इस फ़िनटेक स्टार्टअप के माध्यम से छोटे और मध्यम स्तरीय बिज़नेसिज़ को मिल रहा बड़ी उड़ान का मौक़ा
भारतीय व्यापारियों, उनके कर्मचारियों को आसान, सुरक्षित और आधुनिक वित्तीय सेवाएं मुहैया कराता है ‘काईट’...
'काईट' प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से 1200 शहरों से 110,000 ग्राहकों ने $70 मिलियन से अधिक का लेन-देन किया है और इसके साथ 6 मिलियन डाटा पॉइंट्स के साथ ही वित्तीय पहचान का निर्माण किया है। प्रियंका की कंपनी ने वैश्विक-स्तर की जानी-मानी कंपनियों जैसे वीज़ा, मास्टरकार्ड और रूपे के साथ साझेदारी की है।
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प्रियंका कंवर
प्रियंका बताती हैं कि उन्होंने भी अपनी प्रफ़ेशनल लाइफ़ में महिलाओं के साथ होने वाले पारंपरिक भेदभावों का सामना किया है। प्रियंका कहती हैं कि महिला उद्यमियों को, सबसे पहले ख़ुद पर भरोसा रखना चाहिए।
बतौर युवा, प्रियंका कंवर अपने जीवन के लक्ष्य और उन्हें क्या करना अच्छा लगता है जैसे विषयों के बारे में सोचा करती थी। प्रियंका कहती हैं कि बतौर कि अपने व्यक्तित्व का विकास करने के लिए उन्होंने अपनी सीमाओं का विस्तार करने, नई चीज़ें तेज़ी से सीखने और हर कदम पर चुनौतियों का खुलकर सामने करने के लिए ख़ुद को तैयार करना शुरू किया। उनका दूसरा मिशन था लोगों को सशक्त करना- चाहे वह अपना परिवार हो, दोस्त हों या फिर वे लोग, जिनसे वह कभी नहीं मिलीं।
आम लोगों से इतर बढ़ती उम्र के साथ, उनका ध्यान अपने लक्ष्य से कभी नहीं डगमगाया, लेकिन वह जानती थीं कि उपलब्धियों का ज़ायका चखने के लिए अच्छी शिक्षा बेहद ज़रूरी है। उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद विभिन्न कंसल्टिंग कंपनियों जैसे ऐसेंचर, एच.एस.बी.सी. आदि से जुड़कर अनुभव कमाया। बतौर स्टूडेंट वह कई गैर-लाभकारी संस्थाओं के साथ भी जुड़ी रहीं। प्रियंका का रुझान हमेशा से ही ऑन्त्रप्रन्योरशिप की ओर रहा। प्रियंका ने तय किया कि वह फ़ाइनैंस और तकनीक के क्षेत्रों तक आम लोगों की पहुंच बढ़ाएंगी और इस उद्देश्य के साथ ही उन्होंने अपने स्टार्टअप ‘काईट’ की शुरूआत की, जो एक फ़िनटेक वेंचर है।
प्रियंका कई सालों तक इस क्षेत्र के चुनौतियों पर काम करती रहीं, जिसमें उनके करीबी दोस्त प्रभतेज सिंह ने उनका काफ़ी सहयोग किया। प्रियंका ने अपने ऐकेडमिक क्षेत्र और प्रभतेज सिंह ने बिज़नेस क्षेत्र के अनुभवों को साथ लाकर भारत के वित्तीय क्षेत्र में कुछ ज़रूरी परिवर्तनों के ऊपर काम करना शुरू किया।
डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय हल
प्रियंका का कहना है, "काईट उस वक्त लॉन्च हुआ, जब भारतीय वित्त क्षेत्र में नए प्रयोगों की बड़ी ज़रूरत थी। हमने पाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था पुरानी तकनीक और सालों पुराने ढर्रे पर चली आ रही थी, जहां बैंक सिर्फ़ चहारदिवारी तक ही सीमित थे और करोड़ो की आबादी को मूलभूत वित्तीय संभावनाओं की कमी झेलनी पड़ रही थी। हमें यह एहसास हुआ कि हमारे बिज़नेस और ग्राहकों को न सिर्फ़ बेहतर वित्तीय सेवाओं की जरूरत थी, बल्कि इसके साथ ही उन्हें बढ़ने में मदद करने वाले माहौल की भी जरूरत थी।"
कई उद्यमियों और व्यापारियों का साक्षात्कार लेने के बाद प्रियंका को अपनी कमियों के बारे में पता चला। प्रियंका बताती हैं, "आमतौर पर एक मध्यम स्तरीय बिज़नेस लीकेज और टैक्स में बचत की उपेक्षा से सालाना ₹ 65 लाख तक का घाटा झेलता है और इसके साथ ही उनके अकाउंटेंट्स वित्तीय प्रक्रियाओं पर 250 दिन खर्च कर देते हैं।" उन्होंने आगे कहा, “इसका सीधा मतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर निगरानी, अदृश्य नकदी और अनुत्पादक वर्किंग डे जैसी समस्याओं से जूझ रही है।लेकिन जीएसटी जैसे बदलावों और कैश-फ्ऱी अर्थव्यवस्था पर ज़ोर के चलते, करोड़ों बिज़नेस औपचारिक क्षेत्र में कदम रख रहे है। 'काईट' का मिशन है, नई डिजिटल अर्थव्यवस्था में आसान, सुरक्षित और मॉडर्न वित्तीय समाधानों का निर्माण करना। देश के अग्रणी संस्थानों के साथ पार्टनरशिप करके हम वित्तीय ज्ञान के आधार पर माहौल बना रहे हैं, जिससे बिज़नेस अपनी सीमाओं के बजाय सफलता पर ध्यान दें सकें।"
