'VChangeU', युवाओं को शराब और तंबाकू की बुरी लत से बचाने की कोशिश
युवाओं और नागरिकों को इन हानिकारक वस्तुओं से होने वाली बीमारियों के बारे में कर रहे हैं जागरुकविभिन्न जागरुकता और छात्र सशक्तीकरण कार्यक्रमों के द्वारा देश से इन चीजों के प्रयोग को बिल्कुल खत्म करने का है प्रयास युवाओं और छात्रों को जोड़ने के लिये रचनात्मक पोस्टरों और 2डी और 3डी लघु एनिमेशन फिल्मों का लेते हैं सहाराजागरुकता फैलाने के लिये 300 से अधिक डोमेन को कर रहे हैं संचालित और 150 से अधिक फेसबुक पेज का ले रहे हैं सहारा
VChangeU (वीचेंजयू) हैदराबाद स्थित एक ऐसा गैर-लाभकारी संगठन है जो युवाओं को स्थानीय समस्याओं और मुद्दों का हल करने के लिये सशक्त बनाने के काम को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहा है। अखंडता, रचनात्मकता, नवोत्थान और पारदर्शिता के बुनियादी मूल्यों पर संचालित होने वाले वीचेंजयू को उम्मीद है कि देशभर में में फैली छोटी-छोटी स्थानीय टीमों के सहयोग से संपन्न किया जा रहा इनका काम छोटी सामुदायिक पहलों की शक्ति बड़े पैमाने पर एक परिवर्तन लाने में सहायक होगी।
एक बड़े लक्ष्य को अपने केंद्र में रखते हुए वीचेंजयू की टीम ने अपने प्रयासों को विशेष रूप से स्वास्थ्य और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाने वाले कामों पर केंद्रित करने का फैसला किया। इनका मानना है कि एक स्वस्थ जीवन के जरिये सिर्फ कोई एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरा समाज शारीरिक और आर्थिक दोनों रूप से फलता-फूलता है। यहां तक कि इन्होंने अपने ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और समूचे विश्व में बीमारियों के दो निवारण करने योग्य लेकिन सबसे प्रमुख और आम कारणों को तलाशने में सफलता पाई है। और ये दो कारण हैं शराब और तंबाकू का उपभोग।
वीचेंजयू की टीम ने शराब और तंबाकू के खिलाफ एक बेहद कड़ा रुख अपनाया है और ये लोग स्कूलों में शिक्षा कार्यक्रमों के द्वारा और सार्वजनिक जानकारी सत्र आयोजित कर छात्रों और लोगों को इन दो हानिकारक पदार्थों के खतरों के बारे में आगाह करते हैं। ये लोग शराब और तंबाकू के व्यापार के वैश्वीकरण को सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखते हैं क्योंकि इसके चलते ये दो उद्योग वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बड़ी ताकत बनने में सफल हो गए हैं। इन दोनों उत्पादों की भविष्य की खपत पर काबू पाने के उद्देश्य से वीचेंजयू की टीम युवाओं को इस ओर शिक्षित करने पर सबसे अधिक जोर रे रही है। यह टीम विभिन्न जागरुकता और छात्र सशक्तीकरण कार्यक्रमों का आयोजन कर देश से इन चीजों के प्रयोग को बिल्कुल खत्म करने के प्रयास कर रही है जिन्हें वीचेंजयू के संस्थापक और अध्यक्ष विजय भास्कर ‘बहुत बड़ा खतरा’ कहते हैं।
हाल ही में विजय के साथ हुए साक्षात्कार में उन्होंने हमें शराब और तंबाकू के खिलाफ अपनी मजबूत भावनाओं के बारे में जानकारी देने के अलावा इस दुनिया की इन हानिकारण उत्पादों के विषय में धारणा को बदलने के लिये वीचेंजयू जैसे संगठनों की आवश्यकता के बारे में बताते हैं। पेश हैं उनसे हुई विस्तृत बातचीत के संपादित अंशः
याॅरस्टोरीः वीचेंजयू को विशेष रूप से प्रासंगिक बनाने के क्रम में आपको मुख्यतः किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
