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अब वज़न घटाने के लिए परहेज नहीं! मुंबई के इस स्टार्टअप ने निकाला यह ख़ास तरीक़ा

अब वज़न घटाने के लिए परहेज नहीं! मुंबई के इस स्टार्टअप ने निकाला यह ख़ास तरीक़ा

Wednesday October 31, 2018 , 6 min Read

आजकल की जीवनशैली में लोग अक्सर अपने बढ़ते वज़न और ख़राब सेहत से परेशान रहते हैं और इस समस्या के लिए वे तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं। वे महंगी जिम जॉइन करते हैं; स्मार्टफ़ोन में तरह-तरह के फ़ूड लॉगिंग ऐप्स रखते हैं आदि।

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इन ऐप्स के साथ अपने खाने-पीने का हिसाब रखना इसलिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि ये ऐप्स आपकी खपत के लिए सरल मानकों का इस्तेमाल नहीं करते। मुंबई आधारित स्टार्टअप बॉन हेपती ने इस मुश्किल का हल खोज निकाला है।

मुंबई के 'बॉन हेपती' स्टार्टअप को 'टेक 30' स्टार्टअप के रूप में चुना गया है। यह वज़न घटाने और फ़िट रहने में अपनी यूज़र्स की ख़ास तरीक़े से मदद करता है। कंपनी का मानना है कि मार्केट में मौजूद अन्य ऐप्स आपको बहुत से परहेज करने के लिए कहते हैं और इसके अलावा उनके सुझाव भी उपभोक्ताओं को काफ़ी जटिल मालूम पड़ते हैं, लेकिन बॉन हेपती अपने उपभोक्ताओं को उनकी मर्ज़ी के व्यंजन खाने से नहीं रोकता।

आजकल की जीवनशैली में लोग अक्सर अपने बढ़ते वज़न और ख़राब सेहत से परेशान रहते हैं और इस समस्या के लिए वे तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं। वे महंगी जिम जॉइन करते हैं; स्मार्टफ़ोन में तरह-तरह के फ़ूड लॉगिंग ऐप्स रखते हैं आदि। इन ऐप्स के साथ अपने खाने-पीने का हिसाब रखना इसलिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि ये ऐप्स आपकी खपत के लिए सरल मानकों का इस्तेमाल नहीं करते। मुंबई आधारित स्टार्टअप बॉन हेपती ने इस मुश्किल का हल खोज निकाला है। इस स्टार्टअप ने जो ऐप विकसित किया है, उसकी मदद से उपभोक्ता बहुत ही सरल मानकों पर अपने खान-पान की मात्रा का हिसाब रख सकते हैं।

ऋषि भोजनगरवाला और प्रमित मेहता ने मिलकर 2017 में इस स्टार्टअप को लॉन्च किया था, लेकिन इसके कमर्शल ऑपरेशन्स इस साल मार्च से ही शुरू हुए हैं। इससे पहले ऋषि ज़ी नेटवर्क के साथ काम करते थे। वह बताते हैं कि उन्हें स्कवॉश खेलना पसंद था, लेकिन बढ़ते वज़न की वजह से उनका खेल प्रभावित हो रहा था। इसके बाद उन्होंने अपने प्रयासों से दो सालों में 20 किलो तक वज़न घटाया। एक मीडियाकर्मी होने के नाते वह अपनी इस उपलब्धि पर आधारित एक किताब लिखना या फ़िल्म बनाना चाहते थे, लेकिन फिर उन्हें लगा कि सभी लोगों के लिए वज़न घटाने का कोई एक फ़ॉर्म्युला नहीं हो सकता। हर आदमी की जीवनशैली अलग होती है और उन्हें उनके हिसाब से ही वज़न घटाने के तरीक़े बताने से लाभ होगा।

इस निष्कर्ष तक पहुंचने के बाद उन्होंने बॉन हेपती के आइडिया पर काम करना शुरू किया। ऋषि के साथी और को-फ़ाउंडर प्रमित मेहता बताते हैं कि उन्होंने अपने स्टार्टअप का नाम 'बॉन हेपती' इसलिए रखा क्योंकि इससे जुड़ी हर बात खान-पान के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी। ऋषि और प्रमित की पहली मुलाक़ात खाने पर ही हुई थी। हाल में, बॉन हेपती 10 लोगों की कोर टीम के साथ काम कर रहा है। स्टार्टअप शुरू करने से पहले ऋषि ज़ी नेटवर्क के साथ जुड़े थे और आईआईटी बॉम्बे से ग्रैजुएट प्रमीत केपीआईटी टेक्नॉलजीज़ में बतौर सीनियर रिसर्च असोसिएट काम कर रहे थे।

बॉन हेपती के फ़ाउंडर्स बताते हैं कि यह एक डेटा कलेक्शन प्लेटफ़ॉर्म है। शुरुआत में फ़ाउंडर्स ने अपने निजी शोध की बदौलत 70 फ़ूड आइटम्स की लिस्ट तैयार की थी और आज की तारीख़ में इस प्लेटफ़ॉर्म पर 15 हज़ार फ़ूड आइटम्स की लिस्ट मौजूद है, जिसे यूज़र्स द्वारा उपलब्ध जानकारियों की मदद से तैयार किया गया है। ऋषि का कहना है कि ज़ाहिर तौर पर उनका प्लेटफ़ॉर्म दुनिया का सबसे बड़ा फ़ूड डेटाबेस प्लेटफ़ॉर्म नहीं है, लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि भारतीय परिदृश्य को देखते हुए बॉन हेपती देश का सबसे बेहतरीन फ़ूड डेटाबेस प्लेटफ़ॉर्म है।

