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बदलती सोच: छोटी सी किताबों की दुकान से 14 करोड़ का बिजनेस करने वाले Amazon.in सेलर की कहानी

बदलती सोच: छोटी सी किताबों की दुकान से 14 करोड़ का बिजनेस करने वाले Amazon.in सेलर की कहानी

Monday September 03, 2018 , 5 min Read

भारत में ऑनलाइन खरीदारी की शुरुआत किताबों से हुई थी। आज हर कोई एक क्लिक से अपनी मनपसंद किताबें मंगवाता है। किताबों को ऑनलाइन बेचना अपने आप में एक व्यापार बन गया है। हम आपको ऐसे ही एक शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जो सिर्फ Amazon.in पर किताबों के ऑनलाइन बिजनेस और अपनी मेहनत की बदौलत हर साल लगभग 15 करोड़ रुपयों का कारोबार करते हैं।

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एक वक्त था जब वह सोच भी नहीं सकते थे कि Amazon.in के जरिए वह किताबें भी बेच पायेंगे और आज वह इतना बड़ा व्यापार सिर्फ Amazon.in के जरिये ही चला रहे हैं। संकेत की कहानी दरअसल बदलती सोच का परिणाम है, जिसे Amazon.in जैसी कंपनी साकार करने का प्लेटफॉर्म मुहैया करा रही है।

पुणे में रहने वाले 30 वर्षीय संकेत राजवाड़ा किताबों के बड़े कारोबारी हैं। Amazon.in पर “VIKAS BOOK HOUSE, PUNE” के नाम से किताबों का बिजनेस करते हैं। किताबों की बिक्री का ये व्यापार दरअसल उनके पिता शांतिलाल राजवाड़ा की देन है। शांतिलाल राजवाड़ा 36 साल पहले 1982 में जब पुणे आये तो उन्होंने एक बुकशॉप में नौकरी की और फिर उन्होंने अपनी खुद की स्टेशनरी खोल ली, जहां उन्होंने किताबें भी रखनी शुरू कर दीं। अपनी ज़िंदगी में शांतिभाई ने काफी उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन सबके बावजूद उनका व्यापार अच्छा चल निकला। 

अपनी बातचीत में शांतिलाल राजवाड़ा के बेटे संकेत बताते हैं, कि दुकान में कई किताबें ऐसी होती थीं जो कहीं और नहीं मिलती थीं। इस वजह से उनकी दुकान काफी फेमस होती गई। संकेत ने भी ऐसी किताबों को दुकान में बढ़ाना शुरू किया, जो आसानी से कहीं और नहीं मिलती थीं लेकिन उनकी मांग काफी होती थी। धीरे-धीरे विकास ट्रेडर्स की पहचान उन खास किताबों की वजह से ही होने लगी, जो आमतौर पर दुर्लभ थीं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया कि ग्राहकों की संख्या गिरने लगी।

पुणे के सिंघड़ कॉलेज से बीबीए और इवेंट मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले संकेत ने यह पता लगाने की कोशिश की कि “ग्रहकों की संख्या इतनी तेजी से क्यों गिर रही है?” उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया कि अब लोग दुकानों में किताब खोजने के बजाय ऑनलाइन ही किताबों को मंगवा रहे थे।

साल 2014 की बात है, जब संकेत ने ये तय किया कि क्यों न वो भी अपने व्यापार को ऑनलाइन मार्केट में ले जाएं। संकेत ने सारी जानकारी इकट्ठा करने के बाद Amazon.in सहित कुछ और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सेलर के तौर पर खुद को रजिस्टर किया।

संकेत बताते हैं कि सिर्फ दो दिन में ही उनका रजिस्ट्रेशन हो गया। अब बारी थी साइट पर अपने सामान की डिटेल्स को अपलोड करने की। उन्हें भरोसा नहीं था कि ऑनलाइन किताबों का बिजनेस फैल पायेगा। इसलिए उन्होंने प्रायोगिक तौर पर एक ही किताब अपलोड की जो कि तीन दिन के अंदर ही बिक गई। यह किताब कोई सामान्य किताब नहीं थी और इसे खरीदने वाले काफी कम लोग थे। उन्होंने एक के बाद एक ऐसी ही किताबें साइट पर डालनी शुरू कर दीं, जिसका उन्हें काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला।