'काईट' प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से 1200 शहरों से 110,000 ग्राहकों ने $70 मिलियन से अधिक का लेन-देन किया है और इसके साथ 6 मिलियन डाटा पॉइंट्स के साथ ही वित्तीय पहचान का निर्माण किया है। प्रियंका की कंपनी ने वैश्विक-स्तर की जानी-मानी कंपनियों जैसे वीज़ा, मास्टरकार्ड और रूपे के साथ साझेदारी की है। अन्य साझेदारों की फेहरिस्त में शीर्ष वित्तीय और बी टू बी (बिज़नेस टू बिज़नेस) संस्थाएं है जो की काईट के ग्राहकों को वित्तीय समाधानों की रेंज मुहैया करवाती है।
काईट ने भारत के 10 बैंकों के साथ भी समझौते किये है, जिसके तहत उन स्थापित बैंकों की वितरण-संबंधी जरूरतों के लिए काईट, आधुनिक और सुगम वित्तीय समाधान देगा। ऐसी साझेदारी से काईट वैश्विक रूप से 40 मिलियन व्यापारियों से जुड़ा हुआ है और पहले दिन से ही आगे बढ़ने की संभावनाएं मुहैया करवा रहा है।
शुरुआती दौर की चुनौतियां साझा करते हुए प्रियंका कहती हैं, “जब आप एक कंपनी चलाते हो तो, हर दिन एक नई चुनौती सामने आती है। तेज़ क्रियान्वयन जैसी सूक्ष्म चुनौती से लेकर स्थापित साझेदारों के साथ साख बनाए रखने के लिए सही समझौते करने जैसी बड़ी चुनौती का सामना करना, आग से खेलने जैसा है। हालांकि पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि एक ऑन्त्रप्रन्योर के तौर पर सबसे बड़ी चुनौती थी, ख़ुद के लिए यह साबित करना कि मैं इतना बड़ा जोखिम उठाकर, अपने सपने को सच बना सकती हूं। वित्त जैसे अनुमान लगाने में कठिन क्षेत्र में न सिर्फ़ नौसिखिए के तौर पर बल्कि एक आउटसाइडर के तौर पर कूदना मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तौर पर थकाऊ होता है। इसके लिए आपको ख़ुद के साथ निर्दयी होना पड़ता है।”
महिलाओं को जोड़ने की हो पहल
प्रियंका मानती हैं कि स्टार्टअप्स के क्षेत्र में भारत और पूरे विश्व में महिलाओं के प्रति उदारता का माहौल बन रहा है, लेकिन अभी भी इंडस्ट्री महिलाओं को बतौर फ़ाउंडर्स पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पाती और इस सोच में अभी बड़े बदलाव की ज़रूरत है।
प्रियंका कहती हैं, 'पिछले साल इक्विटी फंडिंग का सिर्फ 2% महिला संस्थापकों को जाना, यह दर्शाता है कि भारतीय ईको-सिस्टम अभी भी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। चाहे वह 22-साल की इंजीनियरिंग ग्रैजुएट को जोखिम लेने के लिए प्रोहोत्साहित करना हो या फिर 36 साल की मां को आश्वस्त करना हो कि उन्हें निवेशकों के साथ भेदभाव नही झेलना पड़ेगा। हमें हर स्तर पर महिलाओं का स्वागत करना चाहिए। हमें एक बेहतर मॉडल की आवश्यकता है, जिसमें न सिर्फ़ वे महिलाएं शामिल हों, जिन्होंने अपने आप को सफलताओं के माध्यम से साबित कर दिखाया है, बल्कि वे महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्होंने स्थापित दायरों से आगे बढ़कर कुछ कर दिखाने का जतन किया।'
ऐसा नहीं है कि महिलाओं को सिर्फ़ निवेश के लिए ही जूझना पड़ता है। इसके साथ ही उन्हें लैंगिक भेदभाव, स्टीरियोटाइपिंग और ग्लास सीलिंग जैसी चीज़ों का भी सामना करना पड़ता है। प्रियंका बताती हैं कि उन्होंने भी अपनी प्रफ़ेशनल लाइफ़ में महिलाओं के साथ होने वाले पारंपरिक भेदभावों का सामना किया है। प्रियंका कहती हैं कि महिला उद्यमियों को, सबसे पहले ख़ुद पर भरोसा रखना चाहिए।
सुगमता बढ़ाना और असर पैदा करना
फ़िलहाल प्रियंका इनोवेशन के माध्यम से काईट के विस्तार पर फ़ोकस कर रही हैं। वह कहती हैं, "हम अपनी कोर टेक्नोलॉजी का निर्माण करने में लगे है, जिससे विभिन्न उत्पादों, ग्राहकों और भौगोलिक क्षेत्रों के साथ आगे बढ़ सकें। हमारी कंपनी जल्द ही बड़े स्तर पर साझेदारियों को लॉन्च करने वाली है। मैं कंपनी को नए आयाम में ले जाने के लिए उत्साहित हूं, ख़ासतौर पर भारत में छोटी एवं मध्यम स्तर की बिज़नेस इकाईयों के लिए क्रेडिट और बीमा की सुगमता को लेकर मैं बेहद रोमांचित हूं।" वह काईट की तकनीकी विशेषज्ञता और व्यावसायिक संबंधों का उपयोग कर एक सशक्त माध्यम का निर्माण करना चाहती हैं, जिससे कमतर प्रतिनिधित्व प्राप्त समुदायों को शिक्षा, रोजगार की संभावनाएं और उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित कर पाएं।
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