लोगों में खुशियां बांटने साइकिल से निकली भाई-बहन की जोड़ी
साइकिल की सवारी कर छुट्टियों में करें मौजRed Spokes की स्थापना जनवरी, 2014 में हुईकई साइकिलिंग इवेंट कराती है Red Spokes
कहते हैं दुनिया में हर चीज खरीदी जा सकती है लेकिन खुशियां नहीं। वहीं अगर खुशियों का बांटा जाए तो वो और ज्यादा बढ़ती है। कुछ ऐसा ही कर रहे हैं बेंगलौर के रहने वाले जुबिन जगतियानी और उनकी बहन शायना। जो अपनी कंपनी Red Spokes Cycling के जरिये साइकिलिंग को प्रोत्साहन देकर लोगों की जिंदगी को और मजेदार बना रहे हैं।
जुबिन इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि हैं जो दिन भर ऑटो के पुर्जे बनाने वाली कंपनी में काम करते हैं और जो समय बचता है उसमें वो ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी एसएमई के लिए सॉफ्टवेयर डिजाइन करते हैं। इसके अलावा छुट्टी के दिन वो अपना वक्त अपने पैशन को पूरा करने में खर्च करते हैं और ये पैशन है Red Spokes Cycling का। जुबिन के मुताबिक इस कंपनी के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य लोगों की भागती जिंदगी को थोड़ा आराम देना है ताकि वो भी अपने लिये वक्त निकाल सकें,दुनिया को देख सकें। आज जुबिन के इन्ही प्रयासों की सभी सराहना कर रहे हैं। जुबिन के मुताबिक साइकिल के कारण ही उनमें कई तरह के बदलाव आए और उनमें दुनिया को देखने की समझ पहले के मुकाबले बढ़ी है। उनको उम्मीद है कि Red Spokes के साथ जुड़कर लोग अपनी जिंदगी के ना सिर्फ खालीपन को भर सकेंगे बल्कि अपनी छुट्टियों का मजा भी ले सकेंगे।
जुबिन के मुताबिक साइकिल ही ऐसी चीज है जो आपको कभी भी, कहीं भी ले जा सकती है, बिना रूके, बिना थमे। तभी तो लोग इसकी सवारी कर ना सिर्फ अलग अलग जगह घूम कर विभिन्न तरह के खानों का मजा ले सकते हैं बल्कि स्थानीय रीत रिवाजों से भी परिचित होते हैं। खास बात ये है कि जानकारी के साथ साथ छुट्टियों का मजा भी इसमें दोगुना हो जाता है। जुबिन की यही सोच दूसरों से अलग भी बनाती है। जुबिन की जिंदगी में साइकिलिंग काफी देर से आई लेकिन उसमें इनको शांति मिली और मजा आया। तब उन्होने अपने इस विचार के साथ खेलना शुरू किया और दूसरे लोगों को भी इसमें जोड़ने की कोशिश की और उनको ये बताया कि कैसे साइकिलिंग उनकी जिंदगी में भी बदलाव ला सकती है। जुबिन ने साइकिलिंग को विभिन्न तरह की यात्राओं से भी जोड़ा ताकि लोगों का रूझान बढ़े। जुबिन ने बेंगलौर में अक्टूबर, 2013 में पहली बार साइकिल डे पर हिस्सा ला और यहीं से उनमें इस ओर रूझान बढ़ा। जिसका परिणाम ये रहा कि उन्होने जनवरी, 2014 में Red Spokes की शुरूआत कर दी। ये वास्तव में उनके लिए नया उद्यम था।
जुबिन ने Red Spokes की स्थापना अपनी बहन शायना के साथ मिलकर की। शायना को मॉर्केटिंग का 16 साल का लंबा अनुभव है और उन्होने कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों जैसे डिस्कवरी, टीएलएसी और दूसरी कई जगहों पर काम किया है। आज ये दोनों मिलकर अपनी इस कंपनी को चला रहे हैं। आज के दिन में इनके पास सिर्फ एक कर्मचारी है जो इनके काम को संभालता है। इनके मुताबिक वो जल्द ही और लोगों को भी अपने साथ जोड़ने का इरादा रखते हैं। ताकि विकास के रास्ते में धीरे धीरे आगे बढ़ें। इन लोगों ने पहली बार साइकिल के माध्यम से लंबी यात्रा 1फरवरी को की थी जो मैसूर के पास अंगूर का एक बगीचा