी शिकायत की थी, जिन्होंने इस मामले को आगे भी बढ़ाया पर कोई हल नहीं निकला। इसलिए लड़कियों ने ये मांग उठाई है, कि उनके गांव के ही स्कूल को बारहवीं कक्षा तक अपग्रेड किया जाये और जब तक ये नहीं होता है वे भूख हड़ताल पर बैठी रहेंगी।
स्थानीय मीडिया के अनुसार बच्चियों के अभिभावक भी उनके साथ हड़ताल पर बैठे हैं। लड़कियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे हड़ताल ख़त्म नहीं करेंगी। गौरतलब है, कि 2016 में रेवाड़ी जिले में ही स्कूल जाते समय एक छात्रा के साथ बलात्कार होने के बाद दो गांवों की लड़कियों ने डर के कारण स्कूल जाना छोड़ दिया था।
गांव के सरपंच सुरेश चौहान ने पंजाब केसरी को बताया, कि गांव की 83 छात्राओं सहित सैंकड़ों विद्यार्थी गांव कंवाली में 11वीं व 12वीं की शिक्षा के लिए जाते हैं। छात्राओं को दूसरे गांव में जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार मनचलों को समझाया गया, लेकिन वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। छेड़छाड़ से दुखी होकर ही छात्राओं ने हड़ताल कर स्कूल को अपग्रेड करने की मांग की है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा, कि छात्राएं भूख हड़ताल पर बैठी हैं, अगर उन्हें कुछ हुआ तो प्रशासन इसका जिम्मेदार होगा। उन्होंने सरकार से मांग पूरी करने की अपील की है।
जिले की एसपी संगीता कालिया का कहना है, कि उन्हें छेड़छाड़ की कोई शिकायत नहीं मिली है। साथ ही वे ये भी कहती हैं, कि उन्होंने खुद छात्राओं से पूछा पर किसी ने भी छेड़छाड़ या बदतमीज़ी की कोई शिकायत नहीं की। मैंने उनसे बात की है और उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर उच्च अधिकारियों से बात की जाएगी। वहां के लोकल एमएलए बिक्रम सिंह यादव ने टाइम्स अॉफ इंडिया से बात करते हुए कहा, 'मैंने एसडीएम, डीएसपी और डीइओ से बात कर ली है। उन्होंने कहा है, कि यदि गांव वाले एक क्लास में 150 बच्चों की तयसीमा को पूरा कर लेते हैं, तो स्कूल कर दिया जाएगा।' इलाके के डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर (डीईओ) ने ट्रिब्यून को बताया, स्कूल को अपग्रेड करने के लिए 11वीं और 12वीं क्लास में कम से कम 150 बच्चे होने चाहिए, जबकि इस गांव के स्कूल में दोनों क्लास मिलाकर 76 बच्चे हैं। वहीं नौवीं क्लास में 27 और दसवीं में 49 बच्चे हैं।
ऐसा पहली बार हो रहा है, कि हरियाणा के गांव की लड़कियां इतनी बड़ी संख्या में सामने आई हैं और अपनी शिक्षा और सम्मान के लिए मुखर हो रही हैं। लेकिन प्रशासन की ये असंवेदनशीलता एक बार फिर निराश कर रही है। लड़कियां इतनी गर्मी में बीमार पड़ रही हैं और अधिकारी नियमों की आड़ लेकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं।
-प्रज्ञा श्रीवास्तव