अब संकेत सोचने लगे कि जब कम बिकने वाली किताबों को लोग Amazon.in पर इतना खरीद रहे हैं तो बेस्ट सेलर्स, यानि कि लोकप्रिय किताबों को तो और अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। उनका अनुमान सही निकला और उन्हें रोजाना 20 से 30 ऑर्डर मिलने लगे। अब उन्हें Amazon.in पर बिजनेस करना समझ में आने लगा। बाकी रिटेल साइट्स पर उनका अनुभव कुछ खास नहीं रहा इसलिए उन्होंने सिर्फ Amazon.in पर अपना बिजनेस रखा और बाकी सभी साइट्स पर किताबें बेचनी बंद कर दीं। हालांकि संकेत अभी ऑनलाइन मार्केट को सिर्फ समझने की कोशिश कर रहे थे इसलिए उन्होंने अब उन किताबों को भी बेचना शुरू किया जिनकी कीमत 7-8 हजार थीं।

संकेत बताते हैं कि ये किताबें रिसर्च से जुड़ी थीं इसलिए साल भर में दुकान पर इनकी सिर्फ 6-7 कॉपियां बिकती थीं। लेकिन Amazon.in पर डालने के बाद उनके आश्चर्य का ठिकाना ही नहीं रहा। वहां आने के बाद इन किताबों की कॉपियां सिर्फ एक हफ्ते में ही 20 से 25 तक बिक रही थीं। इसके बाद संकेत ने इस बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया। उन्होंने अपनी दुकान मामाजी, मनीष खत्री के भरोसे छोड़ी और खुद ऑनलाइन कारोबार में लग गए। धीरे-धीरे संकेत अपना ऑनलाइन बिजनेस बढ़ाते गए और आज स्थिति ये है कि Amazon.in पर संकेत की विकास बुक डिपो के नाम से 10,000 किताबें लिस्टेड हैं।

बाएं संकेत राजवाड़ा अपने पिता शांतिलाल राजवाड़ा के साथ, दाएं संकेत के मामाजी मनीष खत्री बिजनेस मैनेजर कल्पेश के साथ

बाएं संकेत राजवाड़ा अपने पिता शांतिलाल राजवाड़ा के साथ, दाएं संकेत के मामाजी मनीष खत्री बिजनेस मैनेजर कल्पेश के साथ


संकेत की इस “वर्चुअल बुक शॉप” को चलाने के लिए 28 कर्मचारी भी हैं। आज उन्हें हर रोज तकरीबन 1500 ऑर्डर मिलते हैं और साल भर में सिर्फ Amazon.in के जरिए वह 14 करोड़ रुपये का व्यापार करते हैं। उनकी दुकान पर किताबों का जो बिजनेस होता है उसे मिलाकर कुल टर्नओवर 26 करोड़ हो जाता है।

एक वक्त था जब वह सोच भी नहीं सकते थे कि Amazon.in के जरिए वह किताबें भी बेच पायेंगे और आज वह इतना बड़ा व्यापार सिर्फ Amazon.in के जरिये ही चला रहे हैं। संकेत की कहानी दरअसल बदलती सोच का परिणाम है, जिसे Amazon.in जैसी कंपनी साकार करने का प्लेटफॉर्म मुहैया करा रही है।

संकेत जैसे Amazon.in सेलर्स इस बात की मिसाल हैं कि अगर नजरिया नया हो और दिल में मेहनत करने का जुनून हो तो नामुमकिन को भी मुमकिन करने में देर नहीं लगती। उन्होंने साबित कर दिया कि किसी खास मार्केट में दुकान खोजे बगैर अपना बिजनेस कैसे बढ़ाया जा सकता है। यह सब संभव हो पाया उनकी #बदलतीसोच वाले नजरिए से जिसकी वजह से उन्होंने Amazon.in पर सेलर के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाया। इस वजह से उन्हें लाखों संभावित ग्राहकों तक पहुंचने का मौका मिला। आप भी अगर अपने सपने पूरे करना चाहते हैं तो सिर्फ एक क्लिक करने भर की देरी है। तुरंत Amazon.in वेबसाइट पर जाइए और अपने बिजनेस को लाखों ग्राहकों तक पहुंचाइए। 

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