मंजीरा का ‘यूएमए’ चलाये लंबे वक़्त तक मोबाइल की बैटरी

भारत अगले साल तक अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन का बाज़ार बन जाएगा। क्योंकि भारत का स्मार्टफोन बाज़ार चीन के मुकाबले पांच गुना तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। इसकी वजह है कि दुनिया में सबसे सस्ते स्मार्टफोन भारत में बिकते हैं। बावजूद इसके यहाँ पर कीमतों को लेकर खास ध्यान दिया जाता है, वहीं स्मार्टफोन में मौजूद बेशुमार एप इनकी बैटरी को ज्यादा नहीं चलने देते। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हैदराबाद का सेमिकंडक्टर स्टार्टअप ‘मंजीरा डिजिटल सिस्टम’ अपने उत्पाद यूनिवर्सल मल्टीफंक्शन ऐक्सेलरेटर (यूएमए) के ज़रिए इस समस्या का तोड़ निकालने में जुटा है।

मंजीरा का ‘यूएमए’ चलाये लंबे वक़्त तक मोबाइल की बैटरी

Monday August 01, 2016,

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आकार में एक वर्ग मिलीमीटर के चौथाई हिस्से के बराबर तेज़ गति का ये कंप्यूटिंग सर्किट किसी भी स्मार्टफोन, ड्रोन या फिर आईओएल उपकरणों में आसानी से लग जाता है। खास बात है कि ये विभिन्न एल्गोरिदम पर काम करने के दौरान ऊर्जा की काफी कम खपत करता है। मंजीरा ने हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से एक ऑर्डर हासिल किया है, जहाँ पर इनके बनाए यूएमए का इस्तेमाल राडार सिग्नल प्रोसेसिंग के तहत तेज़ गति से गणना के लिए किया जायेगा।

तीन साल पहले स्थापित मंजीरा डिजीटल सिस्टम के संस्थापक हैं डॉ. वेणु और श्रीनी । 58 साल के डॉक्टर वेणु कोई स्टार्टअप उद्यमी नहीं हैं, लेकिन 20 सालों से वो इस तकनीक को सफल बनाने में जुटे हुए थे। वहीं दूसरी ओर श्रीनी सीरियल आंत्रप्रेन्योर रह चुके हैं। इन दोनों की मुलाकात अचानक हुई। उसके बाद दोनों ने मिलकर इस उत्पाद के विकास पर निवेश किया। इन लोगों का दावा है कि इसरो ‘भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली’(आईआरएनएसएस) में इनके बनाये उत्पाद को इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है। डॉ. वेणु का कहना है कि “वो अब तक सात सेटेलाइट में अपना नेविगेशन सिस्टम इस्तेमाल कर चुके हैं और हमारा ये उत्पाद डेटा और कंप्यूटिंग के काम में तेज़ी लाता है।”

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वेणु मानते हैं कि अच्छी गुणवत्ता वाले पोर्टेबल उपकरण जो स्मार्टफोन और दूसरी चीज़ों में इस्तेमाल होते हैं, इनकी काफी कमी है, क्योंकि हर सर्किट की अपनी सीमाएँ होती हैं। उनका कहना है,

“मुझे वीडियो, ऑडियो और इमेज प्रोससिंग का अनुभव है। इसके अलावा मैंने सर्किट डिज़ाइन के क्षेत्र में भी काम किया है। ये काम मैंने विश्वविद्यालय में रिसर्च के दौरान किया था। आज हम एक ऐसा समाधान लेकर आए हैं, जो कई बाधाओं को दूर करता है। मुख्य तौर पर ये उर्जा की खपत कम करता है। साथ ही इसमें इतनी क्षमता है कि ये विभिन्न एल्गोरिदम की गति को बढ़ा सके। मुझे ये आइडिया मेरे पिछले अनुभवों के अधार पर आया।”

