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युवाओं को धीरे-धीरे मार रहा है हाइपरटेंशन

हाइपरटेंशन की वजह से हर साल पूरी दुनिया में लगभग 9 मिलियन लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं...

युवाओं को धीरे-धीरे मार रहा है हाइपरटेंशन

Friday June 16, 2017 , 6 min Read

खराब लाइफ स्टाइल और शारीरिक श्रम की कमी से लोगों में बढ़ रही हाइपरटेंशन की समस्या खतरनाक रूप धारण करती जा रही है। इस के कारण विश्व में हर साल करीब 9 मिलियन लोग दम तोड़ देते हैं। आधुनिक जीवनशैली की खामियों की वजह से युवा इसकी गिरफ्त में सबसे ज्यादा फंस रहे हैं।

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एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक भारत की एक-तिहाई जनसंख्या हाइपरटेंशन का शिकार हो चुकी होगी। अभी भारत के शहरी इलाकों में प्रतिवर्ष 20 से 40% की दर से और ग्रामीण इलाकों में 12 से 17 % की दर से यह बीमारी अपने पैर फैला रही है।

हाइपरटेंशन को अगर इस युग का इनाम कहें, तो ये कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आज की भाग दौड़ वाली जिन्दगी में घर हो या बाहर, चिन्ता, परेशानी व गुस्सा हमारे दिल दिमाग व शरीर के दूसरे भागों को भी प्रभावित करता है। आज लोगों में हाइपरटेंशन एक बहुत ही आम समस्‍या है। यह बिना किसी चेतावनी के होती है इसलिए इसे साइलेंट किलर कहते है। हर तीन में से एक भारतीय युवा इस बीमारी का शिकार है। एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक भारत की एक-तिहाई जनसंख्या इस बीमारी का शिकार हो चुकी होगी। अभी भारत के शहरी इलाकों में प्रतिवर्ष 20 से 40% की दर से और ग्रामीण इलाकों में 12 से 17 % की दर से यह बीमारी अपने पैर फैला रही है।

पूरी दुनिया में होने वाले 51 प्रतिशत हार्ट अटैक और 45 प्रतिशत स्ट्रोक के लिए उच्च रक्तचाप जिम्मेदार है।

दलाई लामा ने एक भाषण में कहा था कि 'खुश रहना जिन्दगी का मुख्य उद्देश्य होता है।' अगर आप पॉजिटिव सोच रखते है, तो कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनसे छुटकारा पाया जा सकता है और हाइपरटेंशन भी उनमे से एक है। हाइपरटेंशन के दौरान कई बातों का ख्याल रखना चाहिये। ख़ास तौर पर ऐसी बातों का जिनसे व्यक्ति को खुशी मिलती हो। ऐसा करके उन कारणों से दूर रहा जा सकता है, जो हाइपरटेंशन की वजह हैं। हाइपरटेंशन के दौरान व्यक्ति अधिकांश समय उन बातों के बारे में सोचता है, जो डिप्रेशन को बढ़ाने का काम करती है।

युवा पीढ़ी के लिए साइलेंट किलर

युवाओं में इसका कारण धूम्रपान, शराब का सेवन, शारीरिक श्रम की कमी, प्रदूषण आदि है। हाइपरटेंशन के साथ अगर दिल की धड़कन अनियमित यानी एट्रियल फाइब्रिलेशन हो, तो घातक परिणाम होते हैं। इसकी वजह से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। अगर रक्तचाप को नियंत्रण में न रखा जाए तो शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करने के साथ यह व्यक्ति के सोचने, समझने और याद रखने की शक्ति तक को प्रभावित कर सकता है।

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हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप ऐसी ही चुपचाप धावा बोलने वाली बीमारी है। अधिकांश मामलों में उच्च रक्तचाप के बारे में पता नहीं चलता क्योंकि इस बीमारी के लक्षण काफी अस्पष्ट (चक्कर आना, सिर में दर्द, नाक से खून आना, तनाव और थकान) से हैं। इन लक्षणों को हम आसानी से अनदेखा कर जाते हैं।

