जीएसटी परिषद की बैठक में करदाता इकाइयों के नियंत्रण को लेकर नहीं हुई कोई चर्चा
जीएसटी व्यवस्था में करदाता इकाइयों पर नियंत्रण के अधिकार के मुद्दे पर केंद्र व राज्यों के बीच कोई चर्चा नहीं होने के कारण अब इस नई कर प्रणाली के अगले साल एक अप्रैल से लागू किए जाने की संभावना एक तरह से मुश्किल दिख रही है।
प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में करदाता इकाइयों पर नियंत्रण के अधिकार के मुद्दे पर केंद्र व राज्यों के बीच आज कोई चर्चा नहीं होने के कारण अब इस नयी कर प्रणाली के अगले साल एक अप्रैल से लागू किए जाने की संभावना एक तरह से मुश्किल दिख रही है। जीएसटी की अगली बैठक 22-13 दिसंबर को होगी।
जीएसटी परिषद की छठवीं बैठक में जीएसटी करदाताओं पर दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर फैसला किया जाना था, लेकिन दो दिन की यह बैठक आज एक दिन में ही खत्म कर दी गई और इसमें नियंत्रण पर अधिकार के मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकी। जीएसटी परिषद की अगली बैठक अब 22-23 दिसंबर को होगी।
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यद्यपि नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एक अप्रैल 2017 से लागू करन के लक्ष्य के बारे में साफ साफ कुछ नहीं कहा पर केरल व तमिलनाडु जैसे राज्यों के प्रतिनिधियों ने कहा कि अब यह समयसीमा संभव नहीं दिखती। अब जीएसटी को सितंबर 2017 से लागू किए जाने की संभावना है। जेटली ने कहा, ‘विधेयक के मसौदे में लगभग 195 अनुच्छेद हैं। इसलिए यह पूरे कानून का केंद्रीय विधेयक है। हमने 99 अनुच्छेदो पर चर्चा की और अभी कुछेक धाराओं को फिर से लिखने की जरूरत है। आने वाले दिनों में इसमें संशोधन कर लेंगे। उम्मीद है कि अगले बैठक में विधेयक से सम्बधित प्रस्तावों को मंजूरी मिल जाएगी।’
केरल के वित्त मंत्री थामस इसाक ने कहा कि नोटबंदी से राज्यों का भरोसा डिगा है। उन्होंने कहा,‘ पहली अप्रैल की समयसीमा का अब कोई मायना नहीं है। जीएसटी को सितंबर तक ही लागू किया जा सकेगा।’ तमिलनाडु ने भी आगामी पहली अप्रैल की सीमा को असंभव बताया। राज्य के वित्त मंत्री ने कहा,‘ विधेयक के कई नुच्छेदों को अभी अंतिम रूप दिया जाना है। दोहरे नियंत्रण पर आम सहमति के बिना जीएसटी लागू नहीं हो सकता।’
वहीं वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा, कि केंद्र सरकार जीएसटी को पहली अप्रैल से लागू करने के लक्ष्य पर कायम है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा, कि ‘ निर्णय के लिए समय पर हमारा बस नहीं है। 16 सितंबर 2017 तक पिछली कर व्यवस्था का पटाक्षेप हो जाएगा।’