…ताकि ‘भारत’ भी बढ़ सके ‘इंडिया’ के साथ-साथ
ई-कॉमर्स को ग्रामीण भारत तक ले जाने की कोशिश
पिछले 5-6 सालों में भारत में ई-कॉमर्स का बहुत तेजी से विकास हुआ है, लेकिन ये ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब नहीं हो पाया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ई-कॉमर्स के क्षेत्र में सही मायने में विकास तब होगा जब इसमें ग्रामीण इलाकों की भागीदारी भी दिखने लगेगी।
फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और अमेजन जैसी यूनिकॉर्न्स जहां ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही हैं, वहीं आईपे, स्टोरकिंग और इनथ्री जैसे ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों पर ही फोकस कर रहे हैं।
इनथ्री के कंज्यूमर फेसिंग प्लेटफॉर्म बूनबॉक्स दुकानदारों को ग्रामीण बाजारों में प्रवेश के लिए एक वाहन के तौर पर काम करता है। यह विभिन्न उत्पादों के लिए मांग समुच्चय करने के बाद व्यापारी को ऑर्डर देता है। बूनबॉक्स इनथ्री की सहयोगी संस्था है और इसे हाल ही में तमिलनाडु और कर्नाटक के चुनिंदा जिलों में शुरू किया गया है।
कंपनी का नेटवर्क ऐसा है कि ये दूरदराज के इलाकों में सब से अधिक दूर कस्बों और गांवों तक पहुंचने में सक्षम बनाता है और बड़ी संख्या में मौजूद ग्रामीण ग्राहकों के लिए उत्पादों और सेवाओं को वितरित करता है। यह ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्राहकों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने की कोशिश करता है, इसके लिए वितरण के अपने पिछले अनुभवों और ग्रामीण बाजारों में काम करने में विशेषज्ञता का इस्तेमाल करता है।
इनथ्री भारतीय पीटर ड्रकर से प्रेरित है
उभरते उद्यमी जहां स्टीव जॉब्स, जैक मा, सचिन बंसल और कुणाल बहल जैसी हस्तियों से प्रेरणा लेते हैं, वहीं इनथ्री के संस्थापक आर. रामानाथन दिवंगत डॉ सी के प्रह्लाद से प्रेरित हैं। उनसे एक मुलाकात ने इनथ्री को ग्रामीण बाजार में ले जाने को प्रेरित किया।
प्रह्लाद मिशिगन यूनिवर्सिटी में प्रबंधन के प्रोफेसर थे और वो भारत के पीटर ड्रकर के तौर पर माने जाते थे। अपने शुरुआती करियर में रामानाथन ने आरपीजी, आईसीआईसीआई और टीवीएस ग्रुप्स में वरिष्ठ प्रबंधन के पदों पर काम किया था।
इनथ्री के शुरुआती दिन
शुरुआत में इनथ्री ने ग्रामीण विपणन बाजार में सलाहकार का काम किया क्योंकि इसके पास वितरण में उतरने के लिए पूंजी नहीं थी। रानाथन बताते हैं, 'हमने भारत में फिलिप्स के लिए बिना धुआं वाले चूल्हे को लॉन्च किया और हमने यूरेका फोर्ब्स, नोकिया, टाइटन इंडस्ट्रीज और हेंज फाउंडेशन जैसी कंपनियों के लिए सलाहकार का काम भी किया।'
2011 के आखिर तक कंपनी ने तमिलनाडु के कुछ चुनिंदा डाक घरों के जरिए सोलर लैंप की बिक्री शुरू की और जब इस उत्पाद की अप्रत्याशित मांग बढ़ी तो इसे पहले पूरे तमिलनाडु में बेचना शुरू किया और फिर इसकी बिक्री कर्नाटक तक फैलाई गई। रामानाथन आगे बताते हैं, 'हमने फिर गैर-सरकारी संगठनों और एग्री बोर्ड्स सरीखे विभिन्न गैर-पारंपरिक चैनल्स के साथ काम करना शुरू किया तथा ग्रामीण इलाकों के पचास लाख ग्राहकों को विभिन्न प्रकार के उत्पादों के 7,00,000 यूनिट बेच डाले।'
ई-कॉमर्स ग्रामीण इलाकों में जीवनशैली उन्नत कर सकता है
रामानाथन कहते हैं, 'सोलर लैंप्स की बिक्री में अच्छी कामयाबी के बावजूद, हम समझते हैं कि ग्रामीण इलाकों के ग्राहक आकांक्षापूर्ण होते हैं और हमने अपने कारोबार को ग्रामीण ग्राहकों को उनकी पसंद की चीजें प्रदान कराने के लिए ई-कॉमर्स में ढाल लिया है।'
इनथ्री और बूनबॉक्स को इस सोच के साथ ही बाजार में उतारा गया है क्योंकि ज्यादातर बाजार महनागरों और शहरी इलाकों पर ध्यान केंद्रित कर ही कारोबार करते हैं, इससे भारत का एक बड़ा ग्रामीण हिस्सा इन उत्पादों को इस्तेमाल करने से महरूम रह जाता है जो उनकी जीवन और जीवनशैली को उन्नत कर सकता है।
कारोबारियों के लिए बूनबॉक्स कैसे काम करता है?
