देश का पहला पुस्तक गाँव बना 'भिलार'
महाराष्ट्र में सतारा जिले का भिलार गाँव देश का पहला पुस्तक गाँव बन गया है। इसका उद्घाटन 4 मई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने किया है। इसे मराठी में 'पुस्तकांचं गाँव' नाम दिया गया है।
पुस्तकांचं गाँव परियोजना ब्रिटेन के वेल्स शहर के हे-ऑन-वे से प्रभावित है। हे-ऑन-वे की ही तर्ज पर भिलार गाँव में करीब 15 हजार पुस्तकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। सतारा जिले का ये गाँव महाबलेश्वर हिलस्टेशन के पास सुंदर पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र के प्राकृतिक वातावरण में स्थित है।
महाराष्ट्र में सतारा जिले का भिलार गाँव देश का पहला पुस्तक गाँव बन गया है। इसका उद्घाटन 4 मई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने किया। इसे मराठी में 'पुस्तकांचं गाँव' नाम दिया गया है। शिक्षामंत्री विनोद तावड़े के नेतृत्व में राज्य सरकार की इस पुस्तकांचं गाँव योजना को मराठी भाषा विभाग के सहयोग से पूरा किया गया है।
इस गाँव में पुस्तकें पढ़ने के लिए 25 स्थान चुने गए हैं, जिनमें साहित्य, कविता, धर्म, महिला, बच्चों, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं की किताबें उपलब्ध होंगी।
पुस्तकांचं गाँव परियोजना ब्रिटेन के वेल्स शहर के हे-ऑन-वे से प्रभावित है। हे-ऑन-वे की ही तर्ज पर भिलार गाँव में करीब 15 हजार पुस्तकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। सतारा जिले का ये गाँव महाबलेश्वर हिलस्टेशन के पास सुंदर पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र के प्राकृतिक वातावरण में स्थित है।
इस गाँव को पुस्तक गाँव के रूप में तैयार करने के लिए गाँव के 40 लोगों ने इच्छा जताई थी, जिनमें से फिलहाल 25 घरों का चयन किया गया है। जिन घरों में जिस विषय से संबंधित पुस्तकें रखी गई हैं, उसके बाहर उस विषय से संबंधित साहित्यकारों के चित्र भी लगाए गए हैं। इन मकानों में पाठकों के बैठने का इंतजाम किया गया है। कुछ मकानों में पाठकों के ठहरने और खाने का भी इंतजाम है। गाँव में दो रेस्टोरेंट भी हैं।
अब सरकार गांव में साहित्य महोत्सव आयोजित कराने की योजना बना रही है। शिक्षामंत्री विनोद तावड़े का कहना है-'मराठी की करीब 15,000 पुस्तकें इस गांव के परिसर में अभी उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन बहुत सारे प्रकाशकों ने इस पुस्तक गाँव के लिए पुस्तकें भेंट करने की इच्छा जाहिर की है।'
राज्य सरकार ने मराठी भाषा दिवस पर 27 फरवरी 2015 को इस तरह के पुस्तक गाँव और साहित्य उत्सव आयोजित करने की योजना का ऐलान किया था। शिक्षामंत्री ने बताया, कि 'ये परियोजना खास उन लोगों के लिए है, जिन्हें भाषा और साहित्य से प्रेम है।'