विजयः हम आज के समय में दुनिया के सामने खड़े सबसे बड़े खतरे के खिलाफ लड़ रहे हैं जो प्रतिवर्ष दुनियाभर में 8 मिलियन से भी अधिक लोगों की जान ले रहा है और यह दुनिया के किसी भी देश के लिये एक बहुत भारी बोझ है। हम इस खतरे के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और छात्रों और युवा पीढ़ी को इससे दूर रखने के लिये स्कूलों, काॅलेजों और कंपनियों का रुख करके उन्हें इन चीजों के खतरों से रूबरू करवाएंगे।
हमारे संगठन के साथ जुड़े प्रमुख सदस्यों में से कोई भी स्वास्थ्यसेवा के पेशे से जुड़ा हुआ नहीं है इसके बावजूद हमने स्वास्थ्य को अपने मूल उद्देष्य के रूप में लिया और फिलहाल तक हम समाज में कुछ अंतर लाने में सफल रहे हैं।
उदाहरण के लिये हमारे गूढ़ शब्दों, “TOBACCO-FREE WORLD: AN INNOVATIVE AND CREATIVE APPROACH FOR TOBACCO CONTROL” (‘‘तंबाकू मुक्त विश्वः तंबाकू नियंत्रण के लिये एक अभिनव और रचनात्मक दृष्टिकोंण’’) को बोस्टन के वेस्टिन बोस्टन वाटरफ्रंट होटल में वर्ष 2013 में 13 से 16 मार्च तक आोजित हुई एसआरएनटी (निकोटीन और तंबाकू पर अनुसंधान के लिये गठित सोसाइटी) की वार्षिक बैठक के लिये प्रस्तुत के रूप में तैयार किये गए पोस्टर के लिये चयनित किया गया। इससे पूर्व हम वर्ष 2010 में मुंबई में आयोजित दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन और वर्ष 2012 में सिंगापुर में आयोजित तंबाकू या स्वास्थ्य पर आयोजित 15वें विश्व सम्मेलन में स्काॅलरशिप प्राप्तकर्ता थे।
हमारा मानना है कि कुछ नया करना सिर्फ व्यापार के क्षेत्र के लिये ही आवश्यक नहीं है बल्कि गैर-लाभकारी संस्थान भी कुछ ऐसा कर सकते हैं जो सामाजिक क्षेत्र में एक बेहतर उदाहरण स्थापित कर सके।
याॅरस्टोरीः आपके अनुसार वीचेंजयू की रणनीति को सफल बनाने में कौन से कारक सबसे महत्वपूर्ण रहे हैं?
विजयः प्रौद्योगिकी और तकनीक हमारी सबसे बड़ी प्रेरनिष्णा थी और इसी की ताकत के सहारे हम सामाजिक मुद्दों तक आसानी से पहुंचकर उनका समाधान करने में सफल रहे। हमनें युवाओं और छात्रों को अपने साथ जोड़ने और उनकी सोच को सकारात्मक बनाये रखने में मदद करने के लिये रचनात्मक पोस्टरों और एनिमेटिड लघु फिल्मों का सहारा लिया जिससे हम तंबाकू और शराब को पूरे जीवन के लिये उनसे दूर रखने में सफल रहे।
आने वाले संकट के बारे बताते हुए लोगों का जीवन बचाने के लिये उनके बीच जागरुकता को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। तीन वर्षों तक तंबाकू और मद्य नियंत्रण नीतियों की विभिन्न रणनीतियों और उनके नतीजों के गहन अध्ययन के बाद हम तंबाकू और मद्य निषेध के लिये एक बिल्कुल अभिनव रणनीति तैयार करने में सफल रहे हैं।
हमने बड़ी संख्या में तंबाकू और शराब विरोधी पोस्टरों और अभियानों को तैयार किया है और हम युवा पीढ़ी के बीच इन चीजों के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जारुकता बढ़ाने की दिशा में कई और नए विचारों को भी लेकर आ रहे हैं। हमने तंबाकू के जागरुकता बढ़़ाने के उद्देष्य के कुछ लाइव 2डी और 3डी एनीमेटिड लघु फिल्मों का भी निर्माण किया है जिन्हें हम स्कूलो और काॅलेजों में होने वाली अपनी प्रस्तुतियों में प्रदर्शित करते हैं।
