39 की उम्र में शुरू किया अपना बिजनेस, आज 600 करोड़ रुपए का टर्नओवर
वो औरत जिनके डिज़ाइन किये कपड़े आज लाखों भारतीय महिलाओं की आलमारियों में मिलेंगे...
80 के दशक के आखिर में, मीना बिंद्रा ने मुंबई में अपने घर में एक पंजाबी सूट बनाया। मीना बताती हैं कि उनके पास सिर्फ 8 हजार रुपए थे। उन्होंने कैब बुक करी और फैब्रिक लेने थोक मार्केट पहुंची। उन्हें फैब्रिक, टेलर और एक ब्लॉक प्रिंटर की जरूरत थी।
शायद उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि लाखों भारतीय महिलाओं की अलमारियों में उनके डिजाइन किए हुए कपड़े मौजूद होंगे।
अपने पैशन से प्यार रखने वाले लोगों को मीना सलाह देती हैं कि अगर आपके अंदर जुनून है और आप उससे प्यार करते हैं तो बस उसके पीछे लग जाइए।
जब कोई अपने जुनून को ही अपना पेशा बना लेता है, तब शायद सफलता उस शख्स के लिए छोटी चीज हो जाती है। हम बात कर रहे हैं इंडियन एथनिक क्लॉथिंग ब्रैंड 'बीबा' की। बीबा अपेयरल्स प्राइवेट लिमिटेड की फाउंडर मीना बिंद्रा एक डिजाइनर हैं। मीना ने बतौर ऑन्त्रप्रन्योर अपने काम की शुरूआत अपने घर से की थी और आज उनके ब्रैंड का टर्नओवर करीब 600 करोड़ रुपए है। 'बीबा' पंजाबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब एक खूबसूरत महिला से होता है। बीबा एक विमिन क्लॉथिंग ब्रैंड है, जो महिलाओं के लिए एथनिक कलेक्शन की वैराइटी पेश करता है।
जब मीना ने डिजाइनिंग के अपने पैशन को एक कंपनी का रूप देने का फैसला किया, तब उनकी उम्र थी 39 साल। उम्र के इस पड़ाव पर लीक से हटकर अपने करियर के साथ इतना जोखिम लेने का जज्बा कम ही देखने को मिलता है। उन्होंने अपने काम की शुरूआत महज 8 हजार रुपए के निवेश से की थी, जो उन्होंने बैंक से लोन के तौर पर लिए थे।
मीना ने फैब्रिक्स और डिजाइन्स के साथ प्रयोग करना शुरू किया। शुरूआत में ग्राहक उनकी तरफ आकर्षित नहीं हुए। रेडीमेड क्लॉथिंग, कोई घर पर किया जा सकने वाला काम नहीं था। मॉल्स और बड़े ब्रैंडेड स्टोर्स से खरीदारी करने का जो कल्चर आज है, वह भी उस वक्त तक इतना लोकप्रिय नहीं था। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए मीना बताती हैं कि उनके पास सिर्फ 8 हजार रुपए थे। उन्होंने कैब बुक करी और फैब्रिक लेने थोक मार्केट पहुंची। उन्हें फैब्रिक, टेलर और एक ब्लॉक प्रिंटर की जरूरत थी।
उन्होंने बताया कि अलग-अलग साइज (S, M और L) में उन्होंने 40 पीस बनाए और हर एक को 170 रुपए में बेचा। अपनी इस पहली बिक्री से उन्हें 3000 रुपए का मुनाफा हुआ। मीना कहती हैं कि उनके लिए उस वक्त यह राशि बहुत बड़ी थी। 80 के दशक के आखिर में, मीना बिंद्रा ने मुंबई में अपने घर में एक पंजाबी सूट बनाया। शायद उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि लाखों भारतीय महिलाओं की अलमारियों में उनके डिजाइन किए हुए कपड़े मौजूद होंगे।
मीना कहती हैं कि उन्होंने डिजाइनिंग, एक हॉबी के तौर पर शुरू की थी, जिससे वह अपने आम खर्चे पूरे कर सकें। वह खुद मानती हैं कि उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि एक दिन उनका खुद का बिजनस होगा। अपने पैशन से प्यार रखने वाले लोगों को मीना सलाह देती हैं कि अगर आपके अंदर जुनून है और आप उससे प्यार करते हैं तो बस उसके पीछे लग जाइए।
जिंदगी और किस्मत ने मीना को कई मौके दिए और उन्होंने हर मौके को भुनाया। ऐसा ही मौका था, जब बिजनसमैन किशोर भिवानी उनके ब्रैंड के पास ‘न तुम जानो न हम’ फिल्म के लिए पार्टनरशिप का ऑफर लेकर आए। भिवानी का ऑफर था कि ब्रैंड, सेलिब्रिटीज के लिए कॉस्ट्यूम्स उपलब्ध कराए। यही मौका था, जिसके बाद बीबा ब्रैंड काफी लोकप्रिय हो गया। इसके बाद ब्रैंड को 'बागबान' और 'देवदास' जैसी बड़ी फिल्मों का भी कॉन्ट्रैक्ट मिला।
घर से शुरू हुई इस कंपनी का पहला ऑफिशल स्टोर 90 के दशक के शुरूआती दौर में खुला। यह स्टोर मुंबई के इनऑर्बिट मॉल में खुला। फिलहाल पूरे देश के 76 शहरों में ब्रैंड के 192 शोरूम्स हैं और 250 शॉप-इन-शॉप मॉडल्स हैं। अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के मुताबिक कंपनी का सालाना टर्नओवर 600 करोड़ रुपए से भी अधिक है। मीना अपने ब्रैंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना चाहती हैं। कंपनी लंदन और दुबई में भी अपने एक्सक्लूसिव स्टोर्स खोलने की योजना बना रही है।
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