लड़कियों को शिक्षित करने की मुहिम में मलाला को मिला एपल का साथ
नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई, मलाला फंड के जरिए हर लड़की को 12 साल तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दिशा में प्रयासरत हैं। एपल का साथ मिलने के बाद मलाला फंड के दोगुने होने की उम्मीद है...
एपल के सीईओ टिम कुक ने कहा कि शिक्षा में समानता लाने की ताकत है। हमने हर लड़की को स्कूल जाने का अवसर देने को मलाला फंड से हाथ मिलाया है।मलाला समाज में बराबरी लाने के लिए एक साहसी सिपाही हैं और वह हमारे वक्त की सबसे बहादुर लड़की हैं।
नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई लड़कियों की शिक्षा के लिए मुहिम चला रही हैं। इसके लिए मलाला फंड की स्थापना भी की गई है। दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक ऐपल ने घोषणा की है कि वह मलाला के इस प्रयास में सहभागी बनने के लिए मलाला फंड में अपना भी योगदान देगा। मलाला यूसुफजई, मलाला फंड के जरिए हर लड़की को 12 साल तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दिशा में प्रयासरत हैं। एपल का साथ मिलने के बाद मलाला फंड के दोगुने होने की उम्मीद है। 19 साल की मलाला पाकिस्तान में तालिबान के हमले का शिकार हुई थीं और ब्रिटेन में उनका इलाज किया गया था।
मलाला फंड को उम्मीद है कि गुलकमई नेटवर्क के तहत दिए जाने वाले अनुदानों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। मलाला फंड के जरिए लैटिन अमेरिकी देशों और भारत में लगभग 100,000 लड़कियों को शिक्षा देने का काम हो रहा है। इस मौके पर मलाला ने कहा, 'मेरा सपना है कि हर लड़की अपना भविष्य चुने। मैं एपल की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने बिना किसी भय के हमारी इस मुहिम को समर्थन दिया।' एपल के सीईओ टिम कुक ने कहा कि शिक्षा में समानता लाने की ताकत है। हमने हर लड़की को स्कूल जाने का अवसर देने को मलाला फंड से हाथ मिलाया है।
एपल मलाला की टीम को पूरा तकनीकी सहयोग देगा। पाठ्यक्रम और रिसर्च से लेकर पॉलिसी चेंज के लेवल तक एपल की ओर से मदद की जाएगी। टिम कुक खुद भी मलाला फंड की लीडरशिप काउंसिल में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह देखकर अच्छा लगा कि लड़कियां बिना डर के आगे बढ़ रही हैं और दुनिया में अपना मुकाम बना रही हैं। टिम ने कहा, शिक्षा से बड़ी ताकत कोई नहीं है और हमने इसी प्रतिबद्धता की वजह से मलाला फंड के साथ हाथ मिलाया है। मलाला समाज में बराबरी लाने के लिए एक साहसी सिपाही हैं और वह हमारे वक्त की सबसे बहादुर लड़की हैं।
मलाला ने महज 11 वर्ष की उम्र में बालिका शिक्षा पर ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया था। अक्टूबर 2012 में हमले के वक्त वह 15 वर्ष की थी। इसके बाद मलाला ब्रिटेन चली गई थीं। 2013 में मलाला ने बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मलाला फंड नामक संस्था भी बनाई थी। मलाला फंड 2013 से कई सारे संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। पूरी दुनिया से सरकारी और प्राइवेट संगठनों की तरफ से मलाला फंड को सहयोग मिल रहा है।
मलाला फंड के अंतर्गत गुलमकई नेटवर्क अफगानिस्तान, पाकिस्तान, लेबनान, तुर्की और नाइजीरिया में काम कर रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 13 करोड़ लड़कियां शिक्षा से वंचित हैं। उन्हें शिक्षित कर के मुख्यधारा में लाने के लिए मलाला फंड जैसे कार्यक्रम काफी जरूरी हैं।
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