था। इसके हर दो हफ्ते बाद ये लोग ऐसी ही यात्रा का कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इस यात्रा को इन्होने नाम दिया है Pub Crawl। इसके लिए इनकी कंपनी ने बेंगलौर और उसके आसपास कई बार्स को भी अपने साथ जोड़ा है। ताकि ये लोग वहां जाकर ना सिर्फ खाने और पीने का लुत्फ ले सकें बल्कि खुलकर मस्ती भी कर सकें। पीने के बाद अगर कोई ज्यादा बहक जाता है तो इसके लिए कंपनी ने ‘उबेर’ के साथ भी समझौता किया हुआ है जो ज्यादा पीने वाले घर तक छोड़ने का इंतजाम करती है। अब जल्द ही ये लोग एक नये कार्यक्रम के साथ सामने आ रहे हैं जिसका नाम है “बगीचे वाले शहर की दोबारा खोज” इसके जरिये ये लोग ना सिर्फ साइकिल के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाएंगे बल्कि उनको ये भी बताएंगे की साइकिल के इस्तेमाल से आप ना सिर्फ स्वस्थ्य रह सकते हैं बल्कि शहर के बढ़ते ट्रैफिक से भी बच सकते हैं।
इन लोगों के मुताबिक कंपनी की अभी शुरूआत हुई है इसलिये ये लोग फेसबुक, ट्विटर और दूसरी सोशल साइट्स के अलावा अलग अलग लोगों से बात कर अपने बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसके अलावा इन लोगों की योजना जल्द ही अपनी एक वेबसाइट लाने की है। जुबिन के मुताबिक इनकी ओर से आयोजित पहली साइकिल राइड में इनके कुछ दोस्त और उनके कुछ दोस्त शामिल हुए थे जबकि Pub Crawl में कई जाने माने चेहरों के साथ पुराने चेहरे भी शामिल होते हैं। इन लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही और लोग भी इनके साथ जुड़ेंगे। अब इन लोगों की योजना अपनी इस मुहिम को और दूसरे शहरों में भी ले जाने की है। साथ ही ये अपनी कोई भी साइकिल यात्रा को बढ़ाकर
अपनी आय बढ़ाने के लिए ये लोग तीन स्तर पर काम कर रहे हैं। पहला स्तर वो है जहां पर लोग सीधे इनके साथ जुड़ रहे हैं दूसरे स्तर में ये लोग कई टूर ऑपरेटर के साथ गठजोड़ कर रहे हैं जबकि तीसरे स्तर में ये लोग कॉरपोरेट सेक्टर के लिए कई पैकेज तैयार कर उनके लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। ये लोग अपने काम को बढ़ाना चाहते हैं इसके लिए इनको जरूरत है निवेश की। इनके मुताबिक आधारभूत ढांचे को खड़ा करने और अपने काम के प्रचार में काफी पैसा खर्च होता है। जिसके लिये ये लोग निवेश जुटाने की कोशिश में हैं। इन लोगों के साथ दो कंपनियां जुड़ी है जो इनके कार्यक्रम के लिए साइकिलें उपलब्ध कराती हैं। साइकिल का चुनाव व्यक्ति की लंबाई पर आधारित होता है। ताकि उनको साइकिल चलाने के दौरान आराम महसूस हो। ये लोग साइकिल चलाने के दौरान लोगों को इससे जुड़ा सामान भी देते हैं जैसे हेल्मेट, सेफ्टी जैकेट इत्यादी। अब इन लोगों की योजना खुद ही कुछ साइकिल खरीदने की है लेकिन उनके रखरखाव के लिए ये लोग दूसरी कंपनियों से गठजोड़ कर रहे हैं। प्रत्येक कार्यक्रम के दौरान ये लोग अपने साथ कुछ अतिरिक्त साइकिलें भी रखते हैं। इस दौरान साइकिल मैकेनिक और एक वैन भी चलती है। वैन का इस्तेमाल वो लोग कर सकते हैं जो साइकिल चलाने के दौरान थक जाते हैं और इसमें जाकर वो आराम कर सकते हैं। लोगों के बीच बढ़ते समर्थन से इनका उत्साह भी बढ़ा है। इन लोगों लोगों को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों के दौरान ये लोग नियमित तौर पर लंबी दूरी की साइकिल यात्राएं आयोजित करेंगे। ये यात्रा दो या उससे अधिक शहरों के बीच की हो सकती है।