Linkedin के को-फाउंडर Reid Hoffman ने GPT-4 के साथ मिलकर लिख दी पहली किताब
रीड ने लिखा, पिछले साल मुझे GPT-4 का एक्सेस मिला था. ऐसा लगा था मानो मुझे किसी नए तरह का पासपोर्ट मिल गया हो. इनपुट देते ही कुछ ही महीनों में मेरे पन्ने 1,000 रेस्पॉन्स, 800 पन्नों से अधिक के आउटपुट से भर गए. यह GPT-4 की मदद से लिखी गई पहली किताब है.
GPT के आने के बाद से लगातार इस बात को लेकर चर्चा हो रही है अब वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब एआई इंसानों से नौकरियां छीन लेंगे. हालांकि इंसानों की नौकरियां छिनेंगी या फिर नए किस्म की नौकरियां जेनरेट होंगी ये तो समय ही बताएगा. इस बीच जीपीटी की मदद से पहली किताब लिख दी गई है.
लिंक्डइन (Reid Hoffman) ने एक किताब लिखी है जिसका को-ऑथर का लेटेस्ट सबसे पावरफुल एआई लैंग्वेज मॉडल GPT-4 है. किताब का नाम ‘Impromptu: Amplifying our Humanity through AI’ है. रीड ने गुरुवार को अपने लिंक्डइन पोस्ट में इसकी जानकारी दी. यह किताब किंडल पर मुफ्त में पढ़ी जा सकती है या फ्री में डाउनलोड भी की जा सकती है.
) के को-फाउंडर रीड हॉफमैन(रीड ने लिखा, पिछले साल मुझे GPT-4 का एक्सेस मिला था. ऐसा लगा था मानो मुझे किसी नए तरह का पासपोर्ट मिल गया हो. इनपुट देते ही कुछ ही महीनों में मेरे पन्ने 1,000 रेस्पॉन्स, 800 पन्नों से अधिक के आउटपुट से भर गए. यह GPT-4 की मदद से लिखी गई पहली किताब है.
उनके पोस्ट के मुताबिक हॉफमैन ने जीपीटी-4 से लाइट बल्ब जोक्स, पॉपुलर कविताएं, ओरिजनल साई-फाई प्लॉट्स, इंसानी बर्ताव को लेकर हुई बहसें, एआई कैसे लोकतंत्र, सोसाइटी और इंडस्ट्रीज को कैसे मजबूत कर सकता है जैसी चीजों पर रेस्पॉन्स मांगा. हॉफमैन ने इसका वीडियो भी शेयर किया है.
उन्होंने आगे लिखा जीपीटी-4 से इन सवालों को पूछने का एक ही मकसद था. जैसे हम किसी ट्रिप पर अपने ट्रैवल पार्टनर के बारे में जानने की कोशिश करते हैं वैसे ही मैंने भी इन सवालों के जरिए जीपीट-4 को समझने की कोशिश की थी.
किताब के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने जीपीटी के साथ अपने सफर को कुछ चुनिंदा हिस्सों में बांटा हैः क्रिएटविटी, पब्लिक इंटेलेक्चुअलिज्म, एजुकेशन, क्रिमिनल जस्टिस, जर्नलिज्म जैसे अन्य क्षेत्र. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इन्हीं स्पेस में एआई को लेकर एक्सप्लोरेशन किए जाएंगे.
किताब लिखने के पीछे अपना मकसद साझा करते हुए हॉफमैन ने कहा, “ यह किताब बेसिकली एक जीपीटी-4 के साथ एक यात्रावृत्तांत है, जो मैंने उससे पूछे गए सवालों के जवाब के आधार पर लिखा है. इससे लोगों को ना सिर्फ जीपीटी-4 को समझने में मदद मिलेगी बल्कि हम ये भी समझ पाएंगे कि जीपीटी-4 का इस्तेमाल और कैसे किया जा सकता है.’’
एक यूजर ने उनके पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा, आने वाले सालों में इंटरनेट एआई जेनरेटेड कंटेंट से भरा होगा. हो सकता है ये कंटेंट हआई क्वॉलिटी के हों, सुंदर तस्वीरों से लैस हों, लेकिन अंत में वो इंसान नहीं है. मुझे लगता है हम यानी इंसान इस तरह के कंटेंट देख भले लेंगे लेकिन उसे कंज्यूम नहीं करेंगे.
मिसाल के तौर पर हम स्क्रिप्ट्स से छोटे मोटे कोड्स जेनरेट करा लेते हैं लेकिन क्या हम उसे कभी देखते हैं? मेरी जानकारी के हिसाब से नहीं, अगर किसी ने देख भी लिया तो शायद ही कभी कभार.
इन जेरनेटेड कोड्स के कुछ हिस्सों को बाद में इंसान ही भरते हैं और हम उसी हिस्से में दिलचस्पी रखते हैं. इसी तरह जेनरेटेड किताबों या आर्ट में भी इंसानों को कुछ न कुछ जोड़ना घटाना करना ही पड़ेगा.
अगर चैट-जीपीटी के लिहाज से कहूं तो हमारी दिलचस्पी उस इनपुट को जानने में अधिक रहेगी जिसके बाद एआई ने वो रेस्पॉन्स जेनरेट किया है. या उस अतिरिक्त मैटर को जानने में रहेगी जिसे इंसान ने एआई जेनरेटेड मैटर में जोड़ा है.