12वीं फेल ये युवा कैसे बन गया करोड़पति
12वीं फेल 24 वर्षीय युवक की दिल्ली की सड़क से लेकर भारत के युवा करोड़पतियों में शामिल होने की कहानी...
ऋषभ बहुत कम उम्र से ही स्टीव जॉब्स और बिल गेट्स से प्रभावित थे। ये दोनों महान शख्स ही ऋषभ के प्रेरणा श्रोत हैं। इनसे ही प्रभावित होकर ऋषभ ने सिर्फ 17 वर्ष की कम उम्र में अपना पहला स्टार्टअप "रेड कार्पेट" शुरू किया।
क्या आप जानते हैं दिल्ली के एक ऐसे युवक के बारे में जिसने 24 साल की कम उम्र में ही अपनी अलग पहचान बनाने के साथ-साथ अच्छा मुकाम हासिल किया है। इस युवक ने अपना पहला स्टार्टअप उस उम्र में शुरू किया जब लोग अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए कोई अच्छा ग्रेजुएशन कॉलेज खोज रहे होते हैं। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के ऋषभ लवानिया की। ऋषभ की उम्र अभी सिर्फ 24 साल है। ऋषभ इन दिनों साउथ अफ्रीका के केपटाउन शहर में रह कर वहां के उद्योगों को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।
ऋषभ बहुत कम उम्र से ही स्टीव जॉब्स और बिल गेट्स से प्रभावित हैं। यही वो दो नाम हैं, जिन्होंने ऋषभ को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। इनसे ही प्रभावित होकर ऋषभ ने सिर्फ 17 वर्ष की कम उम्र में ही अपना पहला स्टार्टअप "रेड कार्पेट" शुरू किया। ऋषभ ने अपनी 12वीं की परिक्षा में असफलता हासिल की थी, लेकिन ये भी सच है किसी भी व्यक्ति की सफलता-असफलता स्कूली रिज़ल्ट से नहीं मापी जा सकती और यही वजह है कि आज की तारीख में ऋषभ Weetracker मीडिया कंपनी के फाउंडर और सीईओ हैं।
12वीं में असफ़ल होने के बावजूद भी ऋषभ सिर्फ अपनी मेहनत और लगन के बल पर अपना पहला स्टार्टअप लॉन्च करने में सफल रहे। ऋषभ वास्तव में विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। 17 वर्ष की आयु में जब ऋषभ के सारे दोस्त इंजीनियर और डॉक्टर बनने की तैयारी कर रहे थे, उस वक्त ऋषभ अपना स्टार्टअप शुरू कर चुके थे और अन्य के लिए अपना दिमाग चला रहे थे। ऋषभ के अनुसार "किसी को भी इस बात कि उम्मीद नहीं थी की वो अपना खुद का कोई टेक्निकल व्यवसाय शुरू कर पाएंगे क्योकि वो किसी भी टेक्निकल और व्यावसायिक बैकग्राउंड से नहीं हैं।" साथ ही ऋषभ बताते हैं कि, "एक इवेंट के आयोजन के दौरान मुझे टेक स्टार्टअप शुरू करने की प्रेरणा मिली। मेरे जीवन के इस चरण के दौरान, मुझे नेटवर्किंग की समझ आयी। उस समय से मेरा ध्यान सिर्फ उद्यमी, वीसी और निवेशकों के साथ जुड़ने पर था, जैसा कि मैं कर सकता था और उनसे जुड़ के समझ सकता हूं कि व्यवसाय कैसे शुरू किया जाए।"
