कचरे से भर गए थे तालाब, 30 युवाओं ने सफाई अभियान से कर दिया साफ
30 युवाओं ने कचरे से भरे तालाब को किया साफ...
तमिलनाडु में मंदिरों के लिए मशहूर शहर तिरुवन्नमलाई में पानी के आठ टैंक काफी दयनीय स्थिति में थे। इन टैंकों से कभी यहां के लोगों की जरूरतें पूरी हुआ करती थीं। लेकिन समय के साथ किसी ने इनकी कद्र नहीं की और उसमें कचरा फेंकने लगे। कचरे की वजह से ये सारे टैंक काफी प्रदूषित हो गए थे। लेकिन हाल ही में कुछ युवाओं की बदौलत ये टैंक फिर से जीवित हो उठए हैं।
सबसे पहले पूमांथल कुलम को साफ करने की योजना बनी और उसके बाद धीरे-धीरे सारे टैंकों को साफ कर दिया गया। इससे प्रशासन के वे लोग भी हैरान हो गए जिनसे इसे साफ कराने का आग्रह किया गया था। पूरे टैंकों को साफ करने के बाद लगभग 15 से 20 टन का कचरा निकला। जिसमें से प्लास्टिक और मेडिकल वेस्ट भी शामिल था। सफाई का यह काम 34 सप्ताह में समाप्त हुआ।
तमिलनाडु में मंदिरों के लिए मशहूर शहर तिरुवन्नमलाई में पानी के आठ टैंक काफी दयनीय स्थिति में थे। इन टैंकों से कभी यहां के लोगों की जरूरतें पूरी हुआ करती थीं। लेकिन समय के साथ किसी ने इनकी कद्र नहीं की और उसमें कचरा फेंकने लगे। कचरे की वजह से ये सारे टैंक काफी प्रदूषित हो गए थे। लेकिन हाल ही में कुछ युवाओं की बदौलत ये टैंक फिर से जीवित हो उठए हैं। टैंक में पड़ा सारा कूड़ा और कचरा निकालकर फेंक दिया गया है जिससे यहां की सारी गंदगी समाप्त हो गई है। जलसंरक्षण की दिशा में ये वहां के लोगों का काफी बड़ा कदम है।
इस काम के लिए तिरुवन्नमलाई के 30 युवाओं को धन्यवाद कहना चाहिए, जिन्होंने शहर की रौनक को वापस लौटाने का काम किया है। इन युवाओं ने 2016 में सितंबर के महीने में साफ-सफाई की शुरुआत की थी। उन्होंने हर रविवार को छुट्टी निकालकर टैंक की सफाई करने का फैसला लिया था। वे हर रोज लगभग 4 से 5 घंटे इसे साफ करने के लिए निकालते थे। इस ग्रुप के एक सदस्य पूवा राघवन ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया, 'हममें से कई लोगों ने इन टैंकों को अच्छी हालत में देखा था। जब हम बच्चे थे तो उस वक्त इसमें साफ पानी भरा होता था।'
लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया वैसे-वैसे इनकी हालत बदहाल होती गई। यहां तक कि कुछ टैंकों में तो ड्रेनेज का पानी भी छोड़ा जाने लगा। इस वजह से यहां के युवाओं में रोष व्याप्त हो गया। राघवन ने बताया कि इसी वजह से सब ने मिलकर इसे रोकने और साफ करने का फैसला लिया। सब इस बात पर एकमत हुए कि टैंकों को बचाया जाना चाहिए। इसे साफ करने के मिशन को 'नीर थुली' यानी पानी की बूंद का नाम दिया गया। शुरू में सिर्फ 30 लोगों ने अपना योगदान देने के लिए सहमति जताई थी, लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई। हालांकि प्रशासन से भी इसे साफ कराने का आग्रह किया गया था, लेकिन उधर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
युवाओं के इस प्रयास को पूरे शहर के लोगों ने सराहा और जिससे जो बन पड़ा इसमें अपना सहयोग देने के लिए आगे आया। एक सदस्य ने बताया कि इसके पहले शहर में जल्लीकट्टू से जुड़े मुद्दे पर ही लोग आगे आए थे। सबसे पहले पूमांथल कुलम को साफ करने की योजना बनी और उसके बाद धीरे-धीरे सारे टैंकों को साफ कर दिया गया। इससे प्रशासन के वे लोग भी हैरान हो गए जिनसे इसे साफ कराने का आग्रह किया गया था। पूरे टैंकों को साफ करने के बाद लगभग 15 से 20 टन का कचरा निकला। जिसमें से प्लास्टिक और मेडिकल वेस्ट भी शामिल था। सफाई का यह काम 34 सप्ताह में समाप्त हुआ।
वहां के लोग बताते हैं कि कभी मंदिर की पूजा करने के लिए इन टैंकों से ही पानी लिया जाता है। अब लोग फिर से उम्मीद कर रहे हैं कि टैंकों की हालत पहले जैसी हो जाएगी। जल संसाधन मंत्रालय के डेटा के मुताबिक अभी 30 नवंबर, 2017 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 98.578 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 62 प्रतिशत है। आने वाले समय में पानी के संकट को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि साफ-सफाई और पानी बचाने की पहल काफी जरूरी हैं।
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