वो 7 बड़े सेक्टर जहां काम आती है फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी (FinTech)
यहां हम बता रहे हैं कि 21वीं सदी की ये उभरती टेक्नोलॉजी ग्राहकों को अत्यधिक सेवाएं और सुविधाएं देने के लिए किन-किन सेक्टर्स में काम कर रही है.
फिनटेक स्टार्टअप डिजिटल टेक्नोलॉजी और फाइनेंशियल सर्विसेज को जोड़कर लगातार अपने इनोवेशंस के जरिए नई-नई सेवाएं देकर ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. और इसमें उन्हें काफी सफलता भी मिली है. इसी सफलता के चलते दुनियाभर के इन्वेस्टर इस इंडस्ट्री में खूब पैसा लगा रहे हैं. भारत में भी फिनटेक स्टार्टअप्स पर कुबेर की कृपा रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी/फिनटेक (FinTech) मुख्यत: किन-किन सेक्टर्स में काम में आती है?
यहां हम बता रहे हैं कि 21वीं सदी की ये उभरती टेक्नोलॉजी ग्राहकों को अत्यधिक सेवाएं और सुविधाएं देने के लिए किन-किन सेक्टर्स में काम कर रही है.
बैंकिंग
मोबाइल बैंकिंग फिनटेक इंडस्ट्री का एक बड़ा हिस्सा है। पर्सनल फाइनेंस की दुनिया में, उपभोक्ताओं ने तेजी से अपने बैंक खातों तक आसान डिजिटल पहुंच की मांग की है, खासकर मोबाइल डिवाइस पर। अधिकांश प्रमुख बैंक मोबाइल बैंकिंग सुविधा दे रहे हैं। फिनटेक की बड़ी देन है कि अब डिजिटल-फर्स्ट बैंक या "नियोबैंक" तेजी से रफ्तार पकड़ रहे हैं.
नियोबैंक बिना किसी भौतिक शाखा के काम करते हैं. ये बैंक ग्राहकों को पूरी तरह से मोबाइल और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर चेकिंग, सेविंग, पेमेंट सर्विसेज और लोन आदि सेवाएं दे रहे हैं। भारत में काम करने वाले प्रमुख नियोबैंक हैं —
, , , , RazorpayXपेमेंट
आज के दौर में आप हर रोज ये जरूर सुनते होंगे - मैं पैसे
कर दूंगा, GooglePay कर दूंगा, या कर दूंगा. दरअसल, ये पेमेंट ट्रांसफर करने वाली ऐप्स हैं. इन पेमेंट कंपनियों ने हम सभी के व्यापार करने के तरीके को बदल दिया है. दुनिया में कहीं भी डिजिटल रूप से पैसा भेजना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है.इन्वेस्टमेंट और सेविंग
फिनटेक ने हाल के वर्षों में इन्वेस्टमेंट और सेविंग्स ऐप्स की संख्या में ग़जब की बढ़ोतरी देखी है. लगातार बढ़ते खर्चों के इस जमाने में, सभी के लिए न केवल सभी आय और खर्चों पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है, बल्कि उन सभी निवेशों पर भी नज़र रखना जरूरी है जो बेहतर मनी मैनेजमेंट में मदद करेंगे. लेकिन जैसा कि भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में आय और खर्च को ट्रैक करने का समय किसी के भी पास नहीं है. और यहीं काम आती है इन्वेस्टमेंट और सेविंग्स ऐप्स. ये ऐप्स हमारी आय, खर्च और हमारे द्वारा किए गए निवेश का पूरा हिसाब-किताब रखती हैं.
इंश्योरेंस
जबकि इंश्योरटेक तेजी से अपने आप में एक बड़ी इंडस्ट्री बनता जा रहा है, फिर भी यह फिनटेक की छत्रछाया में आता है। इंश्योरेंस सेक्टर में टेक्नोलॉजी बेहद अहम भुमिका निभाने लगी है, और कई फिनटेक स्टार्टअप प्रक्रियाओं को ऑटोमेट करने और कवरेज का विस्तार करने में मदद करने के लिए पारंपरिक बीमा कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं. मोबाइल, कार, आदि के इंश्योरेंस से लेकर हेल्थ इंश्योरेंस तक, यह इंडस्ट्री आए दिन नए-नए इनोवेशंस देख रही है.
लेंडिंग (उधार देना)
फिनटेक जोखिम मूल्यांकन को सुव्यवस्थित करके, अप्रुवल प्रक्रियाओं में तेजी लाकर और पहुंच को आसान बनाकर क्रेडिट में भी बदलाव कर रहा है। दुनिया भर में अरबों लोग अब अपने मोबाइल डिवाइसेज पर लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं, और नए डेटा पॉइंट्स और रिस्क मॉडलिंग क्षमताएं कम सेवा वाली आबादी के लिए क्रेडिट का विस्तार कर रही हैं। इसके अतिरिक्त, उपभोक्ता अपने स्कोर को कम किए बिना साल में कई बार क्रेडिट रिपोर्ट का अनुरोध कर सकते हैं, जिससे उधार देने वाली दुनिया का पूरा बैकएंड सभी के लिए अधिक पारदर्शी हो जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन
फिनटेक ने ही क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन को जन्म दिया है. ब्लॉकचेन वह तकनीक है जो क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग और मार्केटप्लेस को मौजूद रहने की अनुमति देती है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी तकनीक में प्रगति को ब्लॉकचेन और फिनटेक दोनों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
हालांकि, कभी-कभी ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी को फिनटेक के दायरे से बाहर भी माना जाता है.
,InstaDapp, , Matic Network, , , , आदि कुछ नामचीन स्टार्टअप्स हैं जो भारत में ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी सेक्टर में काम कर रहे हैं.मशीन लर्निंग और ट्रेडिंग
मार्केट की भविष्यवाणी कर पाना या यह अनुमान लगाने में सक्षम होना कि मार्केट क्या रुख लेगा, किसी के लिए भी चमत्कारी है. अरबों डॉलर की इंडस्ट्री में, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मशीन लर्निंग ने फिनटेक में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस AI-सबसेट की शक्ति प्रवृत्तियों और जोखिमों को पहचानने के लिए डिज़ाइन किए गए एल्गोरिदम के माध्यम से भारी मात्रा में डेटा चलाने की क्षमता में निहित है, जिससे उपभोक्ताओं, कंपनियों, बैंकों और अतिरिक्त संगठनों को पहले निवेश और खरीद जोखिमों की अधिक सूचित समझ हो सके।