भिखारी की शक्ल में घूम रहा वृद्ध निकला करोड़पति, आधार कार्ड की मदद से वापस पहुंचा अपने घर
सड़क पर फटेहाल दशा में रोटी के लिए भीख मांगते एक बुजुर्ग शख्स पर जब स्वामी भास्कर की नजर पड़ी तो उसको आश्रम में ले आए।
फटेहाल भिखारी की शक्ल में वृद्ध की जेब से मिले आधारकार्ड के सहारे संपर्क करने पर पता चला कि वह बुजुर्ग तमिलनाडु का करोड़पति व्यापारी है।
पिता के मिलने की खबर पाकर बेटी गीता तमिलनाडु से फ्लाइट द्वारा लखनऊ पहुंची। लखनऊ से टैक्सी बुक करके रालपुर पहुंची जहां उसने अपने पिता को पहचानकर उनसे खुशी में लिपट गयी।
किसी के गुम हो जाने पर दोबारा मिलने की कहानियां हमेशा ही दिलचस्प होती हैं। हालांकि ऐसा कम ही होता है कि गुम हो गए लोगों की देखभाल कोई इंसान अच्छे से कर रहा हो। भारत विविधताओं से भरा देश है, लेकिन यही विविधता कई बार हालात को मुश्किल भी कर देती है। भाषा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। दरअसल तमिलनाडु राज्य का रहने वाला एक वृद्ध व्यक्ति भटकते हुए उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में जा पहुंचा। लेकिन एक दूसरे की भाषा न समझ पाने के कारण उसे वापस घर भेजने में 6 महीने लग गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वृद्ध को वापस उसके घरवालों से मिलवाने में आधार कार्ड ने बड़ी भूमिका निभाई।
ये कहानी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे रायबरेली जिले के रालपुर कस्बे की है। इंडिया टाइम्स के मुताबिक सड़क पर फटेहाल दशा में रोटी के लिए भीख मांगते एक बुजुर्ग शख्स पर जब लालगंज तहसील के रालपुर के अनंगपुरम स्कूल के स्वामी भास्कर स्वरूप जी महराज की नजर पड़ी तो उसको आश्रम में ले आए। स्वामी के सेवकों द्वारा भिखारी को नहलाने-धुलाने के बाद उसके कपड़ों को तलाशी ली गयी सब लोग चौंक गये। उसके जेब में आधारकार्ड के साथ एक करोड़ छह लाख 92 हजार 731 रूपये के एफडी के कागजात भी बरामद मिले। लेकिन भाषा समझ में आने के कारण उनके बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा था।
पुलिस को भी मदद के लिए बुलाया गया, लेकिन यूपी पुलिस ने उसे भिखारी समझ के समय न व्यर्थ करने की नसीहत दे डाली। फटेहाल भिखारी की शक्ल में वृद्ध की जेब से मिले आधारकार्ड के सहारे संपर्क करने पर पता चला कि वह बुजुर्ग तमिलनाडु का करोड़पति व्यापारी है। स्वामी जी के द्वारा कागज से मिले पते पर सूचना दी गयी तो उसकी पुत्री रालपुर पहुंची और अपने पिता को साथ ले गयी। स्वामी सूर्य प्रबोध इंटर कालेज अनंगपुरम के संस्थापक स्वामी भास्कर स्वरूप जी महराज ने बताया कि बीते 13 दिसंबर को एक पागल टाइप का व्यक्ति स्कूल परिसर मे आया और भोजन के लिये कातरभाव से देखने लगा। भूखा व परेशान समझकर उसे खाने पीने को दिया गया। तब जाकर वो व्यक्ति कुछ देर के बाद सामान्य हालत मे दिखाई पड़ा तो उसके नाई से बाल कटवाकर जब नहलाया धुलाया गया तो अचानक वो सभी से भली भांति बातचीत करने लगा।
स्वामी ने बताया कि उसके पुराने कपडे उतरवाकर धुले कपड़े दिये गये और जब पुराने कपडो की तलासी ली गयी तो उससे आधार कार्ड सहित एक करोड़ छह लाख 92 हजार 731 रूपये के एफडी के कागजात भी बरामद हुये। उसके पास से एक छह इंच लम्बी तिजोरी की चाबी भी बरामद हुयी है। स्वामी ने बताया कि उसके पास से मिले आधार कार्ड से उसकी पहचान मुथैया नादर पुत्र सोलोमन पता-240 बी नार्थ थेरू, तिरूनेलवेली तमिलनाडु, 627152 के रूप में हुई। कागजातों मे उसके घर के फोन नंबर भी थे।
फोन पर जब सम्पर्क किया गया तो उसके घरवालों ने बताया कि वे लोग मुथैया नाडर को जगह जगह ढूंढ रहे है। पिता के मिलने की खबर पाकर बेटी गीता तमिलनाडु से फ्लाइट द्वारा लखनऊ पहुंची। लखनऊ से टैक्सी बुक करके रालपुर पहुंची जहां उसने अपने पिता को पहचानकर उनसे खुशी में लिपट गयी। स्वामी जी को पिता से मिलाने के लिए आभार देने के साथ आश्रम के सभी कर्मचारियों के प्रति आभार जताया। गीता अपने पिता को हवाई जहाज से तमिलनाडु ले गयी।
मुथैया नाडर की पुत्री गीता ने बताया कि उसके पिता 5-6 माह पहले रेल यात्रा के दौरान गुम हो गये थे। शायद जहरखुरानी के शिकार होकर पागल व भिखारी की हालत मे इधर उधर घूम रहे थे। वो तो स्वामी जी की निगाह पड़ गयी जो कि एक बदहाली की हालत मे घूम रहा करोड़पति अपने परिवार व परिजनों के पास पहुंच सका। बुजुर्ग की पुत्री गीता ने स्वामीजी के इस परोपकारी कृत्य की सराहना की है। क्षेत्र के लोग भी स्वामी जी की सराहना कर रहे है। वहीं स्वामीजी ने पुलिस व सरकारी महकमे से यह भी अपील की है कि क्षेत्र मे घूम रहे पागल व भिखारी किस्म के लोगों की जांच पड़ताल की जाये जिससे वे अपने सही ठिकाने पर पहुंच सके।
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