ये महिला फिल्ममेकर्स भारतीय सिनेमा को नए सिरे से कर रही हैं परिभाषित
सिनेमा में कैमरे के पीछे भारतीय महिलाएं
अगर हम भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में नजर डालें तो पाएंगे कि कुछ दिनों पहले तक यह इंडस्ट्री पूरी तरह पुरुषों के आधिपत्य वाली मानी जाती थी। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह नहीं तो थोड़ी बहुत तो बदल ही चुकी है।
भारतीय सिनेमा के इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि पहले नाममात्र की कुछ महिला निर्देशक हुआ करती थीं। इनमें अपर्णा सेन और दीपा मेहता जैसी फिल्मकारों का नाम लिया जा सकता है। लेकिन आज इस लिस्ट में नई पीढ़ी की महिला फिल्मकारों की लिस्ट थोड़ी लंबी हो चुकी है।
बीते साल अमेरिका में एक फिल्म रिलीज हुई थी वंडर वूमन। डीसी कॉमिक्स के एक कैरेक्टर पर बेस्ड इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के झंडे गाड़ दिए। इस फिल्म को बनाने वाला इंसान कोई पुरुष नहीं बल्कि महिला डायरेक्टर पेटी जेंकिन्स थीं। अगर हम भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में नजर डालें तो पाएंगे कि कुछ दिनों पहले तक यह इंडस्ट्री पूरी तरह पुरुषों के आधिपत्य वाली मानी जाती थी। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह नहीं तो थोड़ी बहुत तो बदल ही चुकी है। ये महिला फिल्ममेकर्स सिनेमा इंडस्ट्री में न केवल अपनी पहचान स्थापित कर रही हैं बल्कि दर्शकों के सामने एक नया नजरिया भी पेश कर रही हैं।
भारतीय सिनेमा के इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि पहले नाममात्र की कुछ महिला निर्देशक हुआ करती थीं। इनमें अपर्णा सेन और दीपा मेहता जैसी फिल्मकारों का नाम लिया जा सकता है। लेकिन आज इस लिस्ट में नई पीढ़ी की महिला फिल्मकारों की लिस्ट थोड़ी लंबी हो चुकी है। इसमें जोया अख्तर से लेकरर कोंकणा सेन शर्मा तक का नाम है। हम आपको ऐसी ही कुछ और फिल्मकारों से रूबरू कराने जा रहे हैं जो पुरुषों के वर्चस्व वाली सिनेमा इंडस्ट्री में अपनी सोच के साथ नई लहर भी बिखेर रही हैं।
1- अपर्णा सेन
अपर्णा सेन ने कई फिल्मों में ऐक्टिंग की है, उन्होंने फिल्में भी निर्देशित की हैं और फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी हैं। उन्हें हिंदी सिनेमा के साथ ही बंगाली सिनेमा में अच्छे काम के लिए जाना जाता है। अपर्णा सेन ने '36 चौरंगी लेन' से फिल्म निर्देशन की शुरुआत की थी। इस फिल्म को शशि कपूर ने प्रोड्यूस किया था। इसके बाद उन्होंने सती, मिस्टर एंड मिसेज अय्यर, द जापानीज वाइफ और 15 पार्क अवेन्यू जैसी फिल्में बनाईं। उन्हें मिस्टर एंड मिसेज अय्यर और 36 चौरंगी लेन के लिए दो बार नेशनल अवॉर्ड भी मिला। इसके अलावा उनके खाते में 9 इंटरनेशनल अवॉर्ड भी हैं। उन्होंने 60 और 70 के दशक में कई फिल्मों में अभिनय भी किया। अपने वक्त की वह सबसे सशक्त महिला फिल्मकार रही हैं।
2- दीपा मेहता
भारतीय मूल की कनाडाई डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर दीपा मेहता को उनकी एलीमेंट ट्रायोलॉजी फिल्में फायर, अर्थ और वॉटर के लिए जाना जाता है। उन्होंने होमोसेक्सुएलिटी से लेकर पैट्रियार्की और सांप्रदायिक दंगों पर फिल्म बनाईं। उन्हें विस्मयकारी और साहसी फिल्मकार माना जाता है। दीपा को कई सारे अवॉर्ड तो मिले ही, ऑस्कर में भी उनकी फिल्म 'अर्थ' को नामांकित किया गया था। उनकी फिल्में पूरी दुनियाभर में देखी जाती हैं और कई सारे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाती रही हैं। दीपा मेहता का जन्म अमृतसर में हुआ था। उनके पिता एक फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर थे। उनकी पढ़ाई देहरादून और दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में हुई। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सरकार के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाने से की थी।
3- मेघना गुलजार