इस उत्पाद को बनाने के पीछे की मुख्य वजह थी स्मार्टफोन, जिसकी बैटरी जल्द खत्म हो जाती थी, इसके अलावा जब फोन में कोई नया फीचर जोड़ना चाहता तो इसके लिए हार्डवेयर में बदलाव करना पड़ता था, जो काफी महंगा पड़ता था। इसलिए इन लोगों ने यूनिवर्सल मल्टीफंक्शन ऐक्सेलरेटर (यूएमए) का निर्माण किया। जो काफी तेज गति से काम करता है। ये बाजार में मौजूद सर्किट से दस से सौ गुना तेज़ है और ये मामूली उर्जा पर ही काम करता है। इससे बैटरी लाइफ काफी बढ़ जाती है। इतना ही नहीं ये सर्किट विभिन्न तरह के एल्गोरिदम जैसे वीडियो प्रोसेसिंग, इमेज प्रोसेसिंग की गति को बढ़ाता है।

डॉक्टर वेणु का कहना है कि “हमारे पास काफी अच्छी टीम है, टीम में 20 इंजीनियर हैं। जहाँ तक तकनीक का सवाल है। हमने काफी अच्छी प्रगति की है। आज कई निवेशक मानते हैं कि जो स्टार्टअप थोड़ी सी पूँजी के साथ शुरू हुआ था, उसने इतना अच्छा मुकाम हासिल कर लिया है। तकनीक के तौर पर देखा जाये तो अब तक का हमारा तजुर्बा काफी अच्छा रहा है और इन तीन सालों के दौरान हमें अपने काम में काफी मज़ा आया।”

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हार्डवेयर और सेमीकंडक्टर ऐसा क्षेत्र है, जहाँ पर काफी समय तक टिक कर काम करना होता है, तभी सफलता मिलती है। जहाँ तक इस क्षेत्र में पैसे की बात है तो वो इस क्षेत्र में इतना नहीं है, जितना सॉफ्टवेयर, ई कॉमर्स और दूसरे डोमेन में देखने को मिलता है। इस क्षेत्र में अपने काम को लेकर काफी फोकस रहना पड़ता है। ये इंजीनियरिंग से जुड़ा उत्पाद है, इसलिए इस क्षेत्र में हुनरमंद लोगों की ज़रूरत होती है। कुल मिलाकर ये ऐसा क्षेत्र है, जिसमें ‘जितना ज्यादा जोखिम है, उतना ही ज्यादा फ़ायदा’ भी है। बात अगर मुश्किलों की करें तो इनका मानना है कि हार्डवेयर सेमीकंडक्टर सेक्टर काफी छोटा क्षेत्र है और ना ही इसके लिए बना ईकोसिस्टम पर्याप्त है, जितना दूसरे तरीके के स्टार्टअप के लिए होता है। ये स्टार्टअप बिल्कुल अलग डोमेन से आता है।

श्रीनी बताते हैं, “हमारे सामने भी किसी दूसरी स्टार्टअप की तरह कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन ये इस बात पर निर्भर करती हैं कि हम इनसे कैसे निपटते हैं। जहाँ तक हमारी चुनौती का सवाल तो हमें सेमीकंडक्टर और चिप बनाने के लिए काफी निवेश की ज़रूरत होगी। इसलिए निवेश हासिल करना हमारे लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन अगर हम सही उत्पाद बनाने में कामयाब होते हैं और इसरो को अपने बनाये उत्पाद से संतुष्ट कर पाते हैं तो हमारे लिए ये चुनौती आसान बन सकती है।”

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श्रीनी खुद एक सीरीयल आंत्रप्रन्योर रह चुके हैं। अपनी युवा टीम के बीच वो खुद को बुजुर्ग नहीं मानते। उनका कहना है कि उनके अंदर भी उतनी ही उर्जा है, जितनी युवाओं में है। बावजूद इसके इनकी टीम युवाओं से भरी हुई है। टीम के अगर 20 सदस्य इंजीनीयिर हैं तो इनकी औसत उम्र भी 20 साल है। इनका कहना है कि इसी तरह का युवा टैलेंट वे कारोबार के विकास, वित्त और सेल्स जैसे दूसरे क्षेत्रों में भी देखना चाहते हैं। भविष्य की योजनाओं के बारे में श्रीनी का का कहना है, “हम प्रोसेसर बनाने वाली टीयर 1 कंपनियों जैसे क्वालकॉम, ब्रॉडकॉम और इंटेल के लिए एक खास तरह की चिप बनाना चाहते हैं। सेमी कंडक्टर डोमेन के लिए चिप तैयार करने में लंबा वक़्त लगता है। इसलिए हमारा मानना है कि 18 महीनों के अंदर हम इस तरह की चिप बनाने में कामयाब हो जाएंगे।”