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ये 'ट्रैफिक होमगार्ड' अपनी बेटियों की पढ़ाई के लिए चलाता है ऑटोरिक्शा

ये 'ट्रैफिक होमगार्ड' अपनी बेटियों की पढ़ाई के लिए चलाता है ऑटोरिक्शा

Tuesday May 09, 2017 , 3 min Read

"जेब खाली हो फिर भी मना करते नहीं देखा

मैंने पिता से अमीर इंसान नहीं देखा"

-गुलज़ार

वाकई ये हकीकत है। मां बाप अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए क्या नहीं करते। चाहे उनके पास पैसे हों या न हों, लेकिन उनकी कोशिश रहती है कि बच्चे को कोई कमी न आने पाये। ऐसे ही एक पिता हैं हैदराबाद के ट्रैफिक होमगार्ड जावीद खान। जावेद अपनी बेटियों को अच्छी परवरिश और बेहतर शिक्षा दे सकें, इसलिए होमगार्ड की नौकरी करने के बाद हर दिन चलाते हैं अॉटोरिक्शा, ताकि उस आमदनी से बेटियों की किताबी ज़रूरतों को किया जा सके पूरा।

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हैदराबाद के ट्रैफिक होमगार्ड जावीद खान सड़क का ट्रैफिक संभालने के अलावा ऑटो चलाने का काम सिर्फ इसलिए करते हैं, ताकि अपनी बेटियों को अच्छे से पढ़ा सकें और उनकी बेटियां पढ़ाई के लिए किसी और पर पैसों की मोहताज न रहें। जावेद चाहते हैं, कि जो वह नहीं कर पाये अब उनकी बेटियां करके दिखायें।

आज हमारे घर और समाज में लड़कियों की हालत किसी से छिपी नहीं है। उन्हें छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी मिन्नतें करनी पड़ती हैं। पढ़ने के लिए घर से बाहर जाना हो, तो उन पर पाबंदियां लग जाती हैं। लेकिन हैदराबाद के ट्रैफिक होमगार्ड जावीद खान मिसाल हैं, उन तमाम मां-बाप के लिए, जो सोचते हैं कि लड़कियों की पढ़ाई उतनी जरूरी भी नहीं है। जावीद की परवरिश कुछ खास अच्छी नहीं हुई। उन्हें अपनी जिंदगी में तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह नहीं चाहते कि उनकी बेटियां भी उनके जैसा दुख और दर्द झेलें। इसलिए वह किसी की परवाह किए बगैर एक साथ दो-दो काम करते हैं।

ट्रैफिक को संभालने वाले होमगार्ड और पुलिस की जिम्मेदारी हमें अच्छे से मालूम है। खुले आसमान के नीचे हरदम डटे रहने वाले इन लोगों को पल भर भी आराम करने को नहीं मिलता। तपती धूप में इन्हें पानी के लिए भी कोई नहीं पूछता। हमें कुछ देर के लिए ही सही अगर धूप में खड़े होना पड़े तो पसीने छूट जाते हैं। सोचिए कि दिन भर धूप में खड़े होने वाले इन लोगों का क्या हाल होता होगा। इसके बाद भी अगर कोई इंसान सिर्फ बेटियों की पढ़ाई के लिए अलग से काम करने की हिम्मत जुटाता है, तो उसे एक सलाम बनता है।

सड़क पर गाड़ियों की भीड़ को संभालना आसान नहीं होता है। दिन भर धूप में खड़े होकर ट्रैफिक मैनेज करना काफी थकान भरा काम होता है। लेकिन बेटियों के सपनों से शायद जावीद को इतनी ताकत मिल जाती है, कि वो इसके बाद ऑटो चलाने लग जाते हैं। हालांकि दुनिया में अभी भी अच्छे लोगों की कमी नहीं है।

जावीद की कहानी सुनकर कई सारे लोगों ने उनकी मदद करने का ऑफर दिया है। तेलंगाना के मंत्री केटी रामा राव ने भी कहा है, कि वे जावीद की बच्चियों को अलग से स्कॉलरशिप देंगे। वहीं हैदराबाद में रहने वाले देश के फेमस मुस्लिम लीडर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है, कि वे अल्पसंख्यक वेलफेयर डिपार्टमेंट से बात करके जावीद की मदद करेंगे। ओवैसी ने साथ ही ये भी कहा, कि हर मुस्लिम पिता को जावीद से सीख लेने की जरूरत है।