स्टार्टअप्स के दौर में बदले डेटिंग के पैमाने, पार्टनर से भी होती है इन्वेस्टर जैसी बातचीत!
ये भी होता है स्टार्टअप की दुनिया में...
एक समय था, जब आप 'स्टार्टअप्स' और 'ऑन्त्रप्रन्योर' जैसे शब्द सुनते थे और आपके ज़हन में इन शब्दों को लेकर नकारात्मक छवि ही बनती थी। उस समय में अगर कोई इंडस्ट्री में अपना ख़ुद का नाम बनाने की ख़्वाहिश रखता था, तो उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था।
बतौर स्टार्टअप फ़ाउंडर, एक रिलेशनशिप चलाना आसान काम नहीं होता क्योंकि आप अपने पार्टनर को हरबार उतना वक़्त नहीं दे पाते, जितना वह आपसे चाहता है। इन्हीं सब चीज़ों से आजिज़ आकर अक्सर स्टार्टअप चलाने वाले युवा, डेटिंग या रिलेशनशिप को समय की बर्बादी समझने लगते हैं।
बुधवार की शाम 8 बजे का वक़्त था, मैं बेंगलुरु के एक बार में बैठकर अपने दोस्तों का इंतज़ार कर रहा था। मैंने गौर किया कि पब में लगभग हर उम्र के जोड़े आ रहे थे और बातचीत कर रहे थे। कुछ देर तक तो मैं भी माहौल की गर्मजोशी में खोया रहा, लेकिन फिर मैंने गौर किया कि मेरे बगल में भी एक जोड़ा बैठा है, जो ज़ोर-ज़ोर से बातें कर रहा है। वे दोनों इस तरह से बात कर रहे थे, कि मुझे उनकी बातचीत की एक-एक बात सुनाई दे रही थी। मुझे आश्चर्य हुआ कि इतने रोमांटिक माहौल में कोई बिज़नेस, इनवेस्टमेंट, मंथली ग्रोथ और स्टार्टअप जैसे विषयों पर कैसे बातचीत कर सकता है।
थोड़ी देर बाद मुझे स्पष्ट हुआ कि मेरे बगल वाले टेबल पर बैठे लड़का और लड़की कोई दोस्त नहीं, बल्कि एक कपल हैं, जो अपनी पहली डेट पर आए हैं। लड़का अपने स्टार्टअप के बारे में लड़की को कुछ इस तरह बता रहा था, जैसे कि किसी इनवेस्टर के सामने पिचिंग कर रहा हो। कोई भी अगर उसकी बात सुने तो, उसे भरोसा हो जाए कि लड़के का स्टार्टअप दुनियाभर की तमाम समस्याओं का समाधान दे रहा है।
इसके बाद मेरा ध्यान आस-पास की टेबलों पर बैठे कपल्स की बातों पर भी गया। लगभग सभी जगहों पर कुछ इस तरह की ही प्रोफ़ेशनल बातचीत हो रही थी। यह सबकुछ देखने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि एक ज़माना था, जब लोग अपनी डेट पर किताबों, फ़िल्मों और जीवन के शानदार अनुभवों से अपने पार्टनर को रिझाया करते थे, लेकिन एक स्टार्टअप सिटी में डेट के माहौल और बातचीत की सारी परंपरा ही बदल चुकी है।
एक समय था, जब आप 'स्टार्टअप्स' और 'ऑन्त्रप्रन्योर' जैसे शब्द सुनते थे और आपके ज़हन में इन शब्दों को लेकर नकारात्मक छवि ही बनती थी। उस समय में अगर कोई इंडस्ट्री में अपना ख़ुद का नाम बनाने की ख़्वाहिश रखता था, तो उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं और अब आप जैसे ही अपने स्टार्टअप का ज़िक्र करते हैं, लोग आपमें रुचि लेने लगते हैं। भारत की आबादी की औसत आयु 29 वर्ष है और अब ज़्यादातर युवा एक स्टार्टअप ऑन्त्रप्रन्योर के साथ ही डेट या शादी करना चाहते हैं।
एनकिडु के फ़ाउंडर वरुण मय्या कहते हैं कि आज के समय में एक ऑन्त्रप्रन्योर को एक ऐसा इंसान समझा जाता है, जो किसी ख़ास लक्ष्य, दृष्टिकोण और अवधारणा के साथ अपने करियर को अंजाम देना चाहता है और यही वजह है कि सामाजिक जीवन में लोग ऐसे शख़्स की ओर आकर्षित होते हैं।
क्या रोमांस पर भी यही सोच लागू होती है?
