आयुष्मान भारत योजना के 4 वर्ष, दक्षिण भारत का प्रदर्शन उत्तर भारत से कहीं बेहतर
आयुष्मान भारत योजना के तहत मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन सबसे ज्यादा मुफ्त इलाज का लाभ मिला तमिलनाडु के लोगों को.
आयुष्मान भारत योजना के चार वर्ष पूरे हो चुके हैं. भारत सरकार के इन चार वर्षों के आंकड़े में कई तथ्य और कहानियां छिपी हुई हैं. मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी संख्या में लोगों ने सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवाया है, लेकिन रजिस्टर्ड संख्या के मुकाबले वास्तव में इस योजना से लाभान्वित होने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है.
पिछले 4 सालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों के इलाज पर कुल 45,781 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. जिन बीमारियों पर सबसे ज्यादा खर्च हुआ है, उसमें हृदय रोग और कैंसर टॉप पर हैं. इस योजना के तहत सबसे ज्यादा खर्च गुजरात में हुआ है, जहां 6329.32 करोड़ रुपए मरीजों के इलाज पर खर्च किए गए हैं. गुजरात में रजिस्टर्ड लोगों की संख्या 1.59 करोड़ है, जिसमें से इलाज का लाभ 33 लाख लोगों को मिला है.
केरल को इस लिहाज से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला राज्य कहा जा सकता है कि वहां आयुष्मान भारत योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवाने वाले लोगों की संख्या सबसे कम 70.29 लाख है, जिसमें से 60 फीसदी से भी ज्यादा यानि 39 लाख लोगों को मुफ्त में इलाज की सुविधा मिली है. केरल ने अब तक इस योजना पर कुल 3483.39 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
वहीं अगर तमिलनाडु राज्य की बात करें तो वहां रजिस्ट्रेशन करवाने वाले मरीजों की संख्या 1.54 करोड़ है, जिसमें से 67 लाख लोगों को अब तक इलाज मिल चुका है. तमिलनाडु ने 5424.48 करोड़ रुपए आयुष्मान भारत योजना पर अब तक खर्च किए हैं.
पूरे देश में इस योजना का लाभ उठाने वाले 57 फीसदी मरीज सिर्फ 5 राज्यों से ताल्लुक रखते हैं. गुजरात और छत्तीसगढ़ को छोड़कर इस सूची में बाकी तीनों राज्य दक्षिण भारत के हैं. केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं, जहां आयुष्मान भारत योजना के तहत सबसे बेहतर काम हुआ है और सबसे बड़ी संख्या में मरीजों को इस योजना का लाभ मिला है, जबकि सबसे ज्यादा पैसे खर्च गुजरात में किए गए हैं. आयुष्मान भारत योजना के तहत सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज तमिलनाडु में हुआ है. गुजरात ने जहां 33.23 लाख लोगों के इलाज पर 6,329 करोड़ रु. खर्च किए हैं, वहीं तमिलनाडु ने सबसे ज्यादा 67 लाख लोगों के इलाज पर 5424.48 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
आंकड़ों के आईने से देखें तो सभी राज्यों के प्रदर्शन में भारी फर्क दिखाई देता है. दक्षिण भारत का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर उत्तर भारत के मुकाबले चूंकि पहले से काफी बेहतर और मजबूत रहा है तो वे राज्य इस योजना का अधिकतम इस्तेमाल करने में भी उत्तर भारत के राज्यों के मुकाबले सफल रहे हैं.
झारखंड और छत्तीसगढ़ की बात करें तो झारखंड में कुल 95.69 लाख लोगों ने इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवाया है, जिसमें से इलाज 13 लाख को मिला है और इस पर कुल 1497.83 करोड़ रुपए का खर्च आया है. वहीं छत्तीसगढ़ में कुल 1.59 करोड़ लोगों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवाया, जिसमें से इलाज का लाभ 30 लाख लोगों को मिला, जिस पर कुल 3032.55 करोड़ रुपए का खर्च आया.
यदि बीमारियों की बात करें तो सभी राज्यों को मिलाकर सबसे ज्यादा खर्च हृदय से जुड़े रोगों और कैंसर के इलाज पर हुआ है. हृदय रोगों पर कुल 5,443 करोड़ रुपए और कैंसर पर 4,584 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. जनरल मेडिसिन पर 3,941 रुपए खर्च हुए हैं. सबसे कम खर्च स्त्री और प्रसूति रोगों पर हुआ है, जो 1,411 करोड़ रुपए है.
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि भारत सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना काफी हद तक अपने मकसद को पूरा करने में सफल रही है, लेकिन भारत जैसे बहुत आबादी वाले देश में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का काम आसान नहीं है. ऐसे में सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर ज्यादा निवेश करने और उत्तर भारत में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि राज्यों की जरूरतों और उनके पूरा होने के बीच के अंतर को कम किया जा सके.
Edited by Manisha Pandey