मशहूर लेखक, गीतकार, फिल्म डायरेक्टर गुलजार और अपने समय की जानी मानी ऐक्टर राखी की बेटी मेघना गुलजार ऐसी फिल्मकार हैं जिन्होंने सबसे विविधता भरी फिल्में बनाई हैं। 2002 में आई उनकी फिल्म 'फिलहाल' सरॉगेसी पर बेस्ड थी। उस वक्त यह फिल्म बोल्ड मानी गई। उन्होंने कुछ समय पहले सच्ची घटना पर आधारित फिल्म 'तलवार' बनाई जो नोएडा के बहुचर्चित हत्याकांड आरुषि-हेमराज हत्याकांड पर आधारित थी। इसके बाद हाल ही में उन्होंने 'राजी' फिल्म का निर्देशन किया। यह फिल्म भी असल जिंदगी की एक महिला जासूस पर बेस्ड थी। आज के दौर में वह एक सशक्त महिला फिल्मकार के रूप में जानी जाती हैं।
4- जोया अख्तर
प्रख्यात स्क्रिप्ट राइटर और गीतकार जावेद अख्तर की बेटी जोया अख्तर को बॉलिवुड में नए कॉन्सेप्ट की फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है। उनके भाई फरहान अख्तर भी बॉलिवुड में ऐक्टर हैं जिन्होंने रॉक ऑन जैसी फिल्म बनाई थी। जोया ने अपने करियर की शुरुआत 2009 में 'लक बाय चांस' से की थी। उन्होंने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से फिल्ममेकिंग में डिप्लोमा किया था। इसके बाद उन्होंने मीरा नायर और देव बेनेगल को असिस्ट किया। 2011 में उनकी फिल्म 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' को काफी पसंद किया गया था। इसके बाद उनकी फिल्म 'दिल धड़कने दो' एक मल्टीस्टारर फिल्म थी।
5- गौरी शिंदे
गौरी शिंदे ने हिंदी फिल्म के दर्शकों का टेस्ट ही बदल दिया है। उनके पति आर. बाल्की भी फिल्म निर्देशक हैं। गौरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 2012 में फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' से की थी। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में श्रीदेवी थीं। इस फिल्म को फाइनैंशियल टाइम्स ने '25 इंडियन फिल्म टू वॉच' की श्रेणी में शामिल किया था। उन्हें रेडिफ के टॉप-5 बॉलिवुड डायरेक्टर्स ऑफ 2012 में जगह मिली थी। गौरी पुणे में पली बढ़ीं और वहीं सिंबोयसिस स्कूल ऑफ मास कम्यूनिकेशन से पढ़ाई की। इसके बाद वे मुंबई आ गईं और यहां एडवर्टाइजिंग एजेंसी में काफी काम किया।। उन्होंन 100 से भी ज्यादा ऐड और शॉर्ट फिल्में बनाई होंगी। ऐड की दुनिया में ही उनकी मुलाकात आर. बाल्की से हुई थी। उनकी लेटेस्ट फिल्म 'डियर जिंदगी' थी।
6- कोंकणा सेन शर्मा
फिल्म निर्देशक अपर्णा सेन की बेटी कोंकणा सेन शर्मा ने फिल्मों में बतौर ऐक्टर अपनी शुरुआत की थी। उन्होंने कई सारी फिल्मों में काम किया। लेकिन वह फिल्म का निर्देशन भी करना चाहती थीं। हाल ही में उनकी फिल्म 'अ डेथ इन द गंज' रिलीज हुई थी, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। रशियन निर्देशक यूलिया सोलंट्सेवा के बाद कांस में बेस्ट डायरेक्टर का खिताब जीतने वाली वह दूसरी महिला निर्देशक बन गईं। कोंकणा को 2006 में आई फिल्म ओमकारा के लिए फिल्मफेयर और नेशनल अवॉर्ड मिला था। उन्होंने हाल ही में एक ब्रैंड के लिए एक ऐड फिल्म डायरेक्ट की है।
7- अलंकृता श्रीवास्तव
राजनीति, अपहरण और गंगाजल जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक प्रकाश झा को असिस्ट करने वाली अलंकृता की पहली फिल्म 'लिप्स्टिक अंडर माय बुरका' थी। कई वजहों से यह फिल्म चर्चा में रही। सेंसर बोर्ड ने इसे रिलीज सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद अलंकृता ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी और फिल्म रिलीज करवाई। इस फिल्म को 10 ग्लोब फिल्म अवॉर्ड्स मिले जिसमें गोल्डन ग्लोब नॉमिनेशन भी शामिल था।
8- गुरिंदर चढ्ढा
गुरिंदर क्रिटिकली और कमर्शियली सक्सेसफुल डायरेक्टर हैं। उनकी फिल्में इंग्लैंड में बसे भारतीयों पर बेस्ड होती हैं और कई सारे सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उजागर करती हैं। 'ब्राइड एंड प्रेज्युडिस', 'बीच', 'बेकहम', 'एंगस' जैसी फिल्में उनके करियर की महत्वपूर्ण फिल्में हैं। 2017 में उन्होंने 'वायसरॉय हाउस' बनाई थी।
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