ऐप पर रजिस्टर कराने के दौरान यूज़र को बताना होता है कि उसे वज़न घटाना है या बढ़ाना है या फिर उन्हें सिर्फ़ अपने वज़न का संतुलन बनाकर रखना है। इसके अलावा उपभोक्ता यह भी बताता है कि आमतौर पर वह किस तरह का खान-पान लेता है, जैसे कि पंजाबी, बंगाली या फिर फ़्रेंच आदि। साथ-साथ उपभोक्ता को अपनी लंबाई, वज़न और जीवनशैली से संबंधित जानकारियां भी दर्ज करानी होती हैं।

बॉन हेपती के प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी जानकारियां दर्ज कराने के बाद उसे एक आइडियल बीएमआई उपलब्ध कराया जाता है। कोई भी खाना खाने से पहले उपभोक्ता प्लेटफ़ॉर्म पर उसकी जानकारी देता है और इसके बाद फ़ूड आइटम को रेटिंग दी जाती है कि वह उपभोक्ता के लिए कितना उपयुक्त है। रेटिंग के आधारत ऐप उपभोक्ता को बताता है कि उसे अपने खाने के साथ क्या अतिरिक्त लेना चाहिए या फिर क्या चीज़ कम कर देनी चाहिए। ऐप निर्धारित करता है कि यूज़र को एक दिन में कितनी कैलोरीज़ का सेवन करना चाहिए। कंपनी का दावा है कि अभी तक उनका प्लेटफ़ॉर्म वज़न घटाने में 6 हज़ार लोगों की मदद कर चुका है। प्रमित कहते हैं कि बॉन हेपती अपने यूज़र्स को आवश्यकता से अधिक परहेज करने के सलाह नहीं देता।

बॉन हेपती न सिर्फ़ आपके खान-पान का ब्यौरा रखता है, बल्कि आपके व्यवहार को भी बारीक़ी से परखता है। उदाहरण के तौर पर अगर यूज़र ने तीन दिनों तक ऐप में कोई जानकारी नहीं दर्ज की, तो ऐप पता लगाता है कि कहीं वीकेंड के दौरान तो ऐसा नहीं हुआ। इतना ही नहीं, अगर यूज़र ने ऐप के सुझाव नहीं माने तो उन्हें पैदल चलने की सलाह दी जाती है। यूज़र ऐप के चैट फ़ीचर पर अपने मील आदि से जुड़ी जानकारियां या फिर अपने वज़न को घटाने-बढ़ाने की कहानियां भी साझा कर सकते हैं।

कंपनी की योजना है कि भविष्य में वे अपने यूज़र्स को इनसेन्टिव भी मुहैरा कराएं। ऋषि ने जानकारी दी कि कंपनी जल्द ही ऑनलाइन स्टोर खोलने की भी योजना बना रही है। इनसेन्टिव पॉलिसी के संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि अगर यूज़र कुछ दूर पैदल चलता है तो उन्हें स्टोर पर डिस्काउंट दिया जाएगा।

लॉन्च के बाद से अभी तक बॉन हेपती को 1.1 लाख डाउनलोड्स मिल चुके हैं। साथ ही, अभी तक 20 हज़ार उपभोक्ताओं ने ऐप में 2 मिलियन मील्स का सहयोग किया है। कंपनी को निवेशकों से 2.4 करोड़ रुपए तक का निवेश मिल चुका है। इस निवेश में दोस्तों और परिवार के साथ-साथ ऐंजल इनवेस्टर्स का सहयोग है। कंपनी का दावा है कि ऐप का फ़्री वर्ज़न इस्तेमाल करते हुए 5 हज़ार उपभोक्ताओं ने 5 किलो तक वज़न घटाया, वहीं 1 हज़ार लोगों ने 11 किलो तक वज़न कम किया है।

ऐप का प्रीमियम वर्ज़न भी उपलब्ध है, जिसमें यूज़र विशेषज्ञों से सीधे सलाह ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस वर्ज़न में महिलाओं के लिए विशेष प्रोग्राम्स और आपके घर तक स्नैक्स की डिलिवरी तक की सुविधाएं भी मौजूद हैं। अपनी प्रीमियम सुविधाओं के लिए बॉन हेपती, यूज़र्स से सालाना 1 हज़ार रुपए तक चार्ज करता है। कंपनी ने कई फ़ूड कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर रखी है और उनकी योजना है कि फ़ार्मा कंपनियों के साथ भी संपर्क बनाया जाए। इसके अलावा बॉन हेपती ने दैनिक भास्कर मीडिया समूह के साथ भी करार कर रखा है और समूह के पास बॉन हेपती द्वारा तैयार किया गया फ़िटनेस ऐप है। फ़ाउंडर्स का दावा है कि उनके प्लेटफ़ॉर्म को साप्ताहिक तौर पर 5 हज़ार ऐक्टिव यूज़र्स के साथ-साथ दैनिक भास्कर के 4 हज़ार यूज़र्स मिलते हैं। हर महीने ऐप को 3 हज़ार ऑर्गेनिक साइन-अप्स मिलते हैं।

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