25 दिनों में 100 सीसी बाइक से नाप दिए यूपी के 75 ज़िले, एशिया बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स ने दिया 'ग्रैंडमास्टर' का ख़िताब
जून की तपती गर्मी, ऊबर-खाबड़ रास्ते, 25 दिनों की समय-सीमा और उत्तर प्रदेश के 75 ज़िले। अगर कानपुर के रहने वाले विकास सिंह चौहान के अनूठे रेकॉर्ड को कम से कम शब्दों में बयान करना हो तो इतना काफ़ी है, लेकिन इन 25 दिनों में विकास के असाधारण जज़्बे और लक्ष्य को पाने के रास्ते में आई चुनौतियों की कहानी बेहद चिलचस्प है।
आपको बता दें कानपुर के रहने वाले 25 वर्षीय विकास सिंह चौहान ऐसे पहले शख़्स हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के सभी 75 ज़िलों से गुज़रते हुए 25 दिनों में 5278 किमी की दूरी अपनी 100 सीसी बाइक से तय की। विकास के इस रेकॉर्ड को एशिया बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है और विकास को उनकी इस उपलब्धि हेतु सम्मानित भी किया जा चुका है। एशिया बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स की ओर से विकास को 'ग्रैंडमास्टर' का ख़िताब दिया गया है। इंडिया बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश भारत के भूभाग के 7.33 प्रतिशत हिस्से के बराबर है।
कैसे हुई शुरुआत?
विकास ने योर स्टोरी को बताया,
"मैं हमेशा से ही चाहता था कि ऐसी कोई उपलब्धि हो, जिसे पाने वालों में मेरा नाम शीर्ष पर हो। मुझे घूमने का शौक़ है और इसलिए मैं नई-नई रोमांचक जगहों के बारे में पढ़ता रहता हूं। साथ ही, मैं तरह-तरह के रेकॉर्ड्स बनाने वाले जुनूनी लोगों के बारे में जानकारी हासिल करता रहता हूं। इस शोध के दौरान ही मेरे ज़हन में अपने प्रदेश के सभी ज़िलों को बाइक से घूमने का ख़्याल आया और मैंने पाया कि इस तरह का काम पहले किसी ने नहीं किया है।"
विकास बताते हैं कि इसके बाद से उन्होंने अपनी इस रेकॉर्ड यात्रा को अंजाम देने के लिए मेहनत शुरू कर दी। विकास ने 23 मार्च, 2019 से लेकर 16 अप्रैल, 2019 तक लगातार यात्रा की। उन्होंने बताया कि वह रोज़ाना औसत रूप से 250-300 किमी. की दूरी तय करते थे और इसके लिए उनको रोज़ 8-10 घंटे गाड़ी चलानी होती थी।
अपने अनुभवों को साझा करने के दौरान विकास हंसते हुए कहते हैं,
"इतनी लंबी यात्रा के दौरान आपको हर कहीं तो सड़क अच्छी नहीं मिल सकती और साथ ही, गर्मी का मौसम जब इतना मेहरबान हो तो यात्रा जारी रखने की प्रेरणा देने के लिए आपकी आत्मशक्ति को और भी मज़बूत होना पड़ता है। "
11 साल पुरानी बाइक से बनाया यह रेकॉर्ड!
विकास बताते हैं कि उनके इस रेकॉर्ड की एक और ख़ास बात यह है कि उन्होंने 12 साल पुरानी बाइक से यह उपलब्धि हासिल की है। इतना ही नहीं, वह बताते हैं कि उन्होंने पहले इस बाइक की मरम्मत करना सीखा ताकि अगर सफ़र में कहीं कोई दिक्कत आ जाए तो वह ख़ुद ही उसका समाधान खोज सकें।
विकास कहते हैं कि सफ़र में सिर्फ़ मुश्क़िलों से ही नहीं, कई दिलचस्प वाक़यों से भी उनका सामना हुआ। सफ़र के दौरान हुईं अप्रत्याशित और रोचक घटनाओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया,
"फ़ोन का चार्जर घर पर भूलने से लेकर, अनजान दुकान में लैपटॉप भूलने जैसी कई घटनाएं हुईं। कई बार तो मुझे लगा कि मेरा काफ़ी समय इन सब कामों में खर्च हो जा रहा है और शायद अब मुझे वापस लौट जाना चाहिए, लेकिन हर बार मैंने ख़ुद को हिम्मत बंधाई और आगे बढ़ा। कहते हैं न कि बहादुर लोगों का भाग्य भी साथ देता है। ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ।"
विकास आगे कहते हैं,
"रास्ते में साक्ष्य जुटाने के दौरान मुझे स्थानीय लोगों से भी बात करनी होती थी, लेकिन छोटी जगहों पर लोग इन सब बातों को ढंग से समझ नहीं पाते और साथ ही, वे झिझकते भी हैं। जब मेरी यात्रा को थोड़ा समय बीत गया और अख़बारों-सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को मेरे बारे में पता चलने लगा, तब लोगों ने मेरा सहयोग करना शुरू किया।"
रेकॉर्ड की पुष्टि के लिए कैसे जुटाए रेकॉर्ड्स?
अपनी यात्रा शुरू करने से पहले विकास ने रेकॉर्ड को प्रमाणित करने के लिए लगने वाले सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों और साक्ष्यों की फ़ेहरिस्त बनाई। दरअसल, पूर्व में विकास राजस्थान के भी सभी ज़िलों को अपने दोपहिया वाहन से नाप चुके हैं, लेकिन उस समय जानकारी के अभाव में वह रेकॉर्ड का दावा करने के लिए साक्ष्य नहीं जुटा पाए थे। इस बार वह ऐसी कोई ग़लती नहीं करना चाहते थे।
विकास ने जीपीएस का ट्रैक रेकॉर्ड, पेट्रोल बिल्स, पेट्रोल पंप के कर्मचारियों के साथ फ़ोटो और विडियो, खाने के बिल, हर ज़िले के दो स्थानीय लोगों के फ़ोन नंबर और विडियो साक्ष्य, हर टोल प्लाज़ा पर किसी अधिकारी या कर्मचारी के साथ प्रमाण के रूप में फ़ोटो, हर ज़िले के राजपत्रित अधिकारी की लिखित औपचारिक स्वीकृति, रास्ते में गाड़ी की सर्विस का रेकॉर्ड, होटल में प्रवेश के दौरान फ़ोटो और होटल मैनेजर का के साथ फ़ोटो और विडियो, साक्ष्य के रूप में एकत्रित किए और इसके बाद रेकॉर्ड्स के लिए दावे की पेशकश की।
इंडिया बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स, दोनों ही के द्वारा विकास के साक्ष्यों की पुष्टि की जा चुकी है और उन्हें ख़िताब से सम्मानित भी किया जा चुका है।
भविष्य की योजनाएं
अपने अगले लक्ष्य के विषय में बात करते हुए विकास ने बताया कि वह अपनी पुरानी राजदूत गाड़ी से बिहार के सभी ज़िलों का भ्रमण कर रेकॉर्ड बनाना चाहते हैं और साथ ही, उनका दूरगामी लक्ष्य है कि देश के अन्य शेष सभी राज्यों का दौरा वह अलग-अलग दोपहिया वाहनों से करें।