यूट्यूब पर 'देसी भाषा' के जरिए युवा कर रहे हर महीने लाखों की कमाई
भारत में जब से मोबाइल पर इंटरनेट सस्ता और सुलभ हुआ है तब से फोन पर वीडियो देखने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यूट्यूब पर क्षेत्रीय भाषा में वीडियो अपलोड करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं इन क्षेत्रीय भाषा से ही यूट्यूबर्स अच्छी कमाई भी कर रहे हैं।
भारत के टॉप 10 रीजनल यूट्यूब चैनलों का सब्सक्राइबर बेस 3,00,000 से 8,00,000 तक है। भारत के टॉप 10 रीजनल यूट्यूब चैनलों का सब्सक्राइबर बेस 3,00,000 से 8,00,000 तक है।
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूट्यूब के एंटरटेनमेंट हेड सत्या राघवन ने को बताया, 'हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम जैसी भाषाओं में लोग वीडियो अधिक देख रहे हैं। इन भाषाओं में बड़ी ग्रोथ देखी जा रही है। हरियाणवी, मराठी, बंगाली और दूसरी कई भाषाएं भी इनसे ज्यादा पीछे नहीं हैं।
भारत में जब से मोबाइल पर इंटरनेट सस्ता और सुलभ हुआ है तब से फोन पर वीडियो देखने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यूट्यूब पर क्षेत्रीय भाषा में वीडियो अपलोड करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं इन क्षेत्रीय भाषा से ही यूट्यूबर्स अच्छी कमाई भी कर रहे हैं। यूट्यूब का दावा है कि पिछले दो सालों में स्थानीय भाषाओं के वीडियो देखने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। इसकी वजह से हरियाणवी, तमिल से लेकर तेलुगु भाषाओं का बिजनेस प्रॉफिट में आ गया है।
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूट्यूब के एंटरटेनमेंट हेड सत्या राघवन ने को बताया, 'हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम जैसी भाषाओं में लोग वीडियो अधिक देख रहे हैं। इन भाषाओं में बड़ी ग्रोथ देखी जा रही है। हरियाणवी, मराठी, बंगाली और दूसरी कई भाषाएं भी इनसे ज्यादा पीछे नहीं हैं। भारत के टॉप 10 रीजनल यूट्यूब चैनलों का सब्सक्राइबर बेस 3,00,000 से 8,00,000 तक है। भारत के टॉप 10 रीजनल यूट्यूब चैनलों का सब्सक्राइबर बेस 3,00,000 से 8,00,000 तक है।
कॉमेडी चैनल नजरबट्टू प्रॉडक्शन के पास 6 लाख फॉलोअर्स हैं और ये ऐडवर्टाइजर्स और स्पॉन्सर्स के जरिए हर महीने 3,000 से 4,000 डॉलर की कमाई कर रहे हैं। नजरबट्टू प्रोडक्शन के को-फाउंडर अमीन खान ने कहा, 'हमने दिसंबर 2015 में अपने प्रॉडक्शन हाउस की शुरुआत की थी। हमारे पहले वीडियो को 25 लाख व्यू मिले और यह वायरल हो गया। इसके बाद हमने ट्रेंडिंग मुद्दों पर वीडियो बनाने शुरू किए। हमने दिल्ली के ऑड-ईवन प्लान से लेकर सलमान खान पर आए कोर्ट के फैसले को लेकर वीडियो बनाए। हमने अपनी शुरुआत के केवल 9 महीनों में 1 लाख सब्सक्राइबर्स जोड़ लिए थे। यह हमारे लिए बड़ी कामयाबी थी।'
यूट्यूब के मुताबिक नजरबट्टू प्रॉडक्शन की टागरेट ऑडियंस में ज्यादातर 18 से 28 साल के लोग हैं और इनमें से 70% पुरुष हैं। ये हर महीने करीब 4 वीडियो बनाते हैं और ब्रांडेड कंटेंट, एडवर्टाइजिंग और स्पॉन्सरशिप के जरिए मुनाफा कमाते हैं। अमीन खान ने कहा, 'फरहान अख्तर की फिल्म लखनऊ सेंट्रल भी हमारा एक स्पॉन्सर है। हमारे चैनल की टारगेट व्यूअरशिप में फिल्म प्रमोट करना उनके लिए सबसे आसान है।' राघवन के मुताबिक, यूट्यूब का अधिकांश रेवेन्यू कंटेंट क्रिएटर्स से आता है। उन्होंन कहा, 'ब्रांड्स को अब यह अहसास हो गया है कि वे इन कंटेंट क्रिएटर्स की मदद से भारत के हर छोटे से छोटे हिस्से में अपनी पहचान बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, हिंदुस्तान यूनिलीवर अभी तक सिर्फ हिंदी में ही ऐड दिखा रही थी, लेकिन अब उसके पास मौका है कि वह भारत में अलग-अलग भाषाओं में ऐड बना सकती है।
2011 से यूट्यूब स्थानीय स्टूडियो को ज्यादा डिस्ट्रीब्यूशन देने पर काम कर रहा है। 2014 में मुंबई के कंटेंट क्रिएटर्स टीवीएफ और एआईबी ने यूट्यूब पर लोगों को ध्यान खींचना शुरू किया था। इनका अधिकांश कंटेंट हिंदी और इंग्लिश में मिक्स होता था, जो मेट्रो शहरों जैसे मुंबई, नई दिल्ली और बेंगलुरु में काफी पसंद किया गया। राघवन कहते हैं कि 2014 के अंत और 2015 की शुरुआत में हमने देखा कि मुंबई के इन कंटेंट क्रिएटर्स ने साउथ इंडिया के कंटेंट क्रिएटर्स को प्रेरणा दी और इसके बाद उन्होंने मलयालम, तेलुगु, तमिल और अन्य भाषाओं में कंटेंट बनाया शुरू कर दिया, जो अब काफी पॉपुलर है।
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