33 साल के युवक ने बदल दी किसानों की किस्मत, कुछ इस तरह दोगुना कमाई कर रहे हैं किसान
झारखंड के रहने वाले इंजीनियर राकेश महंती आज किसानों की आय को अपने प्रयासों के जरिये दोगुना करने का काम कर रहे हैं और अपने इस मिशन को पूरा करने के लिए उन्होने अपनी बेहतरीन सैलरी वाली नौकरी भी छोड़ चुके हैं। जमशेदपुर के पटमदा ब्लॉक के तमाम किसानों के लिए राकेश एक आशा की किरण बन चुके हैं।
राकेश के अनुसार अगर किसी को चीजों को बेहतर बनाना है तो उसके लिए एक उदाहरण तैयार करना बेहद आवश्यक है और उसके बाद लोग उनका अनुसरण करना शुरू कर देते हैं। राकेश ने भी कुछ ऐसा ही किया है। उन्होने सबसे पहले उनके साथ काम कर रहे 5 किसानों के साथ मिलकर एक छोटे से जमीन के टुकड़े पर एक मॉडल-फार्म तैयार किया और यहीं से इसके लाभ देखते हुए उनके साथ जुड़ने वाले किसानों की संख्या में लगातार इजाफा होना शुरू हो गया।
जुड़ रहे हैं देश भर के किसान
साल 2017 में महंती ने अपना सामाजिक उद्यम 'ब्रुक एन बीस' शुरू किया था, जो मुख्य रूप से सामुदायिक खेती के कॉन्सेप्ट पर काम करता है और स्थानीय किसानों के साथ मिलकर जैविक फसलें उगाता है। राकेश और अन्य किसान एक दूसरे के साथ जमीन, संसाधन, उपकरण और मशीनरी साझा करते हैं। आज इन किसानों द्वारा चार प्रकार के चावल, खाद्य फसलें, हरी सब्जियां, बाजरा और कई अन्य फसलें उगाई जा रही हैं।
इसके तहत अपनी भूमि रखने वाले किसानों को लाभ का प्रतिशत मिलता है जबकि भूमिहीन किसानों को हर महीने 6000 रुपये वेतन दिया जाता है। इसके अलावा किसानों को अपने उत्पादों को बेचने या उन्हें बाजार तक पहुंचाने के लिए पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ते हैं। राकेश के अनुसार अभी तक पूरे देश में करीब 200 किसान उनसे जुड़े हैं, जबकि पटमदा ब्लॉक क्षेत्र में करीब 80 किसान सीधे तौर पर उनसे जुड़े हैं। आज राकेश पूरे भारत के किसानों जरूरत अनुसार परामर्श भी प्रदान करते हैं।
किसानों के विकास के लिए छोड़ी नौकरी
एक टेक्नोक्रेट से किसान तक के अपने सफर के बारे में बात करते हुए महंती ने मीडिया को बताया है कि 2012 में बीआईटी बैंगलोर से बी.टेक पूरा करने के बाद उन्हें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में प्लेसमेंट मिला था। लेकिन इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि वह इस तरह की नौकरी के लिए नहीं बने हैं और अपने गांव में रहकर अपने ही लोगों के विकास के लिए कुछ करना चाहते हैं।
चार साल बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और एक्सएलआरआई, जमशेदपुर में मैनेजमेंट की पढ़ाई शुरू कर दी। चूंकि उनका खेती में इनोवेशन करने की ओर अधिक झुकाव था, इसलिए वे जमशेदपुर में अपने एमबीए प्रोग्राम के साथ ही अपने भविष्य की योजना बनाते हुए नियमित रूप से अपने खेतों का दौरा करते रहे।
बन गए किसानों के रोल मॉडल
राकेश के अनुसार अपने इस उद्यम के जरिये वे बस शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच के गैप को भरने की कोशिश कर रहे हैं, जहां मुख्य आइडिया लोकल फूड सिस्टम के नजदीक रहने वाले लोगों तक पहुंचाने का है। खेती करने के अलावा राकेश लंबी अवधि की योजना के रूप में फल देने वाले पेड़ और औषधीय पौधे भी लगाते हैं जिसके चलते आगे चलकर इकोसिस्टम को बहाल करने में मदद मिलेगी।
मीडिया से बात करते हुए स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि महंती स्थानीय किसानों के बीच एक तरह के रोल मॉडल बन गए हैं और अब वे क्षेत्र के कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं।
Edited by Ranjana Tripathi