गेमिंग स्टार्टअप चला रहे एक शख़्स ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बात करते हुए कहा कि ज़्यादातर लोग लड़कियों या महिलाओं को अपने 'फ़ाउंडर' टाइटल से आकर्षित करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने कई लोगों को अपने टिंडर प्रोफ़ाइल्स में भी इसका ज़िक्र करते हुए देखा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई स्टार्टअप के फ़ाउंडर्स को डेट्स पर सिर्फ़ अपने स्टार्टअप के बारे में ही बात करते हुए देखा है। वह कहते हैं, "आप अपनी स्टोरी को सामने वाले के सामने कैसे रखते हैं, सबकुछ इस पर निर्भर करता है। कई बार आपके स्टार्टअप की बातें सुनते-सुनते आपका पार्टनर बोर हो जाता है और आप अपने काम में इतने व्यस्त होते हैं कि साझा करने के लिए आपके पास और कोई बात ही नहीं होती। मैं भी कई डेट्स पर जा चुका हूं और मैंने अपने स्टार्टअप के बारे में हमेशा ऐसे बात की, मुझे बेहद अच्छी प्रतिक्रिया मिली।"
स्टार्टअप लाइफ़ और रिलेशनशिप के बीच तालमेल टेढ़ी खीर
अक्सर लोग फ़ाउंडर शब्द के साथ पावर और पैसे को जोड़कर देखते हैं, लेकिन इसके बावजूद एक ऑन्त्रप्रन्योर के लिए पार्टनर ढूंढना या डेट पर जाना कोई आसान काम नहीं हैं। निखिल जॉइस नाम के एक ऑन्त्रप्रन्योर कहते हैं, "कई लड़कियां और महिलाएं ऐसे होती हैं, जिन्हें स्टार्टअप या ऑन्त्रप्रन्योर जैसी बातों से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। लेकिन साथ ही, कई बार ऐसा भी हुआ कि टिंडर पर शुरूआती बातचीत के बाद कई महिलाओं ने उनकी कंपनी का प्रोफ़ाइल खोलकर देखा।"
निखिल कहते हैं कि पहली डेट पर बातचीत शुरू करने और आगे बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा विषय होता है, अपने स्टार्टअप के बारे में बात करना। निखिल बताते हैं, "कई बार स्टार्टअप की कहानियों से अच्छी बातचीत शुरू हुई, लेकिन डेट ख़त्म होते-होते लड़की ने अपने किसी दोस्त को इंटर्नशिप पर रखने की शिफ़ारिश कर दी या फिर किसी ने अपने कॉलेज फ़ेस्ट में बतौर गेस्ट आमंत्रित कर लिया।" निखिल मानते हैं कि बतौर स्टार्टअप फ़ाउंडर, एक रिलेशनशिप चलाना आसान काम नहीं होता क्योंकि आप अपने पार्टनर को हरबार उतना वक़्त नहीं दे पाते, जितना वह आपसे चाहता है। इन्हीं सब चीज़ों से आजिज़ आकर अक्सर स्टार्टअप चलाने वाले युवा, डेटिंग या रिलेशनशिप को समय की बर्बादी समझने लगते हैं।
स्टार्टअप का दौर, बदले डेटिंग के पैमाने
पूरी शाम ऐसे माहौल में बिताने के बाद मुझे एहसास हुआ कि बेंगलुरु जैसे मेट्रो और स्टार्टअप सिटी में डेटिंग और रिलेशनशिप के सारे पैमाने बदल चुके हैं। मुझे समझ आ गया कि अब वह दौर जा चुका है, जब आप राजनीति या संस्कृति पर बात करने की क्षमता से किसी को प्रभावित कर लेते थे। आज के दौर का फ़ंडा क्लियर है, अगर आप डेट पर हैं तो मज़ाक में समय न बर्बाद करें और अपनी कंपनी या आइडिया के माध्यम से ही अपने पार्टनर को रिझाने की कोशिश करें।
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