इसके अलावा हमने विभिन्न सामाजिक उद्देष्यों के प्रति बड़े पैमाने पर जनजागरुकता पैदा करने के लिये 300 से अधिक डोमेन पंजीकृत करवा रखे है जिन्हें हम संचालित करते हैं और हमारा सहयोग करने के लिये फेसबुक के भी 150 से अधिक पेज मौजूद हैं। हम समाज की भलाई के कामों के लिये नए और रचनात्मक समाधान खोजने की दिशा में इन संसाधनों का इस्तेमाल करते रहेंगे।
याॅरस्टोरीः एक ऐसे समय में जब शरब और तंबाकू का सेवन बहुत प्रचलन में हैं आपके हिसाब से इन दोनों वस्तुओं के उपयोग को रोकने के लिये कैसे आंदोलन की आवश्यकता है? क्या आपको लगता है कि इस दिशा में अधिक सफलता पाने और महत्वपूर्ण बदलाव करने की दिशा में शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है?
विजयः आज के समय में होने वाले अधिकतर अपराधों जैसे हत्या, दुर्घटना में मौत, बाल उत्पीड़न या उपेक्षा और आत्महत्याओं के पीछे शराब का सेवन एक मुख्य वजह है। हमारी नजरों में शराब का समर्थन करने वाला या शराब खरीदने वाला कोई भी व्यक्ति एक ऐसा शख्स है जो अपराध, बाल उत्पीड़न और हिंसा का समर्थन करता है। शराब और तंबाकू के खतरों से बचने का सबसे अच्छा उपाय इनका वर्तमान में होने वाली ऐसी घटनाओं के साथ संबंध स्थापित करने के अलावा इनके साथ जुड़े पर्यावरण कारकों को सबके सामने लाना है।
हम पूरी तरह से शराब और तंबाकू पर प्रतिबंध का समर्थन करते हैं। दिल्ली के निर्भया कांड के बारे में बात करते हुए हर कोई उउन बलात्कारियों और उनके कृत्यों के बारे में तो खुलकर बात कर रहा है लेकिन कोई भी शराब के सेवन के बारे में बात करने को तैयार नहीं है जिसके असर के चलते उन दरिंदों ने इस भयानक घटना को अंजाम दिया। अभी तक भी कोई शराब की खपत को विनियमित करने के बारे में बात करने की हिम्मत नहीं दिखा रहा है।
वर्तमान में तंबाकू का कारोबार वैश्विक स्तर पर फैलता जा रहा है जिसकी वजह से इसके नुकसानों के बारे में लोगों को जागरुक करने के काम की चुनौती बढ़ती जा रही है। तंबाकू उद्योग एक वैश्विक ताकत के रूप में काम करता है। लेकिन हमने अपना ध्यान अपने लक्ष्य की ओर ही केंद्रित किया हुआ है और तबाकू के प्रयोग को रोकना सिर्फ किसी एक व्यक्ति की चिंता का विषय न होकर सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण क्षरण का एक विषय बन गया है। यह सीमाओं के बंधन को पीछे छोड़कर सार्वजनिक स्वास्थ्य की जरूरत के रूप में सामने आ गया है और स्वयं में एक वैश्विक ताकत का रूप लेता जा रहा है।
तंबाकू और शराब मुक्त गांवों और घरों की स्थापना इस खतरे से समाज को बचाने में एक सकारात्मक और महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों कीे शहरी लोगों के मुकाबले बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बेहद सीमित होती है। अब चूंकि कई कार्यकर्ता और समाजसुधारक शहरी क्षेत्रों में काम करने के लिये आगे आए हैं इसलिये जागरुकता में इजाफा हो रहा है और लोगों की मानसिकता में बहुत हद तक परिवर्तन आ रहा है।
याॅरस्टोरीः आपके विचार से सरकार को तंबाकू और शराब के इस्तेमाल में कमी लाने के लिये क्या प्रयास करने चाहियें? सरकार ने अपनी तरफ से कई तरह की पाबंदियां लगाकर सिगरेट खरीदने के लिये एक उम्रसीमा तय भी कर दी है। लेकिन क्या आपको लगता है कि उम्रसीमा तय कर देने से कुछ बदलेगा या सरकार को काई दूसरा रास्ता तलाशना चाहिये?
