निकेश अरोड़ा के स्थान पर केन मियाउची सॉफ्टबैंक के नये अध्यक्ष
निकेश अरोड़ा के स्थान पर केन मियाउची जापान के साफ्टबैंक के अध्यक्ष एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) का पद संभालेंगे। मियाउची अभी जापानी समूह के दूरसंचार परिचालन के प्रमुख हैं। अरोड़ा ने कल अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। जब यह स्पष्ट हो गया था कि चेयरमैन और सीईओ मासायोशी सन अभी मौजूदा पद पर 5 से 10 साल तक रहना चाहते हैं। सॉफ्टबैंक ने बयान में कहा कि मियाउची के पास 31 मार्च, 2016 तक बैंक के 11,01,230 शेयर हैं।
अरोड़ा ने कल कहा था कि वह ‘सीईओ इन वेटिंग’ नहीं बने रहना चाहते हैं क्योंकि उनके 58 वर्षीय बॉस अभी पद पर बने रहना चाहते हैं। सन ने दो साल पहले अरोड़ा को अपना उत्तराधिकारी बताया था। अरोड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा वेतन पैकेज पाने वाले कार्यकारियों में हैं।
हालांकि, अरोड़ा एक साल तक सॉफ्टबैंक में सलाहकार की भूमिका में रहेंगे। इस्तीफे की घोषणा से एक दिन पहले सॉफ्टबैंक द्वारा गठित एक विशेष समिति ने अरोड़ा को क्लीनचिट दी थी। अरोड़ा पर कुछ शेयरधारकों ने उनके व्यवहार, बर्ताव आदि को लेकर आरोप लगाए थे। सॉफ्टबैंक के एक निवेशक ने भारत में भारी निवेश के लिए भी अरोड़ा की आलोचना की थी। अरोड़ा की वजह से ही सॉफ्टबैंक ने भारतीय इकाइयों मसलन स्नैपडील, ओला, ग्रोफर्स, हाउसिंग.काम तथा ओयो रूम्स में निवेश किया था। (पीटीआई)
उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व निकेश अरोड़ा ने सॉफ्टबैंक के प्रेसिडेंट पद से इस्तीफा दे दिया था। निकेश अरोड़ा ने ट्वीट कर कहा था,
- बोर्ड से क्लीन चिट मिलने के बाद ही इस्तीफा देने का फैसला किया है और मेरे लिए आगे बढ़ने का सही समय है। इंडियन स्टार्टअप्स को सपोर्ट जारी रहेगा।
भारत में स्टार्टअप्स के लिए निकेश अरोड़ा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे यूपी के गाजियाबाद से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें वेंचर कैपिटल के पोस्टर ब्वॉय के नाम से भी जाना जाता है। उऩके पिता भारतीय वायुसेना में थे। निकेश ने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिग्री हासिल की थी। अमेरिका के नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए के बाद उन्होंने बोस्टन से मास्टर ऑफ साइंस किया।
फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट, टीमोबाइल कंपनी, गूगल जैसी कंपनियों में काम करने वाले निकेश सितंबर 2014 में सॉफ्टबैंक के वाइस चेयरमैन बने थे। एक साल बाद ही उन्हें प्रमोट करके सॉफ्टबैंक कॉर्प का अध्यक्ष और सीओओ बनाया गया। अगस्त 2015 में उन्होंने निकेश ने करीब 3200 करोड़ रुपये की निजी पूंजी से कंपनी के शेयर खरीदे।