राजधानी दिल्ली की सांसों में जहर, आंखों में अंधेरा
भयानक प्रदूषण में लिपटी देश की राजधानी दिल्ली की आबोहवा गैस चैंबर जैसी हो चली है। इससे हर दिल्ली वासी के फेफड़ों पर रोजाना पंद्रह-बीस सिगरेट पीने जितना असर हो रहा है। हालात विनाशकारी हैं। मॉर्निंग वॉक करना थम गया है। बड़ी संख्या में लोग काले-काले फेफड़े लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश हिस्से स्मॉग में डूब गए हैं। निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही 10 नवंबर तक ईंधन के रूप में कोयला और बायोमास के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।
भयानक प्रदूषण की चादर में लिपटी देश की राजधानी दिल्ली गैस चैंबर बन गई है, उसकी आंखों में अंधेरा और सांसों में जहर घुल गया है। इमेरजेंसी जैसे हालात हैं। जीना दुश्वार हो रहा है। यहां के सर गंगा राम अस्पताल के थौरेसिस सर्जन श्रीनिवास के. गोपीनाथ ने तो 'दिल्ली की हवा को सजा-ए-मौत की करार दिया है। रोजाना एक व्यक्ति के पंद्रह-बीस सिगरेट पीने से फेफड़े जितना प्रभावित होते हैं, उतना प्रदूषण हर दिल्ली वासी के अंदर पहुंच रहा है। पूरे एनसीआर में चारो तरफ सुबह से ही धुंध की मोटी परत पसर जा रही है। मॉर्निंग वॉक करना थम गया है। लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। बड़ी संख्या में सांस के मरीज अस्पतालों में दस्तक दे रहे हैं। कई जगह हवा की क्वॉलिटी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। दिल्ली-एनसीआर के वरिष्ठ डॉक्टर बता रहे है कि लोगों के फेफड़ों के रंग बदल रहे हैं। पहले, सिगरेट पीने वालों के फेफड़ों पर काली रंग की परत होती थी जबकि अन्य के फेफड़ों का रंग गुलाबी होता था लेकिन आजकल, इलाज के दौरान सिर्फ काले फेफड़े ही देखने को मिल रहे हैं। यहां तक कि किशोरों के फेफड़ों पर भी काले निशान मिल रहे हैं। यह अत्यंत डरावना और दुखद है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 का स्तर दक्षिण दिल्ली के ओखला निगरानी स्टेशन पर 644 दर्ज किया गया, जो सुरक्षित सीमा से 20 गुना अधिक है। एयर क्वॉर्टर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च सेंटर के मुताबिक राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक इतने खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है कि सतह पर वायु की गति पांच किलोमीटर प्रति घंटे हो चुकी है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉफिकल मेटरलॉजी के मुताबिक भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्रोत मसल पराली जलाना और अन्य स्रोत के प्रदूषण तत्व कम थे मगर अब पीएम 2.5 में अचानक आई वृद्धि की वजह से चेतावनी जारी की गई है। पीएम 2.5 बारीक कण सीधे फेफड़ों में घुस रहे हैं। श्वसन रोगियों की संख्या बेतहाशा बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से हर साल 30 हज़ार मौतें हो रही हैं। शरीर पर प्रदूषित हवा का बेहद ख़तरनाक असर होने से लोगों की त्वचा, नाक, आंख, गला, लीवर, फेफड़े, दिल, किडनी खतरे में हैं।
दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश हिस्से स्मॉग में डूब गए हैं। निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही 10 नवंबर तक ईंधन के रूप में कोयला और बायोमास के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमिटी ने सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिए हैं कि 'हॉट स्पॉट' में गश्त में तेजी के साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को बर्दाश्त न किया जाए। प्रदूषण की हालत ये है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) दिल्ली में 2.5-295, नोएडा में 2.5-264, ग्रेटर नोएडा में 2.5-254, गाजियाबाद में 5-270 फरीदाबाद में 2.5-259 और गुरुग्राम (गुड़गांव) में 2.5-213 दर्ज किया गया है। मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ की रिपोर्ट में दिल्ली में प्रदूषण के पांच कारण बताए गए हैं। पहला कारण बाहरी राज्यों से आने वाली करीब 45 लाख गाड़ियां और दिल्ली में जरुरी सामान पहुंचाने वाले ट्रक हैं। प्रदूषण का दूसरा कारण उद्योग और लैंडफिल साइट हैं, जिनके चलते करीब 23 फीसदी प्रदूषण फैल रहा है। तीसरा कारण दिल्ली की हवा में मिला हुआ दूसरे राज्यों का धूल, कण और धुंआ है। चौथा कारण दिल्ली में चलने वाला कंस्ट्रक्शन और लोगों द्वारा जलाने वाला कूड़ा है। इनसे दिल्ली में करीब 12 फीसदी प्रदूषण फैल रहा है। पांचवा कारण दिल्ली के रिहायशी इलाके हैं, जहां रसोई से निकलने वाले धुंए, डीजी सेट जैसी चीजों से करीब छह फीसदी प्रदूषण फैल रहा है।
राजधानी का पूरा चिकित्सा जगत इस प्रदूषित हवा के विनाशकारी प्रभाव से चिंतित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडहानोम गेबेरियस की ओर से जारी एक चेतावनी में सेहत बचाने की गंभीर ताकीद की है। उन्होंने कहा है कि 'लोगों को वायु प्रदूषण से बचाने में दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों ही विफल रही हैं। भारत जिस घातक रास्ते पर बढ़ रहा है, उसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का वक्त आ गया है।' फिलहाल राजधानी क्षेत्र में ‘स्वच्छ हवा अभियान’ के तहत दिल्ली-एनसीआर के लोगों को आगाह किया जा रहा है कि कम से कम निजी वाहनों का, केवल सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें। घर के बाहर मास्क लगाकर निकलें। प्रदूषण से बचने के लिए एन-95 से ऊपर के ही मास्क खरीदें, जो सूक्ष्म कणों से भी बचाते हैं. घर के बाहर कसरत करने से बचें। घर में धूल और मिट्टी जमा न होने दें। सांस लेने में ज्यादा पेरशानी हो तो तुरंत डॉक्टर को जरूर दिखाएं। बाहर से घर वापस आने के बाद मुंह, हाथ और पैर साफ पानी से धोएं। घर में शुद्ध हवा के लिए एयर प्यूरीफायर लगवाएं।
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