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ताकि गांव के बच्चे भी बन सकें काबिल: इंजिनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने शुरू की पढ़ाने की मुहिम

ताकि गांव के बच्चे भी बन सकें काबिल: इंजिनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने शुरू की पढ़ाने की मुहिम

Monday January 08, 2018 , 4 min Read

इन इंजीनियरिंग छात्रों की पहल गांव के लिए मिसाल बन गई है। पढ़ाने का उनका मकसद पैसा कमाना नही बल्कि गांव के बच्चों को उच्चस्‍तरीय शिक्षा देना है, ताकि गरीब बच्चे भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकें। 

बच्चों को पढ़ाते विजय (फोटो साभार- जागरण)

बच्चों को पढ़ाते विजय (फोटो साभार- जागरण)


विजय ने इस बात को अपने साथी छात्रों से भी साझा किया। वहां कई सारे ऐसे छात्र हैं जो समाज की इस कड़वी हकीकत से वाकिफ हैं। उन्होंने भी विजय के इस अभियान में भागीदार बनने की इच्छा जताई।

विजय ने कॉलेज के साथियों से जब इस बाबत चर्चा की तो कई लोग सामने आ गए। फिर देखते ही देखते हमने एक ऐसी संस्था बना डाली जो गरीब बच्चों को संसाधन उपलब्ध कराते हुए शिक्षित करने में जुट गई। 

किसी भी विकसित समाज की संकल्पना बगैर शिक्षा के नहीं की जा सकती। लेकिन आज शिक्षा सिर्फ संपन्न लोगों के वश की बात हो गई है। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद गांव के गरीब युवाओं के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना महज एक सपना ही रह गया है। लेकिन गांव के बच्चों के सपनों को नई उड़ान मिल सके, इसलिए झारखंड में एक इंजिनियरिंग कॉलेज के कुछ युवाओं ने गांव के बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है। रामगढ़ के इंजिनियरिंग कॉलेज में शिक्षा ले रहे छात्रों का मकसद है कि जो बच्चे गरीबी और आर्थिक कमजोरी की वजह से स्कूलों या कोचिंग में नहीं जा पाते हैं, उनकी मदद की जाएगी।

इन भावी इंजिनियरों का सपना है कि वे गांव के बच्चों को भी इंजिनियर बनते देख सकें। इसीलिए यह पहल शुरू की गई है। जागरण की खबर के मुताबिक गरीबी के कारण जो बच्‍चे अच्‍छे स्‍कूलों में नामांकन नहीं करा सकते उन्‍हें ये इंजिनियरिंग स्टूडेंट्स नि: शुल्‍क शिक्षा देंगे ताकि ये अच्‍छी शिक्षा पाकर हमारी तरह इंजीनियर बन सकें। संपन्‍न वर्ग के बच्‍चे तो अच्‍छे स्‍कूलों में नामांकन करा लेते हैं लेकिन गरीब बच्‍चे के अभिभावक इतने समक्षम नहीं कि वे अपने बच्‍चों का नामांकन अच्‍छे स्‍कूलों में करा सकें। आज हर एक प्राइवेट शिक्षण संस्थान का एक ही मकसद होता है ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना।

लेकिन इन इंजीनियरिंग छात्रों की पहल गांव के लिए मिसाल बन गई है। पढ़ाने का उनका मकसद पैसा कमाना नही बल्कि गांव के बच्चों को उच्चस्‍तरीय शिक्षा देना है, ताकि गरीब बच्चे भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकें। इसकी शुरुआत छात्रों ने रामगढ़ छोटकीलारी गांव को गोद लेकर की। यहां के लगभग 200 बच्चो को ये नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं। गरीब बच्‍चों के बीच शिक्षा की अलख जगाने की शुरुआत चतरा जिले के पत्थलगडा प्रखंड के निवासी विजय कुमार ने की। ये सिविल इंजीनियरिंग में तृतीय वर्ष के छात्र हैं। विजय यहां वंडर एजुकेशन पॉइंट नामक संस्था चलाते हैं। इसमें वह निदेशक हैं।

विजय बताते हैं कि बचपन से ही मेरी इच्छा थी कि गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दूं। आसपास के सुविधाविहीन बच्चों को काम करते या कचरा चुनते देखता था तो मन विचलित हो जाता था। उसी समय मैंने ठान लिया कि ऐसे गरीब बच्‍चों को भी पढ़ने और आगे बढऩे का मौका मिलना चाहिए। इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन के बाद एक समूह बनाकर ऐसे बच्‍चों को सुविधाएं उपलब्ध कराने का संकल्‍प ले लिया। उन्होंने इस बात को अपने साथी छात्रों से भी साझा किया। वहां कई सारे ऐसे छात्र हैं जो समाज की इस कड़वी हकीकत से वाकिफ हैं। उन्होंने भी विजय के इस अभियान में भागीदार बनने की इच्छा जताई।

विजय ने कॉलेज के साथियों से जब इस बाबत चर्चा की तो कई लोग सामने आ गए। फिर देखते ही देखते हमने एक ऐसी संस्था बना डाली जो गरीब बच्चों को संसाधन उपलब्ध कराते हुए शिक्षित करने में जुट गई। इस नेक काम करने का मौका मिला तो संतुष्टि हो रही है। माता-पिता के आशीर्वाद से ही यह संभव हो पाया। यह उन्हीं की दी हुई सीख है। हर काम में मेरे अभिभावकों का पूरा सहयोग मिला है। विजय के पिता छत्रधारी दांगी किसान हैं और मां गृहिणी हैं।

विजय कुमार यहां के बच्चों को निश्‍शुल्क शिक्षा देने के साथ उन्‍हें हर क्षेत्र में पारंगत बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी के तहत पिछले दिनों रामगढ इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित टेक फिस्टा कार्यक्रम के दौरान छोटकीलारी गांव के बच्चों ने चित्रकला, क्विज, नृत्य आदि कार्यक्रम में हिस्सा लेकर शानदार प्रदर्शन किया। मौके पर मौजूद रामगढ़ एसपी किशोर कौशल व गोमिया विधायक योगेंद्र महतो द्वारा इन्‍हें पुरस्कृत भी किया गया। विजय के साथ ही इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के प्रीतम, इलेक्ट्रिकल विभाग के अब्दुल शाहिद और मनमोहन महतो, सिविल डिपार्टमेंट के चंदन कुमार भी उनका सहयोग देते हुए बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं।

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