20-22 साल का कोई युवा तमाम लक्षण नजर आने के बावजूद भी यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता है कि उसे इतनी कम उम्र में हाइपरटेंशन की परेशानी हो सकती है। इसलिए जांच के अभाव में बीमारी के बारे में देर से पता चलता है। गंभीर बात यह है कि बच्चे तक हाइपरटेंशन के शिकार हो सकते हैं। अधिकांश लोग उच्च रक्तचाप के छोटे-छोटे लक्षणों को अनदेखा करते जाते हैं और बिना दवा के कई साल बिता देते हैं। जब तक इस बीमारी के बारे में पता चलता है और इलाज शुरू हो पाता है, तब तक वह एक-दो अंगों पर अपना असर दिखा चुका होता है। इस बीमारी का लक्षण भले ही सामान्य है, पर शरीर पर इसका असर काफी गंभीर होता है। उच्च रक्तचाप मृत्यु के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। पूरी दुनिया में होने वाली हर 10 मौतों में से एक मौत के लिए उच्च रक्तचाप जिम्मेदार होता है।

क्या है हाइपरटेंशन?

हाइपरटेंशन से धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होते हैं- सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता हो रही है।

हाइपरटेंशन के कारण

हाइपरटेंशन कई कारणों से होता है, जिनमे से कुछ कारण शारीरिक और कुछ मानसिक होते हैं। शारिरिक कारणों में खून में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, मोटापा, आनुवांशिक पारगमन, अधिक मात्रा में मांसाहारी भोजन करना, अधिक मात्रा में तैलीय भोजन करना, शराब पीना शामिल हैं। मानसिक कारणों में अकारण परेशान होना, जरूरत से ज्‍यादा काम करना, परिवार में या कार्यस्‍थल में तनाव का होना प्रमुख हैं।

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हाइपरटेंशन से खतरा

उच्च रक्तचाप के कारण एक समय के बाद दिल का आकार बड़ा हो जाता है, दिल कमजोर हो जाता है या ठीक तरह से खून पंप करना बंद कर देता है। स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप के कारण रक्तधमनियों में कमजोरी और सूजन आ जाती है। ऐन्यरिजम फट जाए तो जिंदगी को भी खतरा हो सकता है। इसके कारण दिल की मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं। इन मोटी मांसपेशियों को शरीर की जरूरत को पूरा करने के लिए खून पंप करने में कई गुना ज्यादा मेहनत करनी होती है, जिस वजह से कई बार हार्ट फेल हो जाता है। उच्च रक्तचाप के कारण आंखों की रक्त धमनियां प्रभावित होती हैं, जिससे दृष्टि पर असर पड़ता है। उच्च रक्तचाप होने पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी अन्य सेहत संबंधी परेशानी होने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है।

हाइपरटेंशन से बचाव

नियमित व्यायाम करें। नियमित डॉक्टर की सलाह लें और दवाइयों का सेवन करें। परिवार के लोगों से सहयोग लें, खुश रहें। 30 के बाद समय- समय पर ब्लडप्रेशर की जांच कराएं। शराब तंबाकू का सेवन ना करें। खाने में किसी भी प्रकार से ऑलिव ऑयल का प्रयोग करें। मोटापे से दूर रहें।

गुस्सा, परेशानी और नेगेटिव एनर्जी से दूर रहें। योगा करें। शवासन योग निद्रा, शशांकासन, पद्मासन, पवन मुक्तासन, कूर्मासन, मकरासन, शीतली प्राणायाम, ध्यान और दूसरे आसन भी हाइपरटेंशन जैसी बीमारी में लाभदायी होते है। धनिया, गोभी, नारियल का सेवन करें। केले, मिठाइयां, आइसक्रीम, अचार, दही बिलकुल ना खाएं। बुक रीडिंग, नावल रीडिंग, न्यूज़ पेपर रीडिंग जिससे आपका समय निकल सके और साथ ही साथ कुछ आप कुछ सीख सकें। समय बिताने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक इससे आप का झुकाव पर्यावरण की तरफ हो जाता है। घरों में या बस्तियों के आसपास जानवरों का होना लाभदायक होता है, कारण आप ज्यादा समय उनके साथ बिताते हैं।

-प्रज्ञा श्रीवास्तव

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