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मोदी सरकार की बड़ी कामयाबियों में एक है चाबहार बंदरगाह समझौता

भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच सुनिश्चित कराने वाली रेल लाइन बिछाने का समझौता

मोदी सरकार की बड़ी कामयाबियों में एक है चाबहार बंदरगाह समझौता

Tuesday May 24, 2016 , 7 min Read

पीटीआई

भारत और ईरान ने आज रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और एक एल्युमीनियम संयंत्र लगाने के लिये शुरआती समझौता करने सहित 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किये। इनमें भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच सुनिश्चित कराने वाली रेल लाइन बिछाने का समझौता भी शामिल है।

तेहरान में भारत, अफगानिस्तान औऱ ईरान के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ ईरान के राष्ट

तेहरान में भारत, अफगानिस्तान औऱ ईरान के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ ईरान के राष्ट


भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की रेल कंपनी इरकॉन ईरान के चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान तक 500 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछायेगी जिसपर 1.6 अरब डालर की लागत आने का अनुमान है। यह रेल लाइन ईरान के दक्षिणी तटीय इलाके से अफगानिस्तान के जाहेदान तक बिछाई जायेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल से शुरू हुई पहली ईरान यात्रा के दौरान इन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। रेल लाइन बिछाने के लिये भारत की इरकॉन ने ईरान की कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट ऑफ ट्रांस्पोर्ट एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी सीडीटीआईसी के साथ आपसी सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। इरकॉन के प्रबंध निदेशक मोहन तिवारी और ईरान के रेल उपमंत्री पाउर सैयद अघेई ने समझौते पर हस्ताक्षर किये।

समझौते पर हस्ताक्षर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में किये गये। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद पिछले 15 साल के दौरान ईरान की यात्रा करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं।

भारत-ईरान के बीच सबसे महत्वपूर्ण करार ईरान के दक्षिणी तट पर चाबहार बंदरगाह के पहले चरण के विकास के बारे में है। इसे भारत के साथ एक संयुक्त उद्यम के जरिए विकसित किया जाएगा। इसमें चाबहार बंदरगाह के दो टर्मिनलों और पांच गोदी का 10 साल तक विकास एवं संचालन किया जायेगा। इसके लिये एक्ज़िम बैंक और ईरान के पोर्ट्स एण्ड मैरीटाइम आर्गनाइजेशन के बीच 15 करोड़ डालर के ऋण के लिए समझौता भी शामिल है। एक्ज़िम बैंक और सैंट्रल बैंक ऑफ ईरान के बीच एक स्वीकृति वक्तव्य पर भी हस्ताक्षर किये गये, जिसमें स्टील रेलों के आयात और चाबहार बंदरगाह के क्रियान्वयन के लिये 3,000 करोड़ रुपये तक की ऋण उपलब्धता के लिए स्वीकृति दी गई है।

सार्वजनिक क्षेत्र की नाल्को ने चाबहार मुक्त व्यापार क्षेत्र में 5 लाख टन क्षमता का एल्युमीनियम स्मेल्टर लगाने की संभावना के लिए एमओयू पर दस्तखत किए हैं। यह स्मेल्टर तब लगाया जाएगा जब ईरान सस्ती प्राकृतिक गैस उपलब्ध कराएगा।

ईरान के एक्सपोर्ट गारंटी फंड तथा भारत के एक्पोर्ट गारंटी कारपोरेशन के बीच एमओयू हुआ है। इन दस्तावेजों में दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच नीति निर्माण के लिए वार्ता तथा शोध संस्थानों के बीच परिचर्चा के लिए एमओयू पर दस्तखत भी शामिल हैं। एक अन्य समझौता ईरान के विदेश मंत्रालय के स्कूल फॉर इंटरनेशनल रिलेशंस तथा भारत के विदेश सेवा संस्थान (एफएसआई) के बीच किया गया है।

साथ ही ईरान के विज्ञान, शोध और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच सरकारी व्यवस्था के बारे में करार हुआ है। भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार तथा ईरान के राष्ट्रीय पुस्तकालय के बीच भी एमओयू पर दस्तखत किए गए हैं। संस्कृति मंत्रालय तथा ईरान के संस्कृति तथा इस्लामिक दिशानिर्देशन मंत्रालयों के बीच सांस्कृतिक सहयोग के लिए सरकारी व्यवस्था संबंधी करार हुआ है। ईरान के इस्लामिक संस्कृति तथा संबंध संगठन तथा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के बीच भी एक एमओयू पर दस्तखत हुए हैं।

चाबहार बंदरगाह रणनीतिक दृष्टि से भारत के लिए महत्वपूर्ण

भारत और ईरान ने आतंकवाद, चरमंथ और सायबर अपराध से मिल कर निपटने का आज निर्णय किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तेहरान यात्रा के दूसरे दिन दोनों रणनीतिक भागीदार देशों ने 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किये, जिसमें भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह के विकास का महत्व समझौता भी शामिल है। व्यापारिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत 50 करोड डालर मुहैया कराएगा। 

मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ अकेले में वार्ता करने के बाद उनके साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद, चरमपंथ, नशीली दवाओं के व्यापार और सायबर अपराध के खतरों से निपटने के लिए हम एक दूसरे के साथ घनिष्ठता के साथ और नियमित रूप से परामर्श करने पर सहमत हुए हैं। ’’

चाबहार बंदरगाह के विकास के अलावा दोनों पक्षों ने व्यापार ऋण, संस्कृति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और रेलमार्ग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोगे के कई और समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये।

मोदी ने इस समझौते को ‘‘एक महत्वपूर्ण घटना बताया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस बड़ी पहल से इस क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। हम आज हुए समझौतों के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

रूहानी ने कहा, ‘‘इस क्षेत्र में, विशेषरूप से अफगानिस्तान, इराक, सीरिया और यमन में स्थिरता और सुरक्षा के महत्व तथा इस पूरे क्षेत्र में आतंकवाद के प्रचंड और अनियंत्रित फैलाव की समस्या को देखते हुए हुए दोनों देशों ने राजनीतिक मुद्दों पर विचार विमर्श किया। दोनों देशों ने साथ ही यह समझने का प्रयास किया कि दोनों के बीच खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान के मामले में किस तरह सहयोग किया जा सकता है और आतंकवाद तथा चरमपंथ से लड़ाई में वे कैसे एक दूसरे के और अधिक करीब आ सकते हैं तथा कैसे दोनों देश पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए योगदान कर सकते हैं।’’

चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में पड़ता है। यह रणनीतिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत के पश्चिमी तट से फारस की खाड़ी के मुहाने पर स्थित इस बंदरगाह तक आसानी से पहुंचा जा सकता है और इसके लिए पाकिस्तान से रास्ता मांगने की जरूरत नहीं होगी।

भारत-ईरान 2003 में ही हार्मूज जलडमरू मध्य के बाहर ओमान की खाड़ी में चाबहार के विकास पर सहमत हो गए थे, लेकिन ईरान के खिलाफ पश्चिमी देशों की पाबंदियों के चलते इस पर बात बढ़ नहीं सकी थी।

रूहानी ने कहा, ‘‘चाबहार दोनों महान देशों के बीच सहयोग का काफी बड़ा प्रतीक बन सकता है। यह भारत और अफगानिस्तान तथा मध्य एशिया के देशों तथा सीआईएस राष्ट्रों और इसके साथ ही पूर्वी यूरोप के बीच संपर्क बिंदु की भूमिका निभा सकता है।’’

मोदी की यात्रा के महत्व को बताते हुए रूहानी ने कहा कि उनकी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जबकि हम परमाणु समझौता करने में सफल रहे हैं, जब हमपर से प्रतिबंध हट चुके हैं। अब आपसी आर्थिक सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए जमीन तैयार की जा रही है।

भारत और ईरान के बीच क्षेत्रीय एवं सामुद्रिक सुरक्षा के संबंध में दोनों देशों के रक्षा और सुरक्षा मामलों से जुड़े संस्थानों के बीच संपर्क बढ़ाने पर भी सहमति हुई है।

मोदी ने भारत-ईरान की ‘दोस्ती’ को ऐतिहासिक जितनी ही पुरानी बताते हुए कहा, ‘‘सदियों से हम कला एवं स्थापत्य, विचार एवं परंपराओं और वाणिज्य एवं संस्कृति के जरिये जुड़े रहे हैं।’’ मोदी ने कहा कि 2001 में जब गुजरात में भूकंप आया था तो ईरान उन पहले देशों में शामिल था जो मदद के लिए आगे आया। वह उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

भागीदारी के एजेंडे और दायरे को वास्तविक करार देते हुए, मोदी ने कहा, ‘‘आज जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं उनसे हमारी रणनीतिक भागीदारी में एक नया अध्याय जुड़ा है। विस्तृत व्यापारिक संबंध, रेलवे समेत संपर्क सुविधाओं के क्षेत्र में गहरे संबंध तथा तेल एवं गैस, उर्वरक, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र में भागीदरी से कुल मिलाकर हमारे आर्थिक संबंधों को बल मिला है।’’

रूहानी ने कहा कि जब हम दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की बात कर रहे हैं तो हमारा आशय ईरान और इसके आसपास के देशों से है। मैं 40 करोड़ की आबादी की बात कर रहा हूं। इसके अलावा मैं 1.2 अरब की आबादी वाली ताकत की बात कर रहा हूं। ईरान और अफगानिस्तान की भागीदारी के साथ त्रिपक्षीय परिवहन एवं पारगमन समझौते के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘इससे भारत, ईरान और अफगानिस्तान के लिए नया मार्ग खुलेगा। भारत और ईरान की इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और संपन्नता में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।’’ ईरान के राष्ट्रपति, रूहानी को भारत यात्रा का आमंत्रण देते हुए मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच संपर्क अधिक से मजूबत बनाने को उत्सुक हैं। इस संबंध में महान शायर गालिब की पंक्ति उद्धृत की जिसमें शायर ने कहा है

‘तमाम अस्त जे-काशी पा-बे काशान नीम गाम अस्त’ यानी ‘‘यदि हम सचमुच मन बना लें तो काशी और काशान की दूरी महज आधा कदम है।