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अपने हौसले से बड़े-बड़ो को धूल चटा रहीं 102 साल की एथलीट मान कौर

अपने हौसले से बड़े-बड़ो को धूल चटा रहीं 102 साल की एथलीट मान कौर

Tuesday September 25, 2018 , 6 min Read

विश्व रिकार्ड बनाने वाली चंडीगढ़ की 102 वर्षीय बुजुर्ग मान कौर इस समय पोलैंड में होने वाली विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स इंडोर चैंपियनशिप की तैयारी कर रही हैं। वह कहती हैं- मरते दम तक दौड़ती रहूंगी। वह रोजाना एक्सरसाइज, सुबह-शाम वॉकिंग के साथ ही पार्क में चार सौ मीटर की दौड़ भी लगाती हैं। उनको तली-भुनी चीजों से सख्त परहेज है। अब तक वह कई गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं।

मान कौर

मान कौर


यह भी कम हैरतअंगेज नहीं कि मान कौर ने 93 साल की उम्र में दौड़ना शुरू किया था। वह पिछले साल न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में विश्व मास्टर्स खेलों में सौ मीटर स्प्रिंट में पदक जीतने के बाद सुर्खियों में आईं। 

चंडीगढ़ (पंजाब) में आज से लगभग 102 साल पहले सन् 1916 में जन्मी एथलीट मान कौर पूरी दुनिया में इस वक्त आश्चर्यजनक कारनामे की मिसाल बनी हुई हैं। वह इस समय वर्ष मार्च 2019 में पोलैंड में होने वाली विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स इंडोर चैंपियनशिप की तैयारी में जुटी हुई हैं। उस प्रतिस्पर्द्धा में वह साठ और सौ मीटर की दौड़ में भाग लेना चाहती हैं। इन दिनो वह पटियाला में एथलीट-प्रशिक्षण ले रही हैं। मान कौर ने इस महीने के शुरू में स्पेन में हुई विश्व मास्टर्स में ट्रैक एवं फील्ड में स्वर्ण पदक जीता था और कभी हार न मानने वाले जज्बे से भरी बुजुर्ग मान रेस के साथ ही भाला भी फेंकती हैं। इसी माह वह स्पेन के मलागा विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 200 मीटर रेस में 100 से 104 साल के आयुवर्ग में स्वर्ण पदक हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने वहां भाला फेंक स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीता। वह इस उम्र की स्पर्धा में एकमात्र खिलाड़ी रहीं। मान कौर के जज्बे के आगे बड़े-बड़ों की आंखें हैरत से फैल जाती हैं। आंखों पर चढ़े मोटे चश्मे के बावजूद वह अपने लक्ष्य से आज तक कभी नहीं चूकी हैं।

यह भी कम हैरतअंगेज नहीं कि मान कौर ने 93 साल की उम्र में दौड़ना शुरू किया था। वह पिछले साल न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में विश्व मास्टर्स खेलों में सौ मीटर स्प्रिंट में पदक जीतने के बाद सुर्खियों में आईं। पिछले साल अप्रैल में जब न्यूजीलैंड के ऑकलैंड स्काई टॉवर पर ‘स्काई वॉक’ कर रिकॉर्ड बनाया था, उस समय उनकी उम्र 102 साल की थी। यह स्काई टॉवर शहर से 192 मीटर की ऊंचाई पर था। इस विश्व रिकॉर्ड को तोड़ने में मान कौर के 79 वर्षीय बेटे गुरदेव सिंह ने उनका साथ दिया। मान ने अपने बेटे का हाथ पकड़कर यह ‘स्काई वॉक’ की। उस समय अपनी सफलता पर उन्होंने कहा था कि ‘हर किसी को यह करना चाहिए। सभी को यहां आकर ‘स्काई सिटी’ का आनंद लेना चाहिए।’ इतना ही नहीं, मान वेटाकेरे में ट्रस्ट्स स्टेडियम में अंतिम प्रतियोगिता में भाला फेंक स्पर्धा में भाग लेकर गिनीज विश्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। उन्होंने पांच मीटर की दूरी पर भाला फेंका और स्वर्ण पदक जीत लिया। तब तक वह ऐसे कुल चार स्वर्ण पदक हासिल कर चुकी थीं।