शुरू से ही ऋषभ ऐप्पल या माइक्रोसॉफ्ट के समान निर्माण कंपनियों पर ध्यान देने के बजाय, कुछ ऐसी चीज़ बनाना चाहते थे, जो कि लाभदायक हों। इसी इच्छा से उन्होंने 2013 में "JustGetIt" नाम की एक ऑनलाइन किराने के सामान का स्टार्टअप शुरू किया। इस स्टार्टअप ने छह से सात महीने तक अच्छे से काम किया और उन्हें 30 से ज्यादा विक्रेताओं और दुकानदारों के साथ भागीदारी करने का मौका मिला। उन्हीं दिनों हाइपरलोकल मार्केट भारत में तेजी से बढ़ रहा था और बिग बॉस्केट, ग्रॉफ़र्स, पेप्परटैप जैसी कई बड़ी कंपनियों को पहले से ही भारी फंडिंग प्राप्त हो रही थी। ऋषभ का स्टार्टअप 6 से 7 महीने अच्छे से चला, लेकिन बाद में सही मैनेजमेंट ना हो पाने की वजह से ऋषत्र को अपनी कंपनी बंद करनी पड़ी। "JustGetIt" टीम को एक अच्छे स्केल मॉडल की आवश्कता थी, जो कि उस समय उनके पास नहीं था।
ऋषभ के अनुसार, उस समय उनके भारतीय स्टार्टअप के लिए फंडिंग उपलब्ध थी, लेकिन वो इसे इस्तेमाल करने का सही तरीका समझ नहीं पा रहे थे। हालांकि, इससे उन्होंने बहुत कुछ सीखा। वो और उनकी टीम बहुत से निवेशकों तक पहुंच चुके थे और इसके माध्यम से वो ये जान चुके थे कि फंडिंग को कैसे बढ़ाना है।
वर्ष 2015 में, जब ऋषभ अमेरिका में थे, तो तकनीकी रूप से सक्षम केशू दुबे के साथ मिलकर "Xeler8" को लॉन्च किया, जो उनका तब तक का सबसे सफल उपक्रम था। Xeler8 को एक अज्ञात राशि पर 'ZDream' वेंचर्स ने अपने अधिग्रहण में लिया गया था। अधिग्रहण के समय, उनके इस टेक्निकल स्टार्टअप में लगभग 35 से 38 ग्राहक थे, जिनमें कॉर्पोरेट्स, वीसीएस और निवेशक शामिल थे। बाद में ऋषभ मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीओओ) और निवेशक के रूप में ZDream में ही शामिल हुए और यहाँ से ही उनके एक निवेशक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। वहां उन्हें भारत, चीन, अमेरिका और जापान में स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र की समझ हुई।
विभिन्न परिदृश्यों को समझने के बाद ऋषभ ने अफ्रीकी तकनीक पारिस्थितिकी तंत्र को समझना शुरू किया, जिसके बाद उन्होंने इस साल की शुरुआत से ही एक नया स्टार्टअप WeeTracker लॉन्च किया। WeeTracker अफ्रीकी टेक इकोसिस्टम को समर्पित एक वैश्विक तकनीक मीडिया है। इसका उद्देश्य महाद्वीप में तीन तरह से समग्र रूप से शुरूआत करना है: सूचित करना, शिक्षित करना और निवेश करना। ऋषभ के अनुसार, अफ्रीका एक तकनीकी क्रांति के दौर से गुजर रहा है, जैसे 1990 के दशक के उत्तरार्ध में और 2000 के दशक के शुरुआती दिनों में भारत हुआ करता था। इसी दौर से निपटने के लिए WeeTracker की शुरुआत की गई है।
ऋषभ WeeTracker की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताते हैं कि,"वर्तमान में, मेरे पास 25 से 30 प्री-सीरीज ए और सीरीज ए के अफ्रीकी उद्यमियों की एक सूची है जो कि उद्यमिता सीखने के लिए भारत आने में रुचि रखते हैं। हम भारत, चीन, अमेरिका और जापान में मेंटर, उद्यमियों और उत्पाद प्रबंधक के नेटवर्क का निर्माण करने की कोशिश कर रहे हैं। तो अगर अफ्रीका में कोई व्यक्ति B2B बिज़नेस शुरू करने की कोशिश कर रहा है, तो हम उन्हें इन अर्थव्यवस्थाओं में प्रासंगिक उत्पाद प्रबंधक से जोड़ सकते हैं।"
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