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'शी टीम्स' की मेहनत रंग लाई : महिला विरोधी अपराध में 20 फीसदी की कमी

‘शी टीम्स’ में आम तौर पर महिलाएं हैं और इसका गठन वर्ष 2014 में उन लोगों पर नज़र रखने के लिए किया गया है, जो महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं।

'शी टीम्स' की मेहनत रंग लाई : महिला विरोधी अपराध में 20 फीसदी की कमी

Thursday October 27, 2016 , 4 min Read

‘शी टीम्स’ की पैनी नजर के कारण हैदराबाद में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आई है। ‘शी टीम्स’ में आम तौर पर महिलाएं हैं और इसका गठन वर्ष 2014 में उन लोगों पर नजर रखने के लिए किया गया है, जो महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं।

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इस साल सितंबर तक महिलाओं से छेड़छाड़ एवं उत्पीड़न के कुल 1,296 मामले दर्ज किए गए हैं जो पिछले साल सितंबर तक 1,521 थे। वहीं, वर्ष 2014 में सितंबर तक कुल 1,606 ऐसे मामले दर्ज हुए थे।

‘शी टीम्स’ 24 अक्तूबर 2014 को हैदराबाद में लांच की गई थी। इसका एकमात्र उद्देश्य था कि महिलाओं से छेड़छाड़ एवं उनके उत्पीड़न पर लगाम लगाई जाए तथा महिलाओं के लिए हैदराबाद शहर को सुरक्षित बनाया जाए।

हैदराबाद पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘इसके लांच से लेकर अब तक ‘शी टीम्स’ ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है और हैदराबाद शहर को महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान बनाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहेंगे।’ 

अपर आयुक्त पुलिस (अपराध एवं एसआईटी) स्वाति लाकड़ा ने बताया, ‘सार्वजनिक स्थानों में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न में भारी कमी आई है और लड़के महिलाओं पर छेड़छाड़ करने से बच रहे हैं, क्योंकि उनमें डर की भावना बनी हुई है कि ‘शी टीम्स’ उन पर नज़र रख रही है।

हैदराबाद में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आई है।

अब तक शी टीम्स ने गश्त के दौरान कुल 800 लोगों को पकड़ा है, जिनमें 222 नाबालिग और 577 वयस्क शामिल हैं। 

विभिन्न पुलिस थानों में 1897 छोटे-मोटे मामले दर्ज करने के अलावा 40 निर्भय एक्ट के मामले हैं, जबकि 33 मामले भादंवि एवं आईटी एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं। कम से कम 41 लोग को जेल में हैं, 242 लोगों को जुर्माना लगाया गया है, 392 लोगों को चेतावनी दी गई और छोड़ दिए गए हैं। 

जो अपराधी फोन कॉल, ई-मेल, सोशल मीडिया इत्यादि के जरिए महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं, समर्पित अधिकारियों ने आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर उनका पता लगा लिया है।

विभिन्न माध्यमों से अब तक कुल 2,362 शिकायतें मिली हैं और उन पर कार्रवाई की गई। इन शिकायतों में से 1,217 शिकायतें डायल 100 से, 322 फेसबुक से, 183 ई-मेल से, 421 पेश होकर की गई शिकायतें, 44 हॉक आई (मोबाइल एप्लिकेशन) और 175 व्हाट्सअप द्वारा भेजी गई शिकायतें हैं। अपराधियों में 23 प्रतिशत नाबालिग शामिल हैं, जबकि 18 से 20 वर्ष की आयु वर्ग के 41 फीसद हैं, 21 से 40 वर्ष के आयु वर्ग के 35 प्रतिशत, 41 से 55 वर्ष की आयु वर्ग के 0,67 फीसद और 55 वर्ष की आयु से अधिक वाले 0.33 प्रतिशत हैं।

इन अपराधों में से सबसे अधिक अपराध महिलाओं का पीछा करने वाले हैं, जो 39 प्रतिशत हैं। इसके बाद फोन एवं कामुक टिप्पणियां करना, जो दोनों 21 प्रतिशत हैं, जबकि सोशल मीडिया से उत्पीड़न, मोबाइल फोन से फोटो एवं वीडियो भेजना नौ प्रतिशत, अनुचित तरीके से छूना तीन प्रतिशत तथा पीड़ित महिला को बिना बताए उसका फोटो लेना दो प्रतिशत है। इसके अलावा, दोपहिया वाहन एवं कार का उपयोग कर बस स्टैंड, लड़कियों के कॉलेजों, हॉस्टलों इत्यादि के निकट उपद्रव कर महिलाओं को परेशान करने के अपराध पांच प्रतिशत दर्ज किए गए हैं। 

महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों में पकड़े गए नाबालिगों को अधिकारियों द्वारा परामर्श दिए जाने के अलावा उन्हें उनके माता-पिता के समक्ष विशेषज्ञों एवं अनुभवी व्यक्तियों द्वारा भी परामर्श देकर समझाया-बुझाया गया है।

‘शी टीम्स’ के अधिकारी ‘सिविल ड्रेस’ में रहते हैं और उन्हें कॉलेज के निकट एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों में तैनात किया जाता है। एक ‘शी टीम’ में एक पुरुष या एक महिला उपनिरीक्षक होती है, एक महिला पुलिस कांस्टेबल और तीन पुलिस कांस्टेबल होते हैं, जिनके पास वीडियों रिकार्डिंग के लिए गुप्त कैमरे होते हैं।