जिस उम्र में लोग चारपाई पकड़ लेते हैं, अथवा उससे बहुत पहले दुनिया से ही विदा हो लेते हैं, उस उम्र में मान स्वयं को एकदम फिट रखती हैं। आज भी वह देश-विदेश में मेडल जीतने में जुटी हुई हैं। आज भी अपने को फिट रखने का उन पर जनून सवार रहता है। एक चैंपिनयशिप जीतने के बाद अगली की तैयारी में जुट जाती हैं। हिस्ट्री चैनल उन पर एक डॉक्यूमेंटरी भी प्रसारित कर चुका है। मान बताती हैं कि बेटा गुरदेव यूनिवर्सिटी में प्रैक्टिस किया करता था, जिसे देख कर 93 साल की उम्र में वह भी दौड़ लगाने लगीं। उसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

अपनी फिटनेस का सबसे रहस्य वह घर का बना खाना बताती हैं। वह घर में गेहूं को भिगोकर रख देती हैं। जब गेहूं के दाने अंकुरित हो जाते हैं, उसे पीस कर रोटियां बना लेती हैं। रोजाना सुबह केफर का एक गिलास और फ्रूट खाती है। दिन में ग्यारह बजे गेहूं की रोटी खाती हैं। इससे पहले वह रोजाना पैतालीस मिनट तक दौड़ती हैं। दोपहर एक बजे बीट का जूस पीती हैं, फिर सोया मिल्क। मान की 59 वर्षीय बेटी अमृत कौर बताती हैं कि वह आज भी सुबह-शाम नियमित वॉकिंग और योगा करती हैं। सुबह छह बजे उठकर पूजा के बाद रोजाना अभ्यास करना उनकी दिनचर्या में शामिल है। मान कौर कहती हैं कि उनका बेटा गुरदेव जो भी करता है, वह उसी का अनुसरण करती हैं। वह एक्सरसाइज भी अपने बेटे के साथ ही करती हैं। उनकी रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो चुकी है, फिर भी कभी दौड़ने से जी नहीं चुराती हैं।

मान कौर बताती हैं कि वह पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कभी उनके बचपन में अपनी गोद में खिला चुकी हैं। उन दिनो वह अमरिंदर सिंह के दादा भूपेंदर सिंह के रसोईघर में काम करती थीं। उस समय पटियाला शाही राजघराने के अपने ही ठाठ-बाट थे। महाराजा भूपेंदर सिंह की कई रानियां थीं। महल में हर समय शादी जैसा उत्सव रहता था। महारानी और रानी साहिबा इतनी मिलनसार थीं कि महल में कभी दिन-रात का अहसास ही नहीं होता था। आज मान कौर को लोग 'मिरेकल ऑफ चंडीगढ़' कहते हैं। उन्होंने एक मिनट चौदह सेकंड में न सिर्फ दौड़ पूरी की, बल्कि स्वर्ण पदक भी जीता। उनके इस कारनामे को देखने वालों ने दांतों तले उंगली दबा ली। उन्होंने उसैन बोल्ट के 2009 में बनाए गए सौ मीटर के विश्व रिकार्ड से 64.42 सेकेंड का अधिक समय लिया, वरना उसेन बोल्ट भी पीछे रह जाते। न्यूजीलैंड में जीता गया गोल्ड मेडल मान कौर के करियर का 17वां गोल्ड मेडल था। उस दिन सौ मीटर की प्रतिस्पर्धा में वह अपनी कैटेगरी में अकेली धावक रहीं।

मान कहती हैं कि वह अभी रुकने वाली नहीं हैं। दौड़ना जारी रखेंगी। मरते दम तक दौड़ती रहेंगी। जब वह 94 साल की थीं, उन्होंने चंडीगढ़ में हुए नेशनल टूर्नामेंट में सौ-दो सौ मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने अमेरिका में सौ-दो सौ मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता था। इतना ही नहीं, उन्होंने इस दोनों रेस में वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना डाला। वर्ष 2001 में उन्हें एथलीट ऑफ द ईयर चुना गया था। उन्होंने सौ मीटर रेस मात्र 1.17 सेकंड में पूरा कर रिकॉर्ड़ तोड़ा। वह आज भी रोजाना सुबह पार्क में चार सौ मीटर दौड़ती हैं। खान-पान में उन्होंने लगभग तीन दशक से बाहर की चीजों को छुआ तक नहीं है। वह कोई भी तली-भुनी चीज नहीं खाती हैं।

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