दुकानदारों के लिए बूनबॉक्स ग्रामीण बाजार में अपना पैर जमाने के लिए एक बेहतरीन मंच है। इनथ्री विभिन्न उत्पादों की मांग को एकत्रित करता है और फिर इसे दुकानदारों को दे देता है। फिलहाल, इसकी मौजूदगी तमिलनाडु और कर्नाटक के हर जिले में है, हाल ही में सने आंध्र प्रदेश के मार्केट में भी एंट्री मारी है।
इनथ्री द्वारा जिन उत्पादों को जमा किया जाता है, वो गुणवत्ता की जांच के लिए कंपनी के वेयरहाउस के माध्यम से जाता है। यहीं पर इसे ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए पैक भी किया जाता है।
ट्रैक्शन और राजस्व
अब तक इनथ्री सोलर लैंप्स और वाटर प्यूरीफायर समेत दूसरे उत्पादों की कुल 7,00,000 से ज्यादा यूनिट की बिक्री कर चुका है। यह उद्यम कई वर्षों तक फायदे में रहा है और अगस्त, 2014 में इसने इंडियन एंजेल नेटवर्क (आईएएन) से फंड हासिल किया।
50 करोड़ रुपये से ज्यादा के जीएमवी और 2 करोड़ रुपये के कुल मुनाफे के बाद ही हाल के समय तक कंपनी के कारोबार को आंतरिक स्रोतों से ही फंड किया जा रहा था।
प्रमुख चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
चुनौतियों के बारे में रामानाथन का कहना है, 'ग्रामीण क्षेत्र में कारोबार के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में शामिल हैं, वाजिब कीमत पर ग्राहकों का अर्जन, इंटरनेट तक पहुंच में कमी, क्रेडिट कार्ड की कमी और आखिर तक की कनेक्टिविटी।'
फिलहाल, इनथ्री 40 लोगों की एक टीम है, जो अगले एक साल तक बढ़कर 100 लोगों के होने की उम्मीद है। चुनौतियों का जिक्र करते हुए रामानाथन ये कहते हुए अपनी बात खत्म करते हैं कि बूनबॉक्स ग्रामीण ई-कॉमर्स बाजार में अगुवा की भूमिका निभाने की उम्मीद करता है। हमलोग उत्पादों की संख्या बढ़ाएंगे और अब उत्तर भारत के राज्यों में भी अपना कारोबार ले जाएंगे।
योर स्टोरी की राय
संगठित खुदरा कारोबार में आसानी से सामान मिलने और विकल्पों की कमी की वजह से ही भारत में ई-कॉमर्स का कारोबार फल-फूल रहा है। अभी की बात करें, तो ग्रामीण भारत संगठित खुदरा कारोबार से अछूता है, यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में ई-कॉमर्स की सफलता की ज्यादा उम्मीद है। हालांकि, सप्लाई चेन और आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी कुछ ऐसी बाधाएं हैं जो इसके लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं। लेकिन इनथ्री, आईपे और स्टोरकिंग जैसे कुछ स्टार्टअप्स ने दक्षिण भारत में इन बाधाओं को दूर करने में कामयाबी हासिल की है।
ऐसे में जब सरकार ने हर गांव को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की मुहिम शुरू की है, ग्रामीण इलाकों में ई-कॉमर्स का भविष्य काफी उज्जवल दिख रहा है। भविष्य में ये देखना बेहद दिलचस्प होगा कि ये स्टार्टअप्स भारत के उत्तर और दूसरे हिस्सों में किस तरह का प्रदर्शन करते हैं।