मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस बिल्डिंग ने पूरे किए 130 साल
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस ने 20 मई, 2018 को अपने निर्माण के 130 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस रेलवे स्टेशन को कभी विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से भी जाना जाता था। यह बिल्डिंग आर्किटेक्चर का उत्कृष्ट नमूना है।
दिलचस्प बात ये है कि ताज महल के बाद भारत में सबसे ज्यादा फोटो इसी बिल्डिंग के खींचे जाते हैं। इस बिल्डिंग का डिजाइन आर्किटेक्ट फ्रेडरिक स्टीवेंस ने तैयार किया था। इसके निर्माण में एक दशक का समय लगा था।
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस ने 20 मई, 2018 को अपने निर्माण के 130 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस रेलवे स्टेशन को कभी विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से भी जाना जाता था। यह बिल्डिंग आर्किटेक्चर का उत्कृष्ट नमूना है। शुरू में इस भव्य भवन में जीआईपी (ग्रेट इंडियन पेनिसुलर) रेलवे का कार्यालय स्थापित करने की योजना बनाई गई थी। दिलचस्प बात ये है कि ताज महल के बाद भारत में सबसे ज्यादा फोटो इसी बिल्डिंग के खींचे जाते हैं। इस बिल्डिंग का डिजाइन आर्किटेक्ट फ्रेडरिक स्टीवेंस ने तैयार किया था। इसके निर्माण में एक दशक का समय लगा था।
इसका निर्माण 1878 में शुरू हुआ और 1887 में महारानी विक्टोरिया के नाम पर इसका नाम विक्योरिया टर्मिनस रखा गया। इसे बनाने में 16,13,863 रूपये की लागत आई। स्टीवेंस के द्वारा डिजाइन किए गए इस ऐतिहासिक टर्मिनस को उस समय एशिया के सबसे बड़े भवन का दर्जा हासिल था। 1996 में इसका नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया। जुलाई 2017 में इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रखा गया। 2004 में यूनेस्को ने इस भवन को वास्तु कला की उत्कृष्टता के लिए विश्व विरासत की सूची में स्थान दिया। दिसंबर 2012 से इस विरासत भवन को सभी कार्य दिवस में लोगों के भ्रमण के लिए खोला गया है।
शिवाजी महाराज टर्मिनस का निर्माण 16.14 लाख रुपये की लागत से किया गया था। गॉथिक शैली में डिजाइन किए गए इस भवन को भारतीय संदर्भ के अनुरूप निर्मित किया गया था। यह एक सी-आकार की इमारत है जिसका निर्माण पूर्व पश्चिम धुरी पर समरूप तरीके से किया गया है। पूरी इमारत का सर्वोत्कृष्ट बिंदु मुख्य गुंबद है। इस पर एक विशाल महिला की आकृति (16 फुट 6 इंच) है। उसके दाहिने हाथ में एक ज्वलंत मशाल है जो ऊपर की ओर इशारा करता है और बाएं हाथ में एक कमानीदार पहिया है जो 'प्रगति' का प्रतीक है। इस गुंबद को पहला अष्टकोणीय धारीदार चिनाई गुंबद माना जाता है जिसे इतालवी गॉथिक शैली की इमारत के अनुरूप बनाया गया था।
1929 में इस स्टेशन में 10.4 लाख रुपये की लागत से 6 प्लेटफॉर्म बनाए गए। पहले पुनर्निर्माण के पश्चात् प्लेटफॉर्मों की संख्या 13 हो गई। यार्ड और स्टेशन में फिर कुछ बदलाव किए गए। 1994 में प्लेटफॉर्मों की संख्या 15 हो गई। अभी इस स्टेशन में 18 प्लेटफॉर्म हैं। पूर्व से प्रवेश करने के लिए खुली जगह है। अप्रैल 2018 में प्लेटफॉर्म संख्या 18 के बगल में एक विरासत गली का निर्माण किया गया है। इसमें जीआईपी हेरिटेज इलेक्ट्रिक लोको, सर लेजली विल्सन तथा अन्य विरासत की वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भवन के शताब्दी समारोह के दौरान एक डाक टिकट जारी किया गया था। 2013 में भवन के 125 वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष डाक कवर जारी किया गया था।
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