विजयः वास्तव में सरकार तंबाकू से होने वाली कैंसर, हृदय और फेफड़ों इत्यादि से संबंाित बीमारियों के इलाज पर तीन गुना अधिक धन खर्च कर रही है। अगर सिर्फ तंबाकू पर ही पाबंदी लगा दी जाए तो उस पैसे के इस्तेमाल से कई बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है।
इसके अलावा चूंकि तंबाकू और शराब देश में होने वाली अधिकतर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण है इसलिये सरकार को इस बढ़ी हुई चिकित्सा लागत को पार पाने के लिये इन वस्तुओं पर और अधिक टैक्स लगा देना चाहिये। हो सकता है कि टैक्स बढ़ने के चलते इन खतरनाक उत्पाद़ों की लगातार बढती हुई बिक्री पर कुछ हद तक अंकुश लगे।
सरकार की तरफ से लागू किये गए कई नियम और निषेध कानून बनाए गए हैं लेकिन वास्तविकता में इनमें से अधिकतर का कड़ाई से न तो पालन हो रहा है और न ही किसी को इसकी निगरानी की चिंता है। इन सबके बावजूद कोई भी नाबालिग बड़ी आसानी से तंबाकू उत्पाद या शराब खरीद सकता है और खरीद रहे हैं। अधिकतर सार्वजनिक स्थलों पर आप अब भी लोगों को खुलेआम सिगरेट का धुंआ उड़ाते देख सकते हैं।
याॅरस्टोरीः उभरते हुए सामाजिक उद्यमियों के लिये सलाह के कुछ शब्द?
विजयः हमारा उभरते हुए सामाजिक उद्यमियों से सिर्फ इतना ही विनम्र निवेदन है कि आप एक फायदेमंद व्यवसाय का संचालन करें और उस पैसे का इस्तेमाल शाही तरीके से जिंदगी बिताने की जगह दूसरों की सहायत करने में भी करें।
याॅरस्टोरीः ऐसा कुछ और जो आप हमारे पाठकों को बताना चाहते हों?
विजयः हालांकि समाज में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान देना चाहता है लेकिन कई बार अपनी व्यक्तिगत या व्यवसायिक प्रतिबद्धाओं के चलते वह ऐसा करने में असफल रहता है या फिर उन्हें यह ही नहीं पता होता कि शुरुआत कहा से करें। आजादी के बाद से भारत में अरबपतियों की संख्या में बहुत इजाफा हुआ है लेकिन इसी दौरान अमीर और गरीब के बीच की खाई भी और अधिक चैड़ी हुई है। एक व्यक्ति 50 रुपये सिर्फ एक कप काॅफी पीने में ही खर्च कर देता है औश्र एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार का पेट भरने के लिये 50 रुपये ही कमा पाता है। हमें इस अंतर को पाटने की आवश्यकता है। हमारा समाज हमेशा बदलाव को खुली बाहों से स्वीकारता आया है लेकिन वक्त जरूरत है कि पूरे देशा का युवा खड़ा होकर आगे आए और इस बदलाव को लाने में सहायक हो।