65 देशों में सुबह का मतलब ‘टीबाॅक्स’
इंटरनेट का प्रयोग कर 65 से अधिक देशों में पहुंचा रहे हैं चायआॅनलाइन आॅर्डर और पेमेंट के लिये 'एसेल 'पार्टनर्स से की साझेदारीसिलीगुड़ी जैसी छोटी जगह से शुरू किया व्यापारएक सप्ताह में चाय को बागानों से ग्राहक तक पहुंचाना होता है लक्ष्य
2014 में 50 लाख कप से भी अधिक भारतीय चाय को दुनिया के 65 से अधिक देशों में निर्यात करने वाली कंपनी ‘टीबाॅक्स’ के संस्थापक और सीईओ कौशल डूगर 2013 में देश के सबसे बड़े ई-काॅमर्स शोकेस मंच ईस्पार्क्स के विजेता रहे हैं। यह शायद भारत का पहला ऐसा वैश्विक ई-काॅमर्स संस्थान है जिसके कुल राजस्व का 99 प्रतिशत ग्राहक और राजस्व आधार देश से बाहर का है।
दुनिया भर में देश की चाय की चुस्कियों को पहुंचाने की शुरुआत हुई पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी से। ‘टीबाॅक्स’ के संस्थापक और सीईओ कौशल डूगर कहते हैं कि सिलिगुड़ी जैसी जगह से ई-काॅमर्स के द्वारा व्यवसाय चलाना कोई आसान काम नहीं है। ‘‘आप एक स्मार्टफोन जैसी चीज को तो आॅनलाइन बेच सकते हो जिसके बारे में सबकुछ ग्राहक को पता होता है लेकिन हम तो चाय जैसी खुशबू और स्वाद के आधार पर बिकने वाले उत्पाद को आॅनलाइन बेच रहे थे। हमने व्यवसाय के प्रारंभ में ही आने वाली चुनौतियों को भांप लिया और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर अपने उत्पाद को सफल बनाया।’’
कौशल ने प्रारंभ से ही बहुत गंभीरता से चाय बागान मालिकों की पहचान की और अपने उत्पादों के लिये सर्वोत्तम चाय पत्तियों के प्रसंस्करण और पैकेजिंग का एक स्टाइल विकसित किया। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न देशों के अपने निर्यातकों तक जल्द से जल्द सर्वश्रेष्ठ और कुशल सेवा प्रदान करने के लिए डीएचएल, फेडएक्स, एयलमेल के अलावा विभिन्न शिपमेंट और वितरण सेवाओं का उपयोग किया।
कौशल बताते हैं कि उनकी चाय दुनिया के 65 से अधिक देशों में निर्यात होती है और जहाज पर माल के लदने के समय उन्हें यह पता होता है कि किस देश के लिये कौन सा सेवा प्रदाता सर्वश्रेष्ठ है। इस दौरान उन्होंने प्रत्येक निर्यातक देश के लिये सबसे विश्वसनीय भुगतान सेवा की भी पहचान की और ग्राहकों की सहूलियत के लिये उनके साथ साझेदारी की ताकि ग्राहक ‘टीबाॅक्स’ से चाय की आॅनलाइन खरीददारी के बाद आसानी से उन्हें भुगतान कर सके।
‘‘इस जटिल प्रक्रिया को हमने तकनीक और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से आसान बना दिया है। वर्तमान में बागान से चाय की पत्ती तोड़ने से लेकर उसकी पैकेजिंग करके उसे निर्यातक तक पहुंचाने में ‘टीबाॅक्स’ को अधिकतम एक सप्ताह का समय लगता है जबकि पहले इस काम में तीन से छह महीने का समय लगता था।’’ शायद यही वजह है कि हजारों मील दूर रूस या कनाडा में बैठे प्रबल चायप्रेमी इनकी चाय को खरीदने के लिये 100 से 1500 डाॅलर प्रति किलोग्राम तक भुगतान कर रहे हैं।
व्यापार के प्रारंभ में आई चुनौतियों के बारे में बताते हुए कौशल सबसे पहले आर्थिक मोर्चे पर आई दिक्कतों को बारे में बताते हैं। ‘‘सिलीगुड़ी जैसे छोटे से शहर में आॅनलाइन व्यापार के लिये पैसे इकट्ठे करना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि लोगों को आॅनलाइन शाॅपिंग के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी।’’
कौशल बताते हैं कि उन्होंने कई निवेशकों को महीनों तक फोन करने और ईमेल करने के अलावा उनसे मुलाकात भी की लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। इस दौरान कई बार उनका आत्मविश्वास भी डिगा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर के अलावा कई स्थानों पर निवेशकों को ‘टीबाॅक्स’ में निवेश करने के लिये प्रयासरत रहे। कहते हैं एक दरवाज़ा बंद होता है तो दूसरा खुलता भी है। कुछ निवेशकों ने इनके प्रति उदार रवैया दिखाया और ‘टीबाॅक्स’ को खड़ा करने में रुचि दिखाई। इस दौरान एसेल पार्टनर्स ने भी इनके प्रोजेक्ट में गहरी रुचि तो दिखाई लेकिन किसी भी बात को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था।
इसी भागदौड़ के दौरान ईस्पार्क्स 2013 का आयोजन हुआ जिसका विजेता बनने के बाद कौशल और उनका ‘टीबाॅक्स’ सुर्खियों में आ गए। ‘‘ईस्पार्क्स 2013 का विजेता बनने के बाद मुझे अपने विचारों को मजबूती के साथ दूसरों के सामने रखने में काफी मदद मिली और इसके बाद मुझे निवेशकों तक पहुंचने का अच्छा मौका मिला। इसके बाद मैं कई नए लोगों से मिला और व्यापार को लेकर मेरे नजरिये में काफी बदलाव आया।’’
ईस्पार्क्स का विजेता बनने के कुछ दिनों बाद ही एसेल पार्टनर्स के साथ चल रही निवेश की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ी और उन्होंने ‘टीबाॅक्स’ में एक मिलियन डाॅलर का निवेश किया। कुछ समय बाद ही एसेल की ओर से प्रशांत प्रकाश ‘टीबाॅक्स’ के बोर्ड में सलाहकार के रूप में शामिल हो गए।
अब जब कौशल का व्यापार अपनी जड़ें जमा चुका है तब वे अगले एक वर्ष के दौरान ‘टीबाॅक्स’ के व्यापार में 5 गुना विकास करने की ओर ध्यान दे रहे हैं। वर्तमान में उनकी टीम में 21 सदस्य शामिल हैं जिनमें से 9 बैंगलोर में और 12 सिलीगुड़ी और दार्जीलिंग में तैनात हैं। जल्द ही वे अपनी टीम का विस्तार करते हुए गुवाहाटी, कोच्चि और नीलगिरी जैसे चाय उत्पादक क्षेत्रों में अपनी पैठ बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ग्राहकों के मोर्चे पर भी ‘टीबाॅक्स‘ विस्तार कर रहा है और जल्द ही रूस, अमरीका, जापान, चीन और पश्चिमी यूरोप के अलावा कई अन्य देशों में वह अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के प्रयास में लगे हैं।
‘टीबाॅक्स’ के भविष्य के बारे में बहुत अधिक कुरेदे जाने पर कौशल बताते हैं कि उन्होंने एक दीर्घकालिक विस्तार कार्यक्रम के बारे में सोच रखा है। ‘‘चाय तो बस एक शुरूआत है। हम उपयोगी वस्तुओं की एक आपूर्ति श्रृंखला तैयार करना चाहते हैं जिसके द्वारा हम मसाले और अनाज को प्रौद्योगिकी के सहारे वैश्विक बाजार तक पहुंचा सकें। हालांकि अभी हमें सफलता के लिये बहुत लंबा रास्ता तय करना है।’’
कौशल का यह सफर हमें दिखाता है के कैसे एसेल पार्टनर्स ने ‘टीबाॅक्स’ के व्यापार के विकास में अपने ई-काॅमर्स पोर्टफोलियो का उपयोग किया है। इस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता और अनुभव के सहारे ‘टीबाॅक्स’ को दुनिया भर के ग्राहकों तक पहुंचने में मदद की है।
कौशल बताते हें कि वर्तमान में उनकी मुख्य चुनौती अपने साथियों और लोगों को यह समझाना है कि कैसे वे ‘टीबाॅक्स’ के द्वारा एक छोटे से शहर सिलीगुड़ी से एक वैश्विक व्यापार को संचालित कर रहे हैं जिसमें ग्राहक की संतुष्टि उनकी पहली प्राथमिकता है। इसके अलावा कौशल और उनकी टीम कुछ चाय बागान मालिकों केे साथ मिलकर स्थानीय श्रमिक समुदाय के बच्चों को शिक्षा के लिये छात्रवृत्ति का भी प्रबंध कर रहे हैं जिससे वे लोग भविष्य में बेहतर जीवन जी सकें।
आखिर में कौशल व्यापार की दुनिया में नये आ रहे युवाओं को ई-काॅमर्स का समर्थ रूप में उपयोग करने की राय देते हैं। ‘‘अगर आप किसी बड़े मेट्रो शहर से नहीं आते हैं या आप किसी बड़े काॅलेज या आईआईटी/आईआईएम के अभिजात्य छात्रों में शमिल नहीं हैं तो भी घबराने की कोई बात नहीं है। व्यापार के अपने विचार पर भरोसा रखो और अपनी टीम और व्यापार की प्रणालियों के साथ संभावित बाजार में कूद पड़ो। जब आप खुद आत्मविश्वास से लबरेज होंगे तो ही आप सामने वाले को अपने साथ व्यापार करने के लिये तैयार